बीसवीं सदी के महान एथलीट थे जिम थोर्प
अशोक मिश्र
अमेरिका के महान खिलाड़ी जेम्स फ्रांसिस थोर्प का जन्म 28 मई 1887 हुआ माना जाता है। स्वीडन के राजा गुस्ताव वी ने तो इन्हें बीसवीं सदी में दुनिया का महान एथलीट कहा था। यह ओलंपिक में किसी एक खेल में बंधकर नहीं रहे। इन्होंने सभी तरह के खेलों में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता था। बात सन 1912 में स्वीडन के स्टॉकहोम में हुए समर ओलिंपिक्स की है। इन्होंने इस ओलिंपिक में डेकाथलॉन और पेंटाथलॉन दोनों में स्वर्ण पदक जीता था। जब ओलिंपिक की शुरुआत हो रही थी जिम थोर्प बहुत उत्साहित थे। उन्हें अपनी प्रतिभा पर पूरा विश्वास था। लेकिन जब उनके खेलने की बारी आई, तो उन्हें पता चला कि उनके जूते गायब हैं। किसी ने उनके जूते चुरा लिए थे। उन्होंने किसी तरह एक जोड़ी जूते का प्रबंध किया, लेकिन दोनों जूते बेमेल थे। एक उनके पैर के हिसाब से ढीला था। उन्हें लगा कि दौड़ते समय यह जूता निकल भी सकता है। अब क्या किया जाए। तभी उन्होंने देखा कि एक जोड़ी मोजा वहां रखा हुआ था। उन्होंने ढीले जूते वाले पैर में दो मोजे पहन लिए। यह थोड़ा सही था। इसी जूते को पहनकर उन्होंने उस ओलिंपिक्स की 15 प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया और आठ प्रतिस्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते। पूरी दुनिया उनकी प्रतिभा और जुनून की कायल हो गई। लेकिन कहते हैं कि सफलता के पीछे कई बार दुर्भाग्य भी चला करता है। इसके कुछ साल बाद उन्होंने एक क्लब की ओर से बेसबाल खेलकर उन्होंने पांच डालर कमाए। इसकी भनक एक पत्रकार को लग गई। नतीजा यह हुआ कि उनसे सारे पदक ओलिंपिक संघ ने छीन लिए। जो खिलाड़ी दूसरे नंबर पर था, उसने भी पदक लेने से इनकार कर दिया। तीस साल बाद ओलिंपिक संघ ने जिम थोर्प को उनके पदक वापस किए।
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