कतरब्योंत

मैंने तो पाया है यही कि सच बोलने पर कतर दी जाती है जुबां

Friday, March 27, 2009

दृष्टि


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 12:24 PM 1 comment:
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ग़ज़ल


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 12:22 PM No comments:
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समीक्षा


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 12:20 PM No comments:
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व्यंग्य


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 11:35 AM No comments:
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Sunday, March 22, 2009

टिप्पणी


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 1:26 PM 1 comment:
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व्यंग्य


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 1:22 PM No comments:
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Monday, March 16, 2009

व्यंग्य


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 6:51 AM 1 comment:
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Saturday, March 14, 2009

महिलाओं को मांगना चाहिए उत्पादन के साधनों पर अधिकार


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 2:12 PM No comments:
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व्यंग्य


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Saturday, March 7, 2009

होली है....भाई... होली है


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 9:39 AM No comments:
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व्यंग्य


प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 9:38 AM No comments:
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अभिव्यक्ति







प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 9:01 AM No comments:
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Sunday, March 1, 2009

व्यंग्य




प्रस्तुतकर्ता कतरब्योंत पर 10:28 AM 1 comment:
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मैं अब क्या कहूं अपने बारे में

बलरामपुर जिले के नथईपुरवा घूघुलपुर गांव में 13 अप्रैल 1967 को मेरा जन्म हुआ। मेरे पिता दिवंगत रामेश्वर दत्त मानव मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारक और कवि थे। मैं पिछले 23-24 वर्षों से व्यंग्य लिख रहा हूं. कई छोटी-बड़ी पत्र-पत्रिकाओं में खूब लिखा. दैनिक स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में भी खूब लिखा. कई पत्र-पत्रिकाओं में नौकरी करने के बाद आठ साल दैनिक अमर उजाला के जालंधर संस्करण में काम करने के बाद लगभग दस महीने रांची में रहा. लगभग एक साल दैनिक जागरण और एक साल कल्पतरु एक्सप्रेस में काम करने के बाद साप्ताहिक हमवतन में स्थानीय संपादक, गोरखपुर से प्रकाशित न्यूज फॉक्स में समाचार संपादक और पंजाब केसरी देहरादून में उप समाचार संपादक पद पर कार्यरत रहने के बाद 27 अगस्त 2021 को पलवल से प्रकाशित होने जा रहे दैनिक देश रोजाना में समाचार संपादक के पद पर ज्वाइन किया। छह महीने बाद दैनिक देश रोजाना का संपादक बना दिया गया। तब से अद्यतन उसी पद पर कार्यरत हूं। मेरा एक व्यंग्य संग्रह 'हाय राम!...लोकतंत्र मर गया' दिल्ली के भावना प्रकाशन से फरवरी 2009 में प्रकाशित हुआ है. इसके बाद वर्ष 2013 में उपन्यास सच अभी जिंदा है भी भावना प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। पुस्तक दयानंद पांडेय समीक्षकों की नजर में का संपादन और वर्ष 2018 को वनिका प्रकाशन से व्यंग्य संग्रह दीदी तीन जीजा पांच प्रकाशित हुआ।

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