Saturday, November 1, 2025

संत अलवार की दयालुता

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

दक्षिण भारत में पैदा हुए अलवार तमिल भाषा के संत और कवि थे। वैसे तमिल साहित्य में 12 अलवार संतों का जिक्र मिलता है। यह सभी संत भगवान विष्णु के उपासक माने जाते हैं। तमिल साहित्य में नयनार संतों का भी जिक्र मिलता है, जो शैव उपासक माने जाते हैं। इनके आराध्य भगवान शिव थे। तमिल साहित्य में 76 नयनार संतों का जिक्र पाया जाता है। 

संतों की यह दोनों धाराएं तमिलनाडु और उसके आसपास के राज्यों में फलती फूलती रही हैं। विष्णु और शिव को आराध्य मानने वाले दोनों तरह के संत काफी उदार रहे हैं। एक बार की बात है। संत अलवार ने अपनी जरूरतों को काफी कम कर लिया था। वह बहुत कम चीजों में ही अपना काम चला लेते थे। उनकी कुटिया भी बहुत छोटी थी। उस कुटिया में केवल एक ही आदमी सो सकता था। 

बस इतनी सी जगह थी। एक रात बहुत तेज बारिश हो रही थी। संत अलवार अपनी कुटिया में लेटे हुए थे। तभी एक आदमी ने उनकी कुटिया का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने दरवाजा खोल कर बाहर देखा, तो पाया कि एक आदमी पानी से भीगा हुआ खड़ा है। उस व्यक्ति ने संत से याचना की कि बहुत तेज बारिश हो रही है। वह रास्ता भी भटक गया है, उसे रात भर के लिए झोपड़ी में रुकने की जगह मिल सकती है क्या? संत ने कहा कि मेरी कुटिया में एक आदमी सो सकता है, एक बैठ सकता है। या दोनों बैठ सकते हैं। 

थोड़ी देर बाद एक आदमी और आया। वह ठंड से कांप रहा था। संत ने उससे भी कहा कि मेरी कुटिया में तीन लोग पैठ सकते हैं, केवल एक आदमी सो सकता है। वह व्यक्ति अंदर आ गया। थोड़ी देर बात एक और आदमी ने अंदर आने की इजाजत मांगी। संत ने उसे भी अंदर बुला लिया और खुद बाहर खड़े हो गए। वह खुद बाहर जाकर खड़े हो गए। रातभर बारिश में भीगते रहे, लेकिन मेहमान को भीतर ही रखा।

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