Thursday, October 2, 2025

कांग्रेस के सभी गुटों को साथ लेकर चल पाएंगे राव नरेंद्र सिंह

अशोक मिश्र

आखिरकार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति हो ही गई। अभी कुछ ही दिन पहले जब कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अचानक गुरुग्राम आए थे, तो उन्होंने मीडिया से कहा था कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर युवा को बैठाया जाएगा, लेकिन जब प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए राव नरेंद्र सिंह की घोषणा हुई, तो युवा अध्यक्ष का इंतजार कर रहे लोगों को जरूर निराशा हुई होगी। इसके साथ ही साथ कांग्रेस के उन गुटों को भी निराशा हुई होगी, जो अपने गुट में से किसी नेता के अध्यक्ष बनाए जाने की आशा कर रहे थे। इस बार भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं पर भारी रहे और अंतत: बहुप्रतीक्षित हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पर उनके ही खास राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति हो गई। 

हुड्डा को भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल हुआ है।  कुछ ही दिनों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नरेंद्र सिंह की ताजपोशी होनी है यानी उन्हें पद ग्रहण करना है। वह पद ग्रहण करने से पहले कांग्रेस के तीनों प्रमुख गुटों से मेल मिलाप कर रहे हैं। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला एवं पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह से मुलाकात की और प्रदेश के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने का प्रयास किया कि अब प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी जैसी कोई भावना नहीं है। 

राव नरेंद्र सिंह का नाम घोषित होने से पहले ही कुमारी सैलजा अपनी सहमति आलाकमान के सामने जता चुकी हैं। अभी तक केवल कैप्टन अजय सिंह यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से नई नियुक्ति का विरोध जताया है। बाकी गुटों से राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति को लेकर कोई बयान नहीं आया है। ऐसी स्थिति में यही समझा जा रहा है कि तीनों गुटों ने किसी प्रकार का विरोध न करने का फैसला किया है। वैसे तो निकट भविष्य में बनने वाली कार्यकारिणी में हुड्डा गुट का बोलबाला रहने की संभावना जताई जा रही है। 

राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने जहां ओबीसी कार्ड खेला है, वहीं अहीरवाल में भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की युक्ति भी भिड़ाई है। अहीरवाल को भाजपा का अजेय गढ़ माना जाता है। ऐसी स्थिति में भविष्य में नरेंद्र सिंह यदि अहीरवाल में मजबूत होते हैं, तो वह भाजपा को कुछ हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। अहीरवाल ही भाजपा के लिए सत्ता की चाबी साबित हुआ था। वहीं हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाकर जाट वोटों पर भी कांग्रेस ने निगाह बनाए रखी है। ऐसी स्थिति में यदि कांग्रेस हाईकमान की एकजुट रहने के सख्त निर्देश पर प्रादेशिक नेताओं ने अमल किया, तो प्रदेश में कांग्रेस के मजबूत होने की पूरी संभावना है।

No comments:

Post a Comment