अशोक मिश्र
बाप रे बाप!...बाबा होना, इतना मजेदार, रसदार और असरदार हो सकता है कि कोई भी ‘बदकार’ बाबा हो सकता है? अब तो मैं बाबा होकर ही रहूंगा। कोई भी मुझे बाबा होने से रोक नहीं सकता, एक अदद घरैतिन भी नहीं। अब तो किसी की भी नहीं सुनूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। दुनिया में हालाडोला (भूकंप) आ जाए या आसमान से बज्र (बिजली) गिर पड़े। कहते हैं कि महाभारत काल में जब देवव्रत ने भीष्म प्रतिज्ञा की थी, तो पूरे ब्रह्मांड में हलचल मच गई थी। मैं वही काल फिर से दोहराने जा रहा हूं। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जल्दी ही बाबा बनकर दुनिया के प्रकट होऊंगा। सीधे हिमालय से बीस-पच्चीस हजार साल से तपस्यारत रहने के बाद। (अरे...यह बात मैं नहीं कह रहा हूं। मेरे चेले-चेलियां भक्तों को यही कहकर तो लुभाएंगे। आप लोग भी न! किसी बात को बूझते नहीं हैं और बीच में टांग अड़ाने लगते हैं।) हां तो साहब...मैंने अपना नाम भी सोच लिया है, श्री श्री 1008 स्वामी पतितानंद जी महाराज। पतित कर्म करने पर भी किसी को सफाई देने की जरूरत नहीं है। नाम से ही सब कुछ जाहिर है। मेरी गारंटी है कि यह नाम जितना टिकाऊ है, उतना ही बाजार में बिकाऊ भी है। बस थोड़ी सी जरूरत है मार्केटिंग की। तो उसके लिए चेले-चेलियों की फौज तैयार कर रहा हूं। कुछ वीआईपी चेले-चेलियों को पकड़ने की कोशिश में हूं। जैसे ही कुछ मंत्री, संत्री टाइप के चेले-चेलियां फंसी कि मैं भी कृपा का परसाद बांटने लगूंगा।
मेरे कुछ मित्रों की सलाह है कि पहले कुछ विदेशी चेलियों की व्यवस्था करूं। विदेशी चेलियों के साथ होने के कई फायदे हैं। एक तो इस देश की बौड़म जनता विदेशी ठप्पे पर कुछ ज्यादा ही मुरीद रहती है। भले ही वह विदेशी मुद्रा हो, विदेशी कचरा हो या विदेशी लड़कियां। हमारे देश के ‘अक्ल के अंधे, गांठ के पूरे’ लोग बहुत जल्दी लार टपकाने लगते हैं। कुछ विदेशी चेलियां आयात करने वाली कंपनियों से संपर्क साधा है, उनके कोटेशन का अध्ययन कर रहा हूं। बहुत जल्दी ही तीन-चार कंपनियों को यह काम सौंपकर दूसरे प्रोजेक्ट में लगूंगा। दूसरा प्रोजेक्ट यह है कि कुछ गुंडेनुमा भक्तों की भर्ती करनी है, ताकि लगभग हर जिले में सरकारी और गैर सरकारी जमीनों पर कब्जा किया जा सके। हर जिले के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को अपना भक्त बना लेने से दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। वे जमीन हथियाने के मामले में कोई पंगा नहीं खड़ा करेंगे, बल्कि जमीन के वास्तविक मालिक को लतियाकर भगाने में मदद करेंगे। मैंने कुछ फैक्टरियों को किस्म-किस्म की अंगूठियां, गंडे, ताबीज बनाने का आर्डर दे दिया है। आखिर लोगों को अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए स्वामी पतितानंद जी महाराज से कृपा स्वरूप कुछ चाहिए होगा न! तो उन्हें यही गंडा, ताबीज और अंगूठियां बांटूंगा। किसी को धन चाहिए, तो अंगूठी। किसी की प्रेमिका रूठ गई, तो उसके गले में बांधने के लिए गंडा, किसी पत्नी रूठकर मायके चली गई है, तो उसके लिए गौमूत्र में डुबोकर पवित्र की गई लोहे का छल्ला। किसी को संतान चाहिए, तो उसके लिए विशेष पूजा। ...के साथ (यहां आप अपनी इच्छा के मुताबिक भर लें) एकांत साधना। सोचिए, कितना रोमांच और खुशी हो रही है बाबा होने पर मिलने वाले सुख की कल्पना करके। जब बाबा हो जाऊंगा, तो किन-किन सुखों का उपभोग करूंगा, इसकी आप और मैं अभी सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं।
दोस्तो! मैं तो अभी कल्पना करके ही इतना गदगद हूं कि रात की नींद और दिन का चैन हराम हो गया है। किसी काम में मन नहीं लग रहा है। बार-बार मन में आता है कि अरे! मैं अपने अखबार के दफ्तर में बैठकर कुछ हजार रुपल्ली के लिए कलम घिसने को पैदा हुआ हूं क्या? मेरा अवतरण इस दुनिया में ‘महान’ सु (कु) कर्मों के लिए हुआ है। हो सकता है कि पांचवेंपन में मुझे अपने इन सु (कु) कर्मों के चलते जेल भी जाना पड़े, लेकिन कोई बात नहीं। लोगों की भलाई के लिए मैं जेल क्या? अमेरिका के ह्वाइट हाउस और लंदन के बर्मिंग्घम पैलेस तक जाने को तैयार हूं। बस..इस पुनीत कार्य में एक ही अडंगे की आशंका है। इस दुनिया में सिर्फ एक ही व्यक्ति को मेरी यह उपलब्धि फूटी आंखों नहीं सुहाएगी। वह है मेरी धर्मपत्नी, मेरे बच्चों की अम्मा..। वैसे तो मैं इस दुनिया का सबसे बहादुर इंसान हूं। किसी से भी नहीं डरता। आंधी आए या तूफान, अपुन खड़े हैं सीना तान। लेकिन साहब...घरैतिन सामने हो, तो...। क्या कहा...मैं डरपोक हूं। चलिए, ज्यादा शेखी मत बघारिये, आपकी भी औकात जानता हूं। अपनी खूबसूरत साली या बचपन वाली प्रेमिका की कसम खाकर बताइएगा, पत्नी के सामने कान पकड़कर उठक बैठक लगाते है कि नहीं। लगाते हैं न! तो फिर जब सभी अपनी घरैतिन से डरते हैं, तो क्या मैं कोई गुनाह करता हूं, साहब! अरे...रे, मुझे घरैतिन की आवाज क्यों सुनाई दे रही है। लगता है, नशा उतर रहा है। दारू पीकर ऊलजुलूल सोचने के अपराध में पिटने का वक्त आ गया है।
बाप रे बाप!...बाबा होना, इतना मजेदार, रसदार और असरदार हो सकता है कि कोई भी ‘बदकार’ बाबा हो सकता है? अब तो मैं बाबा होकर ही रहूंगा। कोई भी मुझे बाबा होने से रोक नहीं सकता, एक अदद घरैतिन भी नहीं। अब तो किसी की भी नहीं सुनूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। दुनिया में हालाडोला (भूकंप) आ जाए या आसमान से बज्र (बिजली) गिर पड़े। कहते हैं कि महाभारत काल में जब देवव्रत ने भीष्म प्रतिज्ञा की थी, तो पूरे ब्रह्मांड में हलचल मच गई थी। मैं वही काल फिर से दोहराने जा रहा हूं। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जल्दी ही बाबा बनकर दुनिया के प्रकट होऊंगा। सीधे हिमालय से बीस-पच्चीस हजार साल से तपस्यारत रहने के बाद। (अरे...यह बात मैं नहीं कह रहा हूं। मेरे चेले-चेलियां भक्तों को यही कहकर तो लुभाएंगे। आप लोग भी न! किसी बात को बूझते नहीं हैं और बीच में टांग अड़ाने लगते हैं।) हां तो साहब...मैंने अपना नाम भी सोच लिया है, श्री श्री 1008 स्वामी पतितानंद जी महाराज। पतित कर्म करने पर भी किसी को सफाई देने की जरूरत नहीं है। नाम से ही सब कुछ जाहिर है। मेरी गारंटी है कि यह नाम जितना टिकाऊ है, उतना ही बाजार में बिकाऊ भी है। बस थोड़ी सी जरूरत है मार्केटिंग की। तो उसके लिए चेले-चेलियों की फौज तैयार कर रहा हूं। कुछ वीआईपी चेले-चेलियों को पकड़ने की कोशिश में हूं। जैसे ही कुछ मंत्री, संत्री टाइप के चेले-चेलियां फंसी कि मैं भी कृपा का परसाद बांटने लगूंगा।
मेरे कुछ मित्रों की सलाह है कि पहले कुछ विदेशी चेलियों की व्यवस्था करूं। विदेशी चेलियों के साथ होने के कई फायदे हैं। एक तो इस देश की बौड़म जनता विदेशी ठप्पे पर कुछ ज्यादा ही मुरीद रहती है। भले ही वह विदेशी मुद्रा हो, विदेशी कचरा हो या विदेशी लड़कियां। हमारे देश के ‘अक्ल के अंधे, गांठ के पूरे’ लोग बहुत जल्दी लार टपकाने लगते हैं। कुछ विदेशी चेलियां आयात करने वाली कंपनियों से संपर्क साधा है, उनके कोटेशन का अध्ययन कर रहा हूं। बहुत जल्दी ही तीन-चार कंपनियों को यह काम सौंपकर दूसरे प्रोजेक्ट में लगूंगा। दूसरा प्रोजेक्ट यह है कि कुछ गुंडेनुमा भक्तों की भर्ती करनी है, ताकि लगभग हर जिले में सरकारी और गैर सरकारी जमीनों पर कब्जा किया जा सके। हर जिले के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को अपना भक्त बना लेने से दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। वे जमीन हथियाने के मामले में कोई पंगा नहीं खड़ा करेंगे, बल्कि जमीन के वास्तविक मालिक को लतियाकर भगाने में मदद करेंगे। मैंने कुछ फैक्टरियों को किस्म-किस्म की अंगूठियां, गंडे, ताबीज बनाने का आर्डर दे दिया है। आखिर लोगों को अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए स्वामी पतितानंद जी महाराज से कृपा स्वरूप कुछ चाहिए होगा न! तो उन्हें यही गंडा, ताबीज और अंगूठियां बांटूंगा। किसी को धन चाहिए, तो अंगूठी। किसी की प्रेमिका रूठ गई, तो उसके गले में बांधने के लिए गंडा, किसी पत्नी रूठकर मायके चली गई है, तो उसके लिए गौमूत्र में डुबोकर पवित्र की गई लोहे का छल्ला। किसी को संतान चाहिए, तो उसके लिए विशेष पूजा। ...के साथ (यहां आप अपनी इच्छा के मुताबिक भर लें) एकांत साधना। सोचिए, कितना रोमांच और खुशी हो रही है बाबा होने पर मिलने वाले सुख की कल्पना करके। जब बाबा हो जाऊंगा, तो किन-किन सुखों का उपभोग करूंगा, इसकी आप और मैं अभी सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं।
दोस्तो! मैं तो अभी कल्पना करके ही इतना गदगद हूं कि रात की नींद और दिन का चैन हराम हो गया है। किसी काम में मन नहीं लग रहा है। बार-बार मन में आता है कि अरे! मैं अपने अखबार के दफ्तर में बैठकर कुछ हजार रुपल्ली के लिए कलम घिसने को पैदा हुआ हूं क्या? मेरा अवतरण इस दुनिया में ‘महान’ सु (कु) कर्मों के लिए हुआ है। हो सकता है कि पांचवेंपन में मुझे अपने इन सु (कु) कर्मों के चलते जेल भी जाना पड़े, लेकिन कोई बात नहीं। लोगों की भलाई के लिए मैं जेल क्या? अमेरिका के ह्वाइट हाउस और लंदन के बर्मिंग्घम पैलेस तक जाने को तैयार हूं। बस..इस पुनीत कार्य में एक ही अडंगे की आशंका है। इस दुनिया में सिर्फ एक ही व्यक्ति को मेरी यह उपलब्धि फूटी आंखों नहीं सुहाएगी। वह है मेरी धर्मपत्नी, मेरे बच्चों की अम्मा..। वैसे तो मैं इस दुनिया का सबसे बहादुर इंसान हूं। किसी से भी नहीं डरता। आंधी आए या तूफान, अपुन खड़े हैं सीना तान। लेकिन साहब...घरैतिन सामने हो, तो...। क्या कहा...मैं डरपोक हूं। चलिए, ज्यादा शेखी मत बघारिये, आपकी भी औकात जानता हूं। अपनी खूबसूरत साली या बचपन वाली प्रेमिका की कसम खाकर बताइएगा, पत्नी के सामने कान पकड़कर उठक बैठक लगाते है कि नहीं। लगाते हैं न! तो फिर जब सभी अपनी घरैतिन से डरते हैं, तो क्या मैं कोई गुनाह करता हूं, साहब! अरे...रे, मुझे घरैतिन की आवाज क्यों सुनाई दे रही है। लगता है, नशा उतर रहा है। दारू पीकर ऊलजुलूल सोचने के अपराध में पिटने का वक्त आ गया है।
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