अशोक मिश्र
पिछले दिनों मैं अपने मित्र के घर गया, तो वे अपने बेटे मतिभ्रम को बुरी तरह डांट रहे थे। मैंने मामले की पूंछ पकड़ने की कोशिश की तो पता चला कि मतिभ्रम ने नौवीं कक्षा की अर्धवार्षिक परीक्षा में हिंदी विषय में सूरदास के एक पद की संदर्भ सहित ऐसी व्याख्या की थी कि हिंदी अध्यापक से लेकर प्रधानाध्यापक तक बौखला उठे थे। अध्यापक ने मतिभ्रम के माध्यम से मेरे मित्र के अवलोकनार्थ हिंदी की उत्तर पुस्तिका भिजवाई थी। मैंने देखा, तो चकित रह गया। जिस छात्र का सार्वजनिक अभिनंदन होना चाहिए, उसे स्कूल और घर में डांट पड़ रही थी। उत्तर पुस्तिका में लिखा था,
प्रश्न संख्या 3 (क) निम्न पद की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
अब कै राखि लेहु भगवान।
हौं अनाथ बैठ्यो द्रुम-डरिया, पारधी साधे बान।
ताके डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यो सचान।
दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारे प्रान?
सुमिरत ही अहि डस्यो पारधी, कर छूट्यौ संधान।
सूरदास सर लग्यौ सचानहिं, जय जय कृपानिधान॥
उत्तर : संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक ‘काव्य संकलन’ के सूरदास के पद नामक पाठ से ली गई हैं। इसके रचियता महाकवि सूरदास जी हैं।
व्याख्या: प्रस्तुत पद में महाकवि सूरदास जी कहते हैं कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस की ऐसी की तैसी हो चुकी है, दिल्ली में भाजपा, कांग्रेस और नवोदित पार्टी आप ‘न मैं खाऊं, न तेरे को खाने दूं’ जैसी अधोगति को प्राप्त होकर बतकूचन कर रही हैं। एक दूसरे पर झल्ला रही हैं। ऐसे में आसन्न लोकसभा चुनाव के भावी परिणाम की सोचकर एक कांग्रेसी नेता भगवान से प्रार्थना करता है, हे भगवान! पिछले दस साल के शासनकाल में हमने कई भूलें की हैं, कई घपले-घोटाले किए हैं। हम पिछले दस सालों में किए गए कर्मों-सुकर्मों-कुकर्मों के लिए माफी मांगते हैं। आपसे बस यही विनती है कि इस बार हमारी रक्षा करो। हम आपसे वादा करते हैं कि देश की जनता को न तो आगे से महंगाई झेलनी पड़ेगी, न बेरोजगारी, न किसी लड़की की देश में कहीं इज्जत से खिलवाड़ होगा, न कोई नेता, मंत्री और अधिकारी भ्रष्टाचार कर पाएगा। कांग्रेस पार्टी ही क्या, पूरा ‘यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस’ ही इस समय अनाथ पक्षी की तरह शाखा विहीन पेड़ रूपी सत्ता पर काबिज है। उसकी इस दीन-हीन दशा को देखकर सत्ता से दूर भाजपा, बसपा, सपा, सीपीआई, सीपीएम और तमाम तरह की क्षेत्रीय पार्टियां शिकारी के रूप में हाथों में तीर-तरकश लेकर शिकार करने को आतुर हैं।
कविवर सूरदास जी आगे कहते हैं कि कांग्रेसी नेता कहता है कि इतना ही नहीं प्रभु! अगर मैं इन विपक्षी पार्टियां रूपी शिकारियों से बचकर भागना भी चाहूं, तो ऊपर सचान (बाज) रूपी चुनाव आयोग मंडरा रहा है, जो किसी भी हालत में निष्पक्ष चुनाव कराकर मुझे हराने पर तुला हुआ है। इस तरह तो दोनों तरफ से यूपीए के प्राण संकट में हैं। हे प्रभु! अब इस संकट से आपके सिवा कोई दूसरा कैसे प्राण बचा सकता है। आप चाहें, तो विपक्षी दलों का मति भ्रष्ट करके उन्हें सभी घपलों, घोटालों के प्रति उदासीन होने की प्रेरणा दे सकते हैं, चुनाव आयोग के ईमानदार अधिकारियों को समय से पूर्व रिटायरमेंट लेने का स्वप्न दिखा सकते हैं। उन्हें मतदान के दिन छुट्टी पर जाने को प्रेरित कर सकते हैं। महाकवि सूरदास जी का कहना है कि कांग्रेसी नेता के भगवान का स्मरण करते ही एकाएक मीडिया में विपक्षी नेताओं के सेक्स स्कैंडल, पैसे लेकर फर्जी चिट्ठियां लिखने, विपक्षी पार्टियों के जिन राज्यों में सत्ता है, उस प्रदेश में हुए घोटालों के मामले उजागर होने लगे, इससे विपक्षी पार्टियों को बैकफुट पर आना पड़ा। वे सत्तारूढ़ दल पर हमला करने को कौन कहे, अपने ही बचाव में इधर-उधर भागने लगे। कल तक जो लोग आक्रामक थे, वे भगवान की कृपा से अपना बचाव करते हुए मुंह छिपाकर रहने को मजबूर थे। सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी दलों के सांसदों के वॉक आउट के दौरान एक विधेयक पेश करके पास करा लिया कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं को फर्जी मतदान करने से नहीं रोकेगा। वह सभी विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को मतदान से रोकने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। महाकवि सूरदास कहते हैं कि भगवान बहुत ही भक्तवत्सल हैं। वे अपने भक्तों का इतना ध्यान रखते हैं कि उन्हें कृपानिधान कहकर उनकी वंदना की जानी चाहिए।
तो पाठको! यह बताइए, मेरे मित्र के पुत्र मतिभ्रम की प्रतिभा अनुकरणीय और प्रशंसनीय है कि नहीं।
पिछले दिनों मैं अपने मित्र के घर गया, तो वे अपने बेटे मतिभ्रम को बुरी तरह डांट रहे थे। मैंने मामले की पूंछ पकड़ने की कोशिश की तो पता चला कि मतिभ्रम ने नौवीं कक्षा की अर्धवार्षिक परीक्षा में हिंदी विषय में सूरदास के एक पद की संदर्भ सहित ऐसी व्याख्या की थी कि हिंदी अध्यापक से लेकर प्रधानाध्यापक तक बौखला उठे थे। अध्यापक ने मतिभ्रम के माध्यम से मेरे मित्र के अवलोकनार्थ हिंदी की उत्तर पुस्तिका भिजवाई थी। मैंने देखा, तो चकित रह गया। जिस छात्र का सार्वजनिक अभिनंदन होना चाहिए, उसे स्कूल और घर में डांट पड़ रही थी। उत्तर पुस्तिका में लिखा था,
प्रश्न संख्या 3 (क) निम्न पद की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
अब कै राखि लेहु भगवान।
हौं अनाथ बैठ्यो द्रुम-डरिया, पारधी साधे बान।
ताके डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यो सचान।
दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारे प्रान?
सुमिरत ही अहि डस्यो पारधी, कर छूट्यौ संधान।
सूरदास सर लग्यौ सचानहिं, जय जय कृपानिधान॥
उत्तर : संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक ‘काव्य संकलन’ के सूरदास के पद नामक पाठ से ली गई हैं। इसके रचियता महाकवि सूरदास जी हैं।
व्याख्या: प्रस्तुत पद में महाकवि सूरदास जी कहते हैं कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस की ऐसी की तैसी हो चुकी है, दिल्ली में भाजपा, कांग्रेस और नवोदित पार्टी आप ‘न मैं खाऊं, न तेरे को खाने दूं’ जैसी अधोगति को प्राप्त होकर बतकूचन कर रही हैं। एक दूसरे पर झल्ला रही हैं। ऐसे में आसन्न लोकसभा चुनाव के भावी परिणाम की सोचकर एक कांग्रेसी नेता भगवान से प्रार्थना करता है, हे भगवान! पिछले दस साल के शासनकाल में हमने कई भूलें की हैं, कई घपले-घोटाले किए हैं। हम पिछले दस सालों में किए गए कर्मों-सुकर्मों-कुकर्मों के लिए माफी मांगते हैं। आपसे बस यही विनती है कि इस बार हमारी रक्षा करो। हम आपसे वादा करते हैं कि देश की जनता को न तो आगे से महंगाई झेलनी पड़ेगी, न बेरोजगारी, न किसी लड़की की देश में कहीं इज्जत से खिलवाड़ होगा, न कोई नेता, मंत्री और अधिकारी भ्रष्टाचार कर पाएगा। कांग्रेस पार्टी ही क्या, पूरा ‘यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस’ ही इस समय अनाथ पक्षी की तरह शाखा विहीन पेड़ रूपी सत्ता पर काबिज है। उसकी इस दीन-हीन दशा को देखकर सत्ता से दूर भाजपा, बसपा, सपा, सीपीआई, सीपीएम और तमाम तरह की क्षेत्रीय पार्टियां शिकारी के रूप में हाथों में तीर-तरकश लेकर शिकार करने को आतुर हैं।
कविवर सूरदास जी आगे कहते हैं कि कांग्रेसी नेता कहता है कि इतना ही नहीं प्रभु! अगर मैं इन विपक्षी पार्टियां रूपी शिकारियों से बचकर भागना भी चाहूं, तो ऊपर सचान (बाज) रूपी चुनाव आयोग मंडरा रहा है, जो किसी भी हालत में निष्पक्ष चुनाव कराकर मुझे हराने पर तुला हुआ है। इस तरह तो दोनों तरफ से यूपीए के प्राण संकट में हैं। हे प्रभु! अब इस संकट से आपके सिवा कोई दूसरा कैसे प्राण बचा सकता है। आप चाहें, तो विपक्षी दलों का मति भ्रष्ट करके उन्हें सभी घपलों, घोटालों के प्रति उदासीन होने की प्रेरणा दे सकते हैं, चुनाव आयोग के ईमानदार अधिकारियों को समय से पूर्व रिटायरमेंट लेने का स्वप्न दिखा सकते हैं। उन्हें मतदान के दिन छुट्टी पर जाने को प्रेरित कर सकते हैं। महाकवि सूरदास जी का कहना है कि कांग्रेसी नेता के भगवान का स्मरण करते ही एकाएक मीडिया में विपक्षी नेताओं के सेक्स स्कैंडल, पैसे लेकर फर्जी चिट्ठियां लिखने, विपक्षी पार्टियों के जिन राज्यों में सत्ता है, उस प्रदेश में हुए घोटालों के मामले उजागर होने लगे, इससे विपक्षी पार्टियों को बैकफुट पर आना पड़ा। वे सत्तारूढ़ दल पर हमला करने को कौन कहे, अपने ही बचाव में इधर-उधर भागने लगे। कल तक जो लोग आक्रामक थे, वे भगवान की कृपा से अपना बचाव करते हुए मुंह छिपाकर रहने को मजबूर थे। सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी दलों के सांसदों के वॉक आउट के दौरान एक विधेयक पेश करके पास करा लिया कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं को फर्जी मतदान करने से नहीं रोकेगा। वह सभी विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को मतदान से रोकने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। महाकवि सूरदास कहते हैं कि भगवान बहुत ही भक्तवत्सल हैं। वे अपने भक्तों का इतना ध्यान रखते हैं कि उन्हें कृपानिधान कहकर उनकी वंदना की जानी चाहिए।
तो पाठको! यह बताइए, मेरे मित्र के पुत्र मतिभ्रम की प्रतिभा अनुकरणीय और प्रशंसनीय है कि नहीं।
Right, we should appreciate his this quality
ReplyDeleteछात्र का सार्वजनिक अभिनंदन होना चाहिए, मतिभ्रम की प्रतिभा अनुकरणीय और प्रशंसनीय है
ReplyDeletebahut khub....
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