Thursday, December 5, 2013

हाय राम! दाढ़ी पर भी संकट

-अशोक मिश्र 
मैं रविवार की सुबह थोड़ा देर तक सोता हूं। मेरा ख्याल है कि हिंदुस्तान के सत्तर फीसदी मर्द ऐसा ही करते होंगे। आज भी ऐसा ही हुआ। बेगम ने चाय बनाने के बाद आवाज दी, तो मैं उसे महटिया (टाल) गया। बेगम ने बड़े प्रेम से बचे खुचे बालों में हाथ फेरते हुए जगाया और चाय के साथ अखबार थमा दिया। उनके इस असमय प्रेम प्रदर्शन पर मैं सतर्क हो गया। लगा कि मेरी कुंडली के सातवें घर में पिछले काफी दिनों से छिपकर बैठा राहु जेब कटवाने के फेर में है। जब-जब बेगम ने असमय प्रेम प्रदर्शन किया है, तब-तब उनका यह प्रेम प्रदर्शन जेब पर भारी पड़ा है। मैंने पुराने अनुभवों को देखते हुए मामले की गेंद को कवर ड्राइव की ओर खेल दिया, ‘बेगम! आज खरीदारी करने का विचार है क्या?’ मेरी बात सुनकर बेगम मुस्कुराईं और बोलीं, ‘नहीं..बस, आप जल्दी से चाय पी लीजिए और बाल कटवा आइए, बहुत बड़े-बड़े हो गए हैं।’ मैंने सतर्क आवाज में कहा, ‘बेगम! आपको मेरे इन बचे खुचे बालों से क्या दुश्मनी है? ठीक तो लग रहे हैं।’ तब तक बेगम भी अपनी चाय लेकर आ चुकी थीं। उन्होंने कहा, ‘मेरी आपके बालों से कोई दुश्मनी नहीं है। कटवाइए..या न कटवाइए। मेरी बला से। लेकिन भगवान के लिए आप आज दाढ़ी जरूर छिलवा लीजिए।’
बेगम की बात सुनकर मैं भौंचक रह गया। मैंने कहा, ‘अरे बेगम! क्या गजब करती हो। मैं दाढ़ी कैसे छिलवा सकता हूं। जानती हो, यही दाढ़ी मेरी पत्रकारिता का ट्रेडमार्क है। दाढ़ी मुंडवा लूंगा, तो लोग क्या कहेंगे? और फिर...यह दाढ़ी मुझ पर कितनी फबती है? शादी से पहले जब तुम्हें देखने आया था, तो तुमने इसी दाढ़ी की कितनी प्रशंसा की थी। याद है तुम्हें, तुम्हारी ममेरी बहन तो इसी दाढ़ी पर इतनी रीझ गई थी कि वह मुझसे शादी करने को तैयार थी। अगर तुम अड़ ना जातीं, तो तुम्हारी ममेरी बहन आज मेरी बेगम होती और तुम मेरी बड़ी साली।’ मुझे ताज्जुब हुआ कि बेगम का पारा आज इस पर भी थर्मामीटर तोड़ने पर आमादा नहीं हुआ। बेगम ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘मैं यह मान लेती हूं कि तब मैं पागल थी और आज मेरा दिमाग सही हुआ है, लेकिन आपको आज इस खिचड़ी दाढ़ी से मुक्ति पानी ही होगी। चाय पी लिया हो, तो फटाफट सैलून में जाकर इस मुई दाढ़ी से छुटकारा पाइए।’ बेगम की बात सुनकर मैं गंभीर हो गया। मैंने पूछा, ‘मेरी इस दाढ़ी को लेकर तुमने कहीं कोई खराब सपना तो नहीं देखा है। देखो! दाढ़ियां तो हमारे देश में शान मानी जाती हैं। अगर दाढ़ियों को लेकर कोई ऐसी वैसी बात होती, तो हमारे ऋषि-मुनि, साधु-संन्यासी गज-गज भर लंबी दाढ़ियां क्यों रखते। तुम कोई भी ऐसा ऋषि-मुनि या तपस्वी बता दो, जिसके दाढ़ियां न रही हों। हां, देवता इसके अपवाद रहे हैं। दाढ़ी रखने का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि रोज-रोज दाढ़ी बनाने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है। कुंडली की चाल को बदलने वाले राहु-केतु भी इन दाढ़ियों में उलझकर रह जाते हैं और कोई बुरा नहीं कर पाते हैं।’
बेगम ने हाथ पकड़कर मुझे उठाते हुए कहा, ‘आपकी सारी बातें सही हैं, लेकिन मैं नहीं चाहती कि अधेड़ावस्था में आप किसी ऐसे-वैसे आरोप में जेल जाएं।’ मैं चौंक गया, ‘क्या बकती हो? दाढ़ी से जेल जाने का क्या संबंध है? तुम भी न...कमाल करती हो।’ बेगम ने जिद भरे स्वर में कहा, ‘देखिए..आपके भले के लिए कह रही हूं। मान जाइए। इन दिनों जितने दाढ़ी वाले लोग हैं, वही ऐसे वैसे आरोपों में पकड़े जा रहे हैं। एक पत्रकार को ले लीजिए, संत शिरोमणि को ले लीजिए, उनके सुपुत्र को भी देख लीजिए। आजकल देश में दाढ़ियां बड़ी उत्पाती हो गई हैं। दाढ़ी चाहे छोटी हो या लंबी, इन दाढ़ियों के दुष्प्रभाव के चलते व्यक्ति दुष्कर्म के लिए प्रेरित हो रहा है। वह लड़कियों पर हमला कर रहा है, उसके साथ बुरा कार्य कर रहा है। अभी कल एक प्रसिद्ध ज्योतिषी बाबा आए थे। उन्होंने कहा था कि जो व्यक्ति दाढ़ी रखते हैं, उनकी कुंडली का मंगल और शुक्र मिलकर तृतीयेश में बैठे राहु के साथ बलात्कार योग का निर्माण करते हैं। आपकी भी कुंडली के पांचवें घर में बैठा शुक्र, नवें घर में बैठे बुध और दूसरे घर में बैठे केतु आपकी दाढ़ी के चलते पातक योग का निर्माण कर रहे हैं। इसलिए आप मेरी मानिये, झट से दाढ़ी मुंडवा लीजिए, ताकि पाप कटे।’ मैंने बेगम से पूछा, ‘यह बताओ..तुम्हारे ये ज्योतिषी महाराज कैसे थे? मतलब क्लीन शेव या दाढ़ी-मूंछ वाले?’ बेगम ने तत्परता से जवाब दिया, ‘उनके तो ये..लंबी-लंबी दाढ़ी थी।’ उन्होंने पेट के पास हाथ रखते हुए दाढ़ी की लंबाई बताने का प्रयास किया। मैंने कहा, ‘अरे बेवकूफ औरत! अगर दाढ़ी किसी को पापकर्म के लिए प्रेरित कर सकती होती, तो सबसे पहले आपके ज्योतिषी महाराज को प्रेरित करती न! उनके तो मेरे से कहीं ज्यादा लंबी दाढ़ी थी। मेरी तो अभी मात्र इंच-डेढ़ इंच लंबी दाढ़ी है। मुझे लगता है कि कोई तुम्हें बुद्धू बनाकर सौ-पचास रुपये ठग ले गया।’ मेरी बात सुनते ही बेगम अवाक रह गईं। बोली, ‘हां यार! यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। आने दो, दोबारा उस दाढ़ीजार को, उसकी दाढ़ी न नोच ली, तो कहना।’ इतना कहकर बेगम किचन में घुस गईं।

2 comments:

  1. :-) वैसे आपकी बेग़म की बात काबिले गौर तो है......
    अनु

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    पीताम्बर दत्त शर्मा,
    हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
    R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
    जिला-श्री गंगानगर।

    Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)

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