अशोक मिश्र
मेरे मोहल्ले में रहती है छबीली। पूरे मोहल्ले के दिलों की धड़कन है छबीली। युवाओं के दिल की धड़कने उसे देखते ही बढ़ जाती है, चेहरे पर रौनक आ जाती है। लेकिन महिलाएं जब उसे अपने घर के आसपास देखती हैं, तो इस भय से उनके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं कि कहीं रमुआ के पापा तो लप्पो-छप्पो नहीं कर रहे थे इसके साथ। आज घर पहुंचा तो देखा कि दशहरे के हाथी की तरह सजी-संवरी छबीली विराजमान है। घरैतिन से मूक नजरों से भीतर ही भीतर प्रसन्न होते हुए सवाल किया, तो वह बोली, 'आप यहीं आकर बैठिए, मैं जरा चाय-पानी की व्यवस्था करती हूं।' मैं हैरान रह गया कि कल तक छबीली के नाम से भड़कने वाली घरैतिन आज मुझे उसके साथ बैठने को कह रही हैं, तो जरूर कोई लोचा है।
मैंने उसके सामने बैठते हुए उसे भरपूर नजरों से निहारा, तो वह मुस्कुराई। बोली, 'जीजू...आप जानते ही हैं कि बहुत जल्दी मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है। मैं आपसे यह पूछने आई हूं कि अगर बैक डोर से मेरी मंत्रिमंडल में इंट्री होती है, तो कौन सा विभाग मांगू।'
यह एक और धमाका था मेरे लिए। कल तक पार्टी का झंडा उठाकर चलने वाली छबीली मंत्री बनने जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो मुझे देखकर बिदक जाया करती थी, वह आज जीजू कहकर संबोधित कर रही है। मैंने कहा, 'तुम कौन सा विभाग लेना चाहती हो।' उसने तपाक से मुस्कुराते हुए कहा, शिक्षा विभाग। उसकी बात सुनकर मुझे लगा कि मेरी कनपटी के नीचे बम विस्फोट हुआ है। 'छन्न' से कान बज उठा। वह इठलाती हुई बोली, 'बात यह है जीजू....बचपन में मैंने मास्टरों की बहुत मार खाई है। मास्टरों की मारने-पीटने और परीक्षा के दौरान कड़ाई करने के चलते ही मैं दसवीं में पांच बार फेल हुई और झख मारकर मेरे बाबू जी ने एक फटीचर के साथ मुझे बांध दिया।'
उसकी बात सुनकर मैं भौंचक रह गया। सोचने लगा कि इस देश के कुछ शिक्षा मंत्री तो पहले से ही शिक्षा व्यवस्था का कबाड़ा करने पर तुले हुए हैं, अब अगर यह भी उनमें शामिल हो गई, तो भगवान ही मालिक है इस देश-प्रदेश के नौनिहालों का। मैंने कहा, 'अरे नहीं..तुम कोई दूसरा विभाग देख लो, बच्चों को बख्श दो, यह उन पर बहुत बड़ी मेहरबानी होगी। वैसे भी शिक्षा मंत्री को बहुत पढ़ा लिखा होना चाहिए।'
मेरी बात सुनकर छबीली बमक गई, रोष भरे शब्दों में बोली, 'क्यों जीजू...जब मध्य प्रदेश में बिना पढ़े-लिखे लोग पीएचडी कर सकते हैं, डॉक्टर बन सकते हैं, फर्जी डिग्री हथिया कर मंत्री, सांसद और विधायक बन सकते हैं, तो मैं शिक्षा मंत्री क्यों नहीं बन सकती। झारखंड की वह बहन भी तो शिक्षा मंत्री है, जो प्रदेश को देश बना देती है। आखिर मेरे शिक्षा मंत्री बनने में क्या बुराई है।'
'देख..छबीली..शिक्षा मंत्री का पद बहुत जिम्मेदारी का पद है। यह देश-प्रदेश के नौनिहालों के भविष्य का सवाल है। तू दूसरा कोई भी विभाग ले ले, लेकिन यह विभाग तो भूलकर भी न लेना।' मैंने समझाने की कोशिश की।
मेरे इतना कहते ही वह कुछ रुष्ट स्वर में बोली, 'आप मुझे बेवकूफ समझते हैं। आप को मेरा टेस्ट लेना हो, तो ले लीजिए। आप तीन सवाल पूछिए और अगर मैं जवाब नहीं दे पाई, तो अपना इरादा बदल दूंगी। मैंने उसके यह कहते ही तपाक से पूछा, 'सिकंदर कौन था?' वह भी उसी तत्परता से बोली, 'जीजू..था नहीं, है कहिए। मेरी मौसी की बड़ी बेटी के देवर हैं सिकंदर बाबू। उनकी शादी मेरी बड़ी बुआ की देवरानी की बहन से हुई है। क्या पर्सनॉल्टी है उनकी..एकदम रणबीर कपूर लगते हैं।'
मैं उसका जवाब सुनकर सहम गया। मैंने धीमे स्वर में पूछा, 'और पोरस?' मेरा सवाल सुनकर पहले तो छबीली शरमाई और बोली, 'क्या जीजू..अब आप ठिठोली करने लगे। पोरस नहीं..पौरुष..यह तो उसमें काफी कूट-कूटकर भरा है। एकदम चौड़ा सीना, भरी-भरी मांसल बाहें, चौड़ा माथा..मेरी बड़ी बुआ की देवरानी के घरवालों ने तो उसे देखते ही पसंद कर लिया था। उसे देखकर न..कोई भी लड़की उस पर लट्टू हो सकती है। आपको सच बताऊं..कभी मैं भी लट्टू हुई थी, लेकिन मुए ने घास ही नहीं डाली।' छबीली का जवाब सुनकर मैं तीसरा सवाल करने का साहस नहीं जुटा पाया। मुझे चुप देखकर छबीली प्रसन्नता से उछल पड़ी और हांक लगाकर बोली, 'जिज्जी..मैंने जीजू को भी संतुष्ट कर दिया है। अब वे भी मान गए हैं। मैं अभी जाकर मुख्यमंत्री जी को बताती हूं कि मुझे शिक्षा विभाग ही चाहिए।' इतना कहकर वह दनदनाती हुई घर से निकल गई। घरैतिन हांक लगाती रह गईं, 'अरी चाय तो पीती जा..।' मैं तब से इस इंतजार में हूं कि मेरी साली छबीली साहिबा कब शिक्षा मंत्री बनती हैं और मैं लोगों पर रोब गांठ सकूं कि खबरदार! जो कभी तीन-पांच किया, तो साली से कहकर 'तीयां-पांचा' करवा दूंगा।
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