अशोक मिश्र
हाई स्कूल के एक छात्र ने 'केंद्र और दिल्ली सरकार के शांतिपूर्ण सहअस्तित्वÓ पर निबंध लिखा, 'दिल्ली में जब से लोकपाल बिल पास हुआ है, एकदम रामराज्य कायम हो गया है। राज्य सरकार के मंत्री, विधायक और नेता ही नहीं, विपक्ष में बैठे विधायक तक पहली तारीख को जनता के सामने अपनी कमाई का ब्यौरा पेश कर देते हैं। केंद्र और राज्य सरकार के बीच तो ऐसे संबंध हैं, जो कि बड़े भाई की सरकार केंद्र में हो और छोटे भाई की सरकार राज्य में। प्रधानमंत्री जी को जब भी किसी मामले में विचार-विमर्श करना होता है, तो वे अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ-साथ दिल्ली सरकार के मुखिया को भी बिठा लेते हैं। उनकी बातों को गौर से सुनते हैं और अगर लगा कि छोटे भाई यानी कि दिल्ली सरकार के मुखिया की बात में दम है, तो वे तुरंत उसे लागू भी कर देते हैं। अगर प्रधानमंत्री जी किसी काम से मुख्यमंत्री जी के घर के आसपास से गुजर रहे हों, तो वे उनके यहां जाकर कुछ देर बैठते हैं। मुख्यमंत्री जी भी प्रधानमंत्री जी को बिना कुछ खिलाए-पिलाए वापस नहीं जाने देते हैं।Ó दोनों भाई जब भी मीडिया के सामने आपसी संबंधों की चर्चा करते हैं, तो एक दूसरे की तारीफ के पुल बांधते ही रहते हैं। गले मिलते हुए फोटो खिंचवाते हैं।Ó
उस छात्र ने आगे लिखा, 'दिल्ली में एक 'एलजीÓ होता है। एलजी का फुलफॉर्म क्या होता है, मुझे नहीं मालूम। लेकिन सुनते हैं कि मुख्यमंत्री जी अपना राजकाज चलाने में इनसे बहुत सहयोग लेते हैं। 'एलजीÓ जी भी बड़े उदारमना हैं। जब भी पुलिस से संबंधित कोई मामला आता है, तो मुख्यमंत्री जी पुलिस अधिकारियों से कहते हैं कि एलजी साहब से पूछो क्या करना है। जब पुलिस वाले एलजी साहब के पास जाते है, तो एलजी साहब कहते हैं कि मुख्यमंत्री जी से पूछो। इस मामले में उनके ही आदेश चलेंगे। बेचारी पुलिस इन दोनों लोगों के अतिशय प्रेम के चक्कर में फंसकर वही करती है, जो उसे सुहाता है। कई बार तो यह सुहाना आम जनता पर ही भारी पड़ जाता है। लेकिन मजाल है कि दिल्ली की जनता इन तीनों लोगों के आपसी प्रेम और भाईचारे पर तनिक भी नाराज हो।Ó निबंध तो बहुत बड़ा था, लेकिन यह उसका सार-संक्षेप है।
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