Thursday, November 27, 2025

सुनी सुनाई बातों पर कैसा विश्वास?

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

व्यवस्था चाहे राजतंत्र वाली है या लोकतांत्रिक, राजा अथवा सत्ता पर काबिज व्यक्ति को सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। जब तक किसी व्यक्ति या संस्था के बारे में पूरी जानकारी हासिल न हो जाए, तब तक किसी फैसले पर नहीं पहुंचना चाहिए। कई बार सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करने से गलती होने की आशंका रहती है। इस मामले में एक बड़ी रोचक कथा है। 

किसी राज्य में एक विद्वान संत रहता था। लोग उसके पास अपनी समस्याओं को लेकर आते थे। विद्वान व्यक्ति उनकी समस्याओं को सुलझाने की जुगत बताता था। धीरे-धीरे उसके विद्वत्ता की ख्याति राजा तक पहुंची। राजा ने सोचा कि उसे भी अपने राज्य में रहने  वाले विद्वान संत से मिलना चाहिए और उसकी कुछ मदद करनी चाहिए। 

यह सोचकर एक दिन राजा उस विद्वान के पास पहुंचा और कहा कि मैंने सुना है कि आप बहुत गुणवान व्यक्ति हैं। आपकी प्रशंसा बहुत लोग करते हैं। आपकी विद्वत्ता के बारे में सुनकर मैं अपने को आप
से मिलने से नहीं रोक सका। यह कहकर विद्वान के सामने राजा ने स्वर्ण मुद्राओं से भरी पोटली रख दी। विद्वान ने उस पोटली को उठाया और एक ओर रखते हुए कहा कि राजन! आपने मेरे बारे में सुना है। लोगों ने मुझे विद्वान बताया है, तो आपने विश्वास कर लिया। लेकिन आपने मेरी विद्वत्ता को अनुभव नहीं किया है। 

कल यही लोग मुझे दुष्ट बता दें, तो आप सचाई जाने बिना मुझे दंड दे देंगे। राजा विद्वान की बात सुनकर लज्जित हुआ। उसने अगले महीने होने वाले शास्त्रार्थ में आमंत्रित किया। शास्त्रार्थ में विद्वान ने अपनी वाणी से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। तभी राजा ने प्रण किया कि वह सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करेगा।

प्रदूषण के चलते हरियाणा में बढ़ रहा बीमारियों का खतरा

 अशोक मिश्र

प्रदूषण की समस्या लगातार गहराती जा रही है। दिल्ली सहित पूरे देश के 749 में से 447 जिलों वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। प्रदूषण के मामले में दिल्ली सबसे पहले और चंडीगढ़ दूसरे स्थान पर रहे। मतलब यह है कि इस साल सबसे ज्यादा प्रदूषण दिल्लीवासियों और चंडीगढ़वासियों ने झेला है। यह स्थिति काफी गंभीर है। हरियाणा में भी पिछले काफी दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि यहां भी स्थितियां बदतर होती जा रही हैं। 

नवंबर महीने में राज्य में प्रदूषण के चलते आंखों में जलन जैसी समस्याओं को लेकर काफी संख्या में मरीज अस्पताल पहुंचे। आंखों में जलन, पलकों और उसके आसपास सूजन जैसी समस्याएं प्रदूषण की ही देन हैं। लोगों को गले में खराश जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है। राज्य में ग्रेप-3 लागू होने के बाद भी यदि प्रदूषण काबू में नहीं आ रहा है, इसका सीधा सा मतलब है कि नियमों का भारी पैमाने पर उल्लंघन किया जा रहा है। राज्य के कई जिलों में सड़कों पर धूल उड़ रही है। 

इसका कारण जिलों में भारी संख्या में बेतहाशा दौड़ते वाहन हैं। राज्य में भवन निर्माण पर प्रतिबंध होने के बावजूद ऐसा किया जा रहा है। इतना ही नहीं, बालू, मौरंग और सीमेंट आदि भी सड़कों पर ही रखी जा रही है जिसकी वजह से आते-जाते वाहनों की वजह से बालू, मौरंग और सीमेंट के अंश हवा में मिल रहे हैं। इससे भी लोगों को काफी परेशानी हो रही है। ग्रेप पाबंदियों के दौरान डीजल वाहन सड़कों पर नहीं दौड़ सकते हैं। इसके बावजूद राज्य के ज्यादातर जिलों में डीजल वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। 

डीजल चालित व्यावसायिक वाहनों के अलावा टैक्सी-आटो भी घूम रहे हैं। इन वाहनों को देखकर भी अनदेखी की जाती है। राज्य की सड़कों पर बेतहाशा दौड़ते वाहनों के साइलेंसरों से निकलता काला धुआं लोगों को बीमार बना रहा है। लोग दम घोटू प्रदूषण के बीच जीने को मजबूर हैं। कई जिलों में सड़कों और गलियों से कूड़ा-करकट भी उठाया नहीं जाता है। सड़कों और गलियों में पड़ा कूड़े के ढेर को आग लगाने की वजह से भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। 

दिन में सख्ती होने की वजह से लोग रात में कूड़ा जला रहे हैं ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई न की जा सके। यही नहीं, अस्पतालों में सफाई कर्मचारी मेडिकल वेस्ट और प्लास्टिक का निस्तारण करने की जगह पर उसमें आग लगा रहे हैं जिसकी वजह अस्पताल में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है। मरीज ही नहीं, अस्पताल के आसपास रहने वाले लोग दम घुटने, आंखों में जलन, सिर दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। प्रशासन भी इस मामले में मूक बना हुआ है। यदि हालात पर काबू नहीं पाया गया, प्रदेश में दिनोदिन विकराल रूप धारण करता प्रदूषण भारी समस्या बन जाएगा।

Wednesday, November 26, 2025

सेवा किए बिना नहीं आई नींद

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महाराजा विक्रमादित्य के बारे में हमारे देश में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से कुछ तो अविश्वसनीय प्रतीत होती हैं। जैसे एक कथा उनकी हरसिद्धि रहस्य के बारे में हैं। कथा के अनुसार, वह हर बारह साल में अपना सिर हरसिद्धि देवी को अर्पित कर देते थे। 

कहते हैं कि देवी के आशीर्वाद से हर बार उनका सिर फिर जुड़ जाता था। विक्रमादित्य के बारे में सिंहासन बत्तीसी नामक पुस्तक में भी कुछ जानकारियां मिलती हैं जो  उनके सिंहासन में बनी हुई बत्तीस पुतलियों ने सुनाई हैं। प्राचीन ग्रंथों में जो जानकारी मिलती है, उसके अनुसार विक्रमादित्य बहुत पराक्रमी राजा थे और उन्होंने शकों को पराजित करके अपने साम्राज्य का बहुत ज्यादा विस्तार कर लिया था। 

वह न्यायप्रिय और प्रजापालक राजा थे। वह वेष बदलकर अपने राज्य में घूमते रहते थे और दीन-दुखियों की समस्याओं का निराकरण करते रहते थे। एक बार की बात है, वह अपनी राजधानी उज्जैन में अपने गुरु से बातचीत कर रहे थे। उसी समय उन्होंने अपने गुरु से कहा कि आप मुझे कुछ ऐसा मंत्र या सूत्र बताएं जिससे मुझे और मेरी आगे की पीढ़ियों को प्रजा की भलाई करने की प्रेरणा मिलती रहे। 

विक्रमादित्य ने गुरु जी द्वारा बताई गई बातों को सिंहासन में मढ़वा दिया। एक दिन कार्य की व्यस्तता की वजह से कोई कल्याणकारी काम नहीं कर पाए। रात को जब पूरे दिन के कामों का स्मरण किया, तो उन्हें  बड़ी ग्लानि हुई। रात को  राजा को नींद भी नहीं आई। आधी रात को विक्रमादित्य अपने महल से बार निकले। देखा कि एक व्यक्ति सर्दी में ठिठुर रहा है। उन्होंने अपना दुशाला उसे ओढ़ाया और महल में लाकर उसी सेवा-सुश्रुषा की। तब जाकर उन्हें नींद आाई।

समाज के लिए घातक बनता जा रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

 

अशोक मिश्र

टेक्नोलॉजी हर किसी के लिए वरदान है, तो अभिशाप भी। अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ही बात करें,तो यह मानव समाज के लिए बहुत लाभकारी है। एआई के जरिये अब तो जटिल से जटिल आपरेशन तक किए जा रहे हैं। कैंसर जैसे रोगों में भी एआई से किए गए आपरेशन की सफलता दर कहीं ज्यादा अच्छी है। इतना ही नहीं, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एआई का उपयोग बेहतर तरीके से किया जा रहा है। एआई ने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। 

यदि कोई बुरा व्यक्ति इसका इस्तेमाल करता है, तो वह समाज में गंदगी ही फैलाएगा। पिछले कुछ दिनों से एआई के माध्यम से लोग अपराध को अंजाम दे रहे हैं। एआई के माध्यम से वीडियो और फोटो को मार्फकरके इन्हें अश्लील बनाया जा रहा है। पिछले दिनों गुड़गांव की आईटी कंपनी में काम करने वाली महिला को एआई से तैयार किए गए अपने ही वीडियो और फोटो देखने को मिली, जो अश्लील थी। किसी व्यक्ति ने उसकी फेक आईडी बनाकर एआई से आपत्तिजनक मार्फ करके उसकी फोटो को सोशल मीडिया पर डाली थी। यह देखकर वह महिला दंग रह गई। उसने तत्काल पुलिस से संपर्क किया। 

पुलिस ने जांच करके पता लगाया कि फेक आईडी बनाकर सोशल मीडिया पर डालने वाला आदमी असम में है। पुलिस ने झटपट एक टीम बनाकर असम पुलिस से संपर्क करके आरोपी को गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश करके ट्रांजिट रिमांड पर लिया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपी पीड़िता को पहले से ही जानता है। वह इससे पहले भी पीड़िता को परेशान कर चुका है। पीड़िता ने इससे पहले भी पुलिस में इसकी शिकायत की थी जिसकी वजह से पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। 

जमानत पर छूटने के बाद फिर उसने पुरानी हरकत दोहराई है। आरोपी ने फोटो को आपत्तिजनक बनाकर पोस्ट किया था। ऐसी घटनाएं अब बहुतायत में देखने-सुनने को मिलने लगी हैं। सामान्य नागरिकों से लेकर उच्च पदस्थ अधिकारी, मीडियाकर्मी, नेता और बॉलीवुड के हीरो-हीरोइन तक इस तरह की घटनाओं के शिकार हो चुके हैं। इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि अपने सोशल मीडिया एकाउंट को सुरक्षित रखा जाए। कोई भी ऐसी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाए जिससे कोई आपके घर, परिवार, कार्यालय आदि की पता लगा सके। आपके परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी हासिल कर सके। 

पूर्व में ऐसी भी कुछ घटनाएं सामने आई हैं जिसमें पता चला कि अपराधियों ने बच्चे का अपहरण करने या पुरुष-महिला की हत्या करने के लिए जानकारी सोशल मीडिया से जुटाई थी। कुछ लोगों की आदत होती है कि वह हर छोटे-छोटे मूवमेंट को सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं। ऐसा कतई न करें।

Tuesday, November 25, 2025

हाथियों को विश्वास है, रस्सी नहीं टूटेगी

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

विश्वास बड़ी चीज है। यदि एक बार किसी को भी यह विश्वास हो जाए कि वह फलां काम नहीं कर सकता है, तो वह क्षमतावान होते हुए भी काम नहीं कर पाएगा, भले ही वह काम बहुत मामूली हो। यह इंसान ही नहीं, जानवर के भी विश्वास की बात है। एक बार की बात है। एक व्यक्ति कहीं जा रहा था। रास्ते में उसने देखा कि गजशाला में बहुत सारे हाथी बंधे हुए हैं। 

जब वह हाथियों के बगल से गुजरा तो उसने देखा कि जिन रस्सियों से हाथी बंधे हुए हैं, वह बहुत पतले हैं। वह सोचना लगा कि इतने बलशाली हाथी भला इन पतली रस्सियों से क्यों बंधे हैं? और यह हाथी इन्हें तोड़कर भाग क्यों नहीं जाते हैं। वह चाहते तो एक ही झटके में इन रस्सियों को तोड़ सकते थे। यह बात उस आदमी की समझ में नहीं आ रही थी। 

उसने इस बात को महावत से जानने का प्रयास किया। वह एक बुजुर्ग महावत के पास गया और अपनी बात रखते हुए कहा कि आप लोगों ने इन हाथियों को लोहे की जंजीरों की जगह रस्सियों से क्यों  बांध रखा है? यह हाथी रस्सी तुड़ाकर भाग गए तब क्या होगा? महावत ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह कतई नहीं भागेंगे। उस आदमी को आश्चर्य हुआ, उसने पूछा-क्यों? महावत ने कहा कि जब ये हाथी बहुत छोटे थे, तब भी इन्हीं रस्सियों से बांधे जाते थे। 

तब इन हाथियों में इतना बल नहीं था कि वह रस्सी को तोड़ सकें। इन्होंने काफी प्रयास किया। रस्सी नहीं टूटी। जैसे-जैसे यह बड़े होते गए, इन्हें विश्वास होता गया कि इन रस्सियों को तोड़ पाना उनके वश का नहीं है। अब यह इन रस्सियों से बंधे रहते हैं, लेकिन तोड़ने का प्रयास नहीं करते हैं। यह सुनकर वह आदमी समझ गया कि इन मामूली सी रस्सियों में हाथी क्यों बंधे रहते हैं।

हरियाणा को अपराध मुक्त बनाने को चल रहा आपरेशन ट्रैकडाउन

अशोक मिश्र

किसी भी देश और प्रदेश के विकास की आधारशिला आधारभूत संरचनाएं होती हैं। आधारभूत संरचनाएं तभी विकसित होती हैं, जब पूंजीपतियों को
देश या प्रदेश का वातावरण अपराधरहित हो, सड़कें और अन्य सुविधाएं मुकम्मल तौर पर हासिल हों और नौकरशाही का पूर्ण सहयोग हो। कोई भी पूंजीपति अशांत वातावरण में उद्योग लगाना नहीं चाहता है। प्रदेश के मुखिया नायब सिंह सैनी ने पिछले दिनों जापान में वहां के प्रसिद्ध उद्योगपतियों को हरियाणा में उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया था। 

उन्होंने प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए रुचि भी दिखाई थी। इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश का माहौल अपराधरहित हो। प्रदेश सरकार के निर्देश पर हरियाणा पुलिस पांच से 20 नवंबर तक आपरेशन ट्रैकडाउन मुहिम चला रखी थी, लेकिन मुहिम की सफलता को देखते हुए इसे आगे के लिए बढ़ा दिया गया है। पुलिस ने आपरेशन ट्रैकडाउन के तहत अब तक 4566 अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इनमें 1439 कुख्यात, वाछिंत और संगीन मामलों के अपराधी हैं। बाकी अपराधी अन्य मामलों के आरोपी हैं। 

आपरेशन ट्रैकडाउन का लक्ष्य प्रदेश को अपराध मुक्त बनाना है। दरअसल, पिछले काफी दिनों से प्रदेश में आपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही थीं। विदेश में बैठे अपराधी संगठन और उनके मुखिया अपने गुर्गों के माध्यम से संगीन अपराध करते रहते हैं। राज्य में गोलीबारी, फिरौती, अपहरण और हत्या जैसे गंभीर मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इसका तोड़ यह निकाला गया है कि प्रत्येक थाना इंचार्ज को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अपने इलाके के पांच गैंगस्टरों को गिरफ्तार करे। 

हरविंदर रिंदा, लखबीर लांडा, अर्श डाला,दीपक बॉक्सर, रितिक बॉक्सर, सचिन बिश्नोई ,काला जठेड़ी,रोहित गोदारा,  गोल्डी बराड़, अनमोल बिश्नोई, लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टरों ने हरियाणा और पंजाब में आतंक मचा रखा है। पुलिस इनके नेटवर्क खत्म करने के लिए आपरेशन ट्रैकडाउन चला रही है। पुलिस की रणनीति यह है कि प्रदेश के अपराधियों, गैंगस्टरों को गिरफ्तार करके विदेश में जा बसे गैंगस्टरों का नेटवर्कतोड़ दिया जाए। विदेश में रहकर ये गैंगस्टर यहां के अपराधियों के जरिये ही अपराध को अंजाम देते हैं। 

रोहित गोदारा, गोल्डी बराड़, अनमोल बिश्नोई, लॉरेंस बिश्नोई जैसे तमाम गैंगस्टर व्यपारियों, कारोबारियों और उद्योगपतियों से रंगदारी यहां के अपराधियों के जरिये ही वसूलते हैं। अपने दुश्मनों की हत्या भी वह इन्हीं अपराधियों से करवाते हैं। यदि पुलिस इन छुटभैये अपराधियों की नाक में नकेल डालने में सफल हो गई, तो बड़े गैंगस्टरों और अपराधियों का नेटवर्कछिन्न-भिन्न हो जाएगा। वैसे साढ़े चार हजार अपराधियों को गिरफ्तार कर लेना भी अच्छी खासी उपलब्धि मानी जाएगी।

Monday, November 24, 2025

राज कवि की पालकी ढोने वाला राजा

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

विजय नगर के राजाओं में सर्वाधिक कीर्ति हासिल करने वाले सम्राट कृष्णदेव राय खुद एक अच्छे कवि थे। उनके दरबार में साहित्यकारों, कलाकारों और विभिन्न कलाओं में पारंगत विद्वानों का बहुत आदर होता था। तमिल भाषा में लिखा उनका काव्य अमुक्तमाल्यद साहित्य की एक बहुमूल्य धरोहर है। कृष्णदेव राय का जन्म 17 जनवरी 1471 को हुआ था। इनके शासनकाल में पुर्तगाली भारत के पश्चिमी तट तक आ पहुंचे थे। 

सम्राट कृष्णदेवराय ने अनेक प्रसादों, मंदिरों, मंडपों और गोपुरों का निर्माण करवाया। रामस्वामीमंदिर के शिलाफलकों पर प्रस्तुत रामायण के दृश्य दर्शनीय हैं। एक बार की बात है। कृष्णदेव राय हाथी पर चढ़कर कहीं जा रहे थे। संयोग से उसी समय उसी रास्ते पर राजकवि की सवारी आ रही थी। राजकवि की पालकी को चार आदमी कंधों पर ढोकर ला रहे थे। 

राजकवि की पालकी जब नजदीक आ गई तो राजा कृष्णदेव राय ने अपने हाथी को रुकवाया और हाथी से उतर पड़े। वह पालकी की ओर बढ़े, तो वहां उपस्थित जनसमुदाय आश्चर्य से अपने राजा को देखने लगा। वास्तव में जब राजा कृष्णदेव राय इस तरह की यात्राओं पर निकलते थे, तो जानकारी मिलने पर जनसमुदाय उनके दर्शन के लिए आ जुटता था। कृष्णदेव राय ने चार में से एक आदमी को हटाया और उसकी जगह पालकी को लेकर चलने लगे। 

शोर सुनकर राजकवि को लगा कि कुछ गड़बड़ है। वह पालकी से बाहर निकले, तो राजा को पालकी उठाता देख बोले, महाराज! आप यह क्या कर रहे हैं? राजा ने कहा कि इतिहास में हो सकता है कि मैं एक सामान्य राजा के रूप में याद किया जाऊं। मेरा राज्य अस्थिर है। लेकिन आपका शब्द साम्राज्य सदियों तक रहेगा। इतिहास में मुझे कम से कम राजकवि की पालकी ढोने वाले राजा के रूप में तो याद किया जाएगा।

हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी सराहनीय

अशोक मिश्र

हरियाणा सरकार का अगले दो वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं को शून्य पर लाने का लक्ष्य है। पराली जलाने के मामले में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले काफी बदनाम थे। लेकिन संतोष की बात यह है कि हरियाणा सरकार के प्रयास से पराली जलाने की घटनाएं पिछले दो-तीन साल से लगातार घटती जा रही हैं। इस बार गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी में पराली जलाने की एक भी घटना प्रकाश में नहीं आई है। इन जिलों के किसानों ने पूरे प्रदेश के सामने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। 

इसके लिए जितनी प्रशंसा की जाए, उतना ही कम है। यही हाल रहा तो यह उम्मीद की जा सकती है कि निकट भविष्य में राज्य में एक भी घटना पराली जलाने की सामने नहीं आएगी। इस साल इस लक्ष्य में जींद, फतेहाबाद और हिसार के किसान बहुत पिछड़े हैं। इन जिलों में पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं जिससे राज्य सरकार काफी चिंतित है। हां, राहत की बात यह है कि फरीदाबाद, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा और कैथल जैसे जिलों में किसानों ने कम पराली जलाई है। 

यदि किसान थोड़ा और जागरूक हो जाएं, तो प्रदेश में प्रदूषण की समस्या को बिलकुल खत्म किया जा सकता है। पराली जलाने के मामले में नूंह ने विपरीत कार्य किया है। पिछले पांच साल में नूंह में पराली जलाने की एक भी घटना सामने नहीं आई थी, लेकिन इस बार एक किसान ने अपने खेतों में पराली जलाकर यह रिकार्ड तोड़ दिया। अगर प्रदेश स्तर पर पराली जलाने की बात की जाए, तो पिछले कई सालों के मुकाबले पचास प्रतिशत पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। 

पिछले साल जहां 21 नवंबर तक प्रदेश में 1193 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं प्रकाश में आई थीं, वहीं इस साल 21 नवंबर तक 603 घटनाएं हुई हैं। यह सही है कि पूरे उत्तर भारत में जो प्रदूषण है, उसमें पराली जलाने से पैदा हुआ प्रदूषण कुल प्रदूषण का केवल दस प्रतिशत ही है। लेकिन यदि इस दस प्रतिशत प्रदूषण पर रोक लगा दी जाए तो प्रदूषण के दूसरे कारकों पर भी ध्यान देने का मौका मिल जाएगा। पिछले कुछ दिनों से हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण इतना ज्यादा है कि लोगों का दम घुटने लगा है। ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 

इसका कारण भी दिनोंदिन बढ़ता प्रदूषण है। खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके प्रदूषण के चलते हर साल काफी संख्या में लोगों की असमय मौत हो रही है। इस मौत का आंकड़ा किसी खाते में दर्ज नहीं हो रहा है। यदि इन मौतों को रोकना है, तो सभी को सामूहिक प्रयास करना होगा। यह जिम्मेदारी केवल राज्य सरकार या न्यायायल की ही नहीं है, यह देश और प्रदेश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। सरकार केवल संसाधन मुहैया करा सकती है, उसको प्रयोग में लाना नागरिकों की जिम्ेदारी है।

Sunday, November 23, 2025

सच्चे मन से प्रयास करने वाला सफल होता है

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

रामकृष्ण परमहंस काली माता के भक्त थे। उनकी मां काली पर अगाध श्रद्धा थी। वह सर्वधर्म समभाव के हिमायती थे। उनका कहना था कि एक लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जिस तरह कई रास्ते हो सकते हैं। ठीक उसी तरह अपने आराध्य तक पहुंचने में वेदांत के साथ-साथ ईसाई और मुस्लिम धर्म सहायक हो सकते हैं। 

रामकृष्ण परमहंस के ही शिष्य थे स्वामी विवेकानंद जिन्होंने अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में सनातन धर्म की पताका लहराई थी। एक बार की बात है। परमहंस अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि कुछ मछुआरे जाल डालकर मछली पकड़ रहे हैं। 

परमहंस कुछ पल रुककर यह क्रिया देखने लगे। फिर उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि जाल में फंसी मछलियों को देखो और फिर बताओ कि यह मछलियां जाल में फंसने के बाद क्या कर रही हैं? सभी शिष्यों ने ध्यान से देखा और फिर एक शिष्य बोला कि गुरु जी! कुछ मछलियां तो चुपचाप पड़ी हैं। कुछ छटपटा रही हैं और कुछ जाल से निकलने का प्रयास कर रही हैं। 

कुछ तो निकल भी गई हैं। यह सुनकर परमहंस ने कहा कि इन मछलियों की तरह इंसान भी तीन तरह के होते हैं। जब कोई विपदा आ जाती है, तो शांत पड़ी मछलियों की तरह वे लोग हार मान लेते हैं। वहीं कुछ लोग उछलने वाली मछलियों की तरह प्रयास तो करते हैं, लेकिन वे पूरे मन से प्रयास नहीं करते हैं। कुछ लोग तो बाहर निकल जाने वाली मछलियों की तरह तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ते हैं, जब तक कि वह अपने प्रयास में सफल नहीं हो जाते हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि मनुष्य तीन तरह के होते हैं। जो सच्चे मन से प्रयास करता है, वही सफल होता है।

बहुत मुश्किल है हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को संगठित रखना


अशोक मिश्र

हरियाणा में लगभग जीत हुआा विधानसभा चुनाव हारने के बाद लगा था कि अब कांग्रेसी अपनी गलतियों से सबक सीखेंगे और एकजुट होकर काम करेंगे, ताकि भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हो सके। हालांकि अगले विधानसभा चुनाव में अभी लगभग चार साल बाकी हैं। यदि कांग्रेस एकजुट होकर प्रयास करे, तो इस बार की पराजय को अगली बार विजय में तब्दील हो सकती है। लेकिन एकजुटता और अनुशासन शायद हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने सीखा ही नहीं है या फिर इनका अहं पार्टी के अस्तित्व से भी कहीं ज्यादा अहमियत रखता है। 

तभी तो हरियाणा के नेता अपनी जिद और अहंकार को पार्टी से भी ऊपर रखते हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की बार-बार की चेतावनी को दरकिनार करते हुए हरियाणा के नेता बार-बार एक दूसरे से टकरा रहे हैं। इससे परेशान होकर कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई कमेटी का गठन किया था। कमेटी की आज पहले चरण की बैठक अंबाला में होनी है। 

बैठक के नतीजे तो अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन डर यह है कि कहीं यह अनुशासनात्मक कार्रवाई कमेटी भी गुटबाजी का अड्डा बनकर न रह जाए। प्रदेश में गुटबाजी इस कदर व्याप्त है कि जिस सांसद, विधायक या प्रदेश स्तरीय नेता के इलाके में कोई कार्यक्रम होता है, तो वह अपने गुट के हिसाब से ही पोस्टर, होर्गिंग्स या बैनर पर नेताओं के फोटो लगवाता है। 18 नवंबर को जब हिसार में वोट चोर, गद्दी छोड़ अभियान चलाया गया, तो उसके पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स से कुमारी शैलजा की तस्वीर गायब थी। कुमारी शैलजा कांग्रेस की सांसद हैं और दलित नेताओं में एक बड़ा चेहरा हैं। 

हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह यह बात बिल्कुल साफ कर चुके हैं कि पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स पर राष्ट्रीय नेताओं के अलावा राज्य के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों, विधायकों और स्थानीय नेताओं की तस्वीरें जरूर लगाई जाएंगी। इसके बावजूद कई जगहों पर पोस्टरों में नेताओं की तस्वीरें गायब दिखाई देती हैं। अंबाला में अनुशासन कमेटी की बैठक के बाद हो सकता है कि कुछ कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा होता है, तो निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक अच्छा कदम होगा। 

इससे उन लोगों को संदेश मिलेगा, जो पार्टी लाइन से अलग हटकर काम कर रहे हैं। किसी भी पार्टी की लोकप्रियता इस बात पर निर्भर करती है कि वह लोगों से कितनी जुड़कर काम करती है। उसके नेता किस तरह अनुशासित होकर काम करते हैं। उस पार्टी में कोई आंतरिक कलह है या नहीं। एक ही पार्टी के दो या तीन नेता जब आपस में लड़ रहे हों, तो वह प्रदेश की जनता को संयुक्त होकर लड़ने की सलाह किस मुंह से दे सकते हैं।