अशोक मिश्र
हमारे सामने समस्या चाहे कितनी भी बड़ी हो, लेकिन उस समस्या का समाधान जरूर होता है। कुछ लोग समस्या को देखते ही हार मान लेते हैं, लेकिन कुछ लोग उसका सामना करते हैं। जो समस्या का सामना करते हैं, वही समस्या से छुटकारा पाते हैं। समस्याएं हमारे सामने आकर यही समझाने की कोशिश करती हैं, लेकिन हम समझ नहीं पाते हैं। एक बार की बात है।
एक आदमी अपने गधे के साथ कहीं जा रहा था। रास्ते में काफी बड़े बड़े गड्ढे थे। आदमी और गधा इन गड्ढों में गिरने से बचने का हर संभव प्रयास कर रहे थे, लेकिन शायद उस आदमी की किस्मत खराब थी। उसका गधा एक बड़े से गड्ढे में गिर गया। उस आदमी ने अपने गधे को बाहर निकालने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। गड्ढे में गिरा गधा तड़प रहा था।
उससे गधे का तड़पना देखा नहीं जा रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैं इस गधे को बाहर नहीं निकाल सकता, तो क्यों न, इस गड्ढे को भर दिया जाए ताकि गधा बिना किसी तकलीफ के मर जाए ताकि इसे दर्द से छुटकारा मिल जाए और ज्यादा दिनों तक तकलीफ को झेलना न पड़े। उसने उस रास्ते से जा रहे कुछ लोगों की मदद ली। लोगों ने उस गड्ढे को पाटना शुरू कर दिया।
जब एक डलिया मिट्टी गड्ढे में पड़ती, तो गधा उसे बराबर बिछा देता। यह करते समय काफी समय बीत गया। लोग मिट्टी डालते रहे और गधा उस पर चढ़कर ऊंचा उठता गया। धीरे-धीरे गधा इतना ऊपर आ गया कि वह आसानी से गड्ढे से बाहर निकल सके। इस तरह अपनी हिम्मत और चतुराई से गधा बाहर आ गया। यह देखकर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ। वह गधे को लेकर अपने घर चला गया।