Sunday, October 19, 2025

गृहस्थ जीवन में बिठाना होगा सामंजस्य

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

संत कबीरदास भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वह समाज को बहुत गहराई से समझते थे। दार्शनिक जगत में भी उनका बेहतरीन दखल था। वह पाखंड को बहुत नापसंद करते थे। यही वजह है कि कई सौ साल पहले रची गई उनकी कविताएं आज भी समाज का मार्गदर्शन करती है। 

एक बार की बात है। एक युवक उनसे यह मार्गदर्शन लेने आया कि उसे विवाह करके गृहस्थ आश्रम में जाना चाहिए या संन्यासी हो जाना चाहिए। कबीरदास ने किसी प्रकार का प्रवचन देने की जगह उसे व्यावहारिक रूप से समझाने की बात सोची। उस समय दोपहर था। उन्होंने अपनी पत्नी को आवाज देते हुए कहा कि दीपक जला लाओ। उनकी पत्नी ने सहज भाव से दीपक जलाकर उनके पास रख दिया। 

थोड़ी देर बीतने के बाद उनकी पत्नी दो गिलास में दूध लाकर दोनों को दे दिया। कुछ देर बात उनकी पत्नी ने कबीरदास से पूछा कि दूध मीठा है या और चीनी लाऊं। तब तक युवक थोड़ा दूध पी चुका था। उसने पाया कि दूध में चीनी की जगह नमक डाला गया था। कबीरदास ने बड़े शांत भाव से कहा कि नहीं, दूध मीठा है। यह सुनकर युवक आश्चर्यचकित रह गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि खारे दूध को कबीरदास मीठा क्यों बता रहे हैं। 

तब कबीरदास ने उस युवक से कहा कि यदि तुम गृहस्थ जीवन में ऐसी स्थितियों का सामना कर सकते हो, तो विवाह कर लो। मेरी पत्नी जानती थी कि भरपूर उजाला है, लेकिन मेरे कहने पर वह दीपक जला लाई। उसने कुछ नहीं पूछा। यदि मैं उससे कहता कि दूध में नमक पड़ा है, तो उसे अच्छा नहीं लगता। उसकी कमियों को बड़ी सहजता से मैंने स्वीकर कर लिया। जीवन में दोनों को एक दूसरे के साथ ऐसे ही रहना होगा।

आइए! दीपावली पर हम मन के तिमिर को मिटाने का संकल्प लें

अशोक मिश्र

आज दीपावली है। दरअसल, दीप पर्व ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ को चरितार्थ करने का उत्सव है। अंधकार से प्रकाश की ओर चलने का संकल्प लेने का अवसर है दीपावली। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रकाश है क्या? ऊर्जा का एक परिवर्तित रूप है प्रकाश। एक विशेष किस्म की ऊर्जा ही प्रकाश है। और ऊर्जा किसमें? चेतन में, अचेतन (यानी जड़) में यानी समस्त पदार्थ में। इस संपूर्ण प्रकृति के प्रत्येक अंग, उपांग में ऊर्जा मौजूद है। 

इसका एक निहितार्थ यह हुआ कि संपूर्ण प्रकृति में जो कुछ भी है, वह ऊजार्वान है। इसी ऊर्जा के कारण के कारण प्रकृति में गति है। प्रकृति का निर्माण भी पदार्थ और गति से हुआ है। गतिमय पदार्थ और पदार्थ में गति। और अंधकार क्या है? प्रकाश का न होना अंधकार है। जब किसी पदार्थ में एक विशेष किस्म की ऊर्जा अनुपस्थित होती है, तब अंधकार होता है। अंधकार और प्रकाश पदार्थ के बिना नहीं हो सकते। अभौतिक नहीं हो सकते, अपदार्थिक नहीं हो सकते। प्रकृति विज्ञानी कहते हैं कि संपूर्ण प्रकृति की ऊर्जा का योग शून्य होता है। 

जब हमारे वैज्ञानिक कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, इसका एक मतलब यह भी है कि इस प्रकृति में कहीं न कहीं किसी जगह पर उतना ही तापमान घट रहा है क्योंकि इस संपूर्ण ब्रह्मांड में सभी तरह की ऊर्जा नियत है, निश्चित है। न उसे घटाया जा सकता है, न बढ़ाया जा सकता है। यह हमारी पृथ्वी या ब्रह्मांड के किसी हिस्से में हो सकता है, पृथ्वी से बाहर भी हो सकता है। यही प्रकृति की द्वंद्वात्मकता है। अंधकार और प्रकाश एक दूसरे के पूरक हैं। 

इस प्रकृति में जितना महत्व प्रकाश का है, उतना ही महत्व अंधकार का भी है। अंधकार उतना भी बुरा नहीं होता है, जितना हम समझते हैं। अंधकार के बिना प्रकाश का कोई महत्व नहीं है। संख्या एक का महत्व तभी तक है, जब तक संख्या दो मौजूद है। इस दीप पर्व पर हम संपूर्ण जगत को प्रकाशित तो करें, लेकिन तिमिर के महत्व को भी न भूलें। भारतीय दार्शनिक जगत में महात्मा बुद्ध ने ‘अप्प दीपो भव’ कहकर प्रकाश और तिमिर को पारिभाषित किया। उन्होंने कहा कि अपना प्रकाश खुद बनो। इसका एक तात्पर्य यह भी हुआ कि अपने भीतर प्रकाश पैदा करो। भीतर तम है, प्रकाश की आवश्यकता है। 

तम किसका है? अज्ञानता का है, रूढ़ियों का है, अंध विश्वासों का है, सामाजिक, राजनीतिक वर्जनाओं का है। पाबंदियों का है। इन्हें दूर करने के लिए महात्मा बुद्ध कहते हैं कि अप्प दीपो भव। इसका एक दूसरा तात्पर्य यह हुआ कि अपना आदर्श खुद बनो। आज दीप पर्व पर हमें यही संकल्प लेना है कि हम अपनी अज्ञानता रूपी अंधकार से मुक्ति पाएं। अंध विश्वास से दूर रहें। लोगों के कल्याण की भावना ही हमारा अभीष्ट हो। दीपावली समस्त संसार के लिए शुभ हो।

सुकरात के अमीर मित्र का भौंड़ा प्रदर्शन

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

कुछ लोग अपनी धन-संपदा का भौंडा प्रदर्शन करने में ही अपनी शान समझते हैं। पुराने समय में जमींदार या धनी लोग समाज से किसी प्रकार के आयोजन में जब बुलाए जाते थे, तो पहली बात वह अपने किसी प्रतिनिधि को भेज दिया करते थे। यदि किसी कारणवश उन्हें जाना भी पड़ा, तो अपनी संपन्नता का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते थे। 

यदि सामूहिक रूप से भोज का आयोजन किया जाए, तो वह विशेष बर्तन जैसे सोने-चांदी से बने बर्तन में ही खाना पसंद करते थे। पहनावे में भी उनके अमीरी झलकती थी। यूनान के महान दार्शनिक सुकरात के समय में भी कुछ लोग ऐसा ही करते थे। पता नहीं,यह कथा कितनी सही है, लेकिन कही जाती है। 

सुकरात के एक मित्र को अपनी अमीरी का प्रदर्शन करने का बड़ा शौक था। वह कहीं भी जाते थे, तो अपने साथ एक नौकर ले जाते थे जो उनके खाने-पीने के बर्तन साथ लेकर चलता था। वह अपने बर्तन के अलावा किसी दूसरे के बर्तन में खाते-पीते नहीं थे। सुकरात को अपने मित्र की यह आदत पसंद नहीं थी, लेकिन मित्रता की वजह से उन्हें कटु वचन कहना नहीं चाहते थे। 

एक दिन सुकरात ने अपने उस मित्र को खाने पर आमंत्रित किया। जैसे ही मित्र सुकरात के घर पहुंचा, वह उसे पुरुषों की भीड़ में ले गए। उनके नौकर को दरवाजे पर ही रोक दिया गया। उसी समय लोगों के लिए खाना परोस दिया गया। साधारण थाली में अपने सामने खाना देखकर मित्र असहज हो गया, लेकिन लोगों के अनुरोध करने पर खाना पड़ा। खाना खाने के बाद उनका मित्र जब विदा होने लगा, तो सुकरात अपने मित्र की थाली में खाना लेकर पहुंचे और कहा कि महिलाओं ने सोचा कि तुम इस थाली में अपने परिवार के लिए खाना लेकर जाओगे। इसलिए यह खाना औरतों ने भिजवाया है। यह सुनकर मित्र बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने यह आदत छोड़ दी।

किसानों, गरीबों और महिलाओं की हितचिंतक सैनी सरकार

अशोक मिश्र

हरियाणा की सैनी सरकार ने एक साल पूरे कर लिए हैं। अभी दो दिन पहले राज्य सरकार ने एक साल में पूरे किए गए 64 संकल्पों यानी वायदों की सूची भी जारी की है। एक तरह से इस सूची के माध्यम से सैनी सरकार ने अपने एक साल का हिसाब-किताब पेश किया है। सूची में यह भी बताया गया था कि लगभग साठ वायदों पर काम तेजी से चल रहा है। इन वायदों के भी बहुत जल्दी पूरे हो जाने की संभावना है। 

सरकार का दावा है कि उसने पिछले एक साल में किसानों की आय को बढ़ाने वाली नीतियों पर विशेष ध्यान दिया है। सैनी सरकार अपने आपको किसान, गरीब, युवा और महिलाओं के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध बता रही है। राज्य सरकार ने शुक्रवार को ही बुढ़ापा पेंशन में दो सौ रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी की है। अब बुजुर्गों को पेंशन के रूप में 32 सौ रुपये मिलेंगे। सरकार का कहना है कि वह देश में सबसे ज्यादा राशि बुढ़ापा पेंशन में दे रही है। जहां तक किसानों की बात है, यह सही है कि प्रदेश में किसानों की 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर हो रही है। इसके चलते किसानों को अपनी उपज का वाजिब दाम मिल रहा है। फसल बेचने के दो दिन बाद ही किसानों के खाते में उनके पैसे आ जाते हैं। 

पिछले 11 फसल सीजन में 12 लाख किसानों के खाते में 1.54 लाख करोड़ रुपये डाले गए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार किस तरह किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश कर रही है। प्रदेश सरकार ने वंचित रह गई अनुसूचित जातियों को उनका अधिकार दिलाने की दिशा में भी काफी सराहनीय कार्य किया है। सरकार के ही प्रयास से सरकारी नौकरियों, पंचायत और स्थानीय चुनावों में भागीदारी सुनिश्चित की जा सकी है। 

पिछड़ा वर्ग बी को पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में आरक्षण सैनी सरकार ने प्रदान किया है। सरपंच पद पर पांच प्रतिशत और अन्य पदों पर जनसंख्या का पचास प्रतिशत आरक्षण देना, सबसे बड़ा काम है। शुक्रवार को ही गरीबों को सौ-सौ गज के 8029 प्लाट वितरित किए गए हैं। किसी भी व्यक्ति यह सपना होता है कि उसका भी एक घर हो। वह अपने घर को अपनी मनमर्जी के मुताबिक सजाए, अपने हिसाब से उसमें रहे। यह सौभाग्य हासिल करने में कम से कम गरीब लोग कम ही सफल होते हैं। 

ऐसी स्थिति में यदि सस्ते दाम पर कोई सरकार गरीबों को प्लाट या मकान दिला दे, तो इससे बढ़कर सराहनीय कार्य और क्या हो सकता है। पिछले एक साल में विभिन्न आवास योजनाओं के माध्यम से प्रदेश के 77 हजार से अधिक परिवारों को यह लाभ दिया गया है। दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना के माध्यम से प्रदेश सरकार नारी शक्ति को मजबूत करने जा रही है। लक्ष्मी योजना से महिलाएं स्वावलंबन की ओर अग्रसर होंगी।

Saturday, October 18, 2025

गांधी का सत्याग्रह निकला अचूक हथियार


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद पहले देश और यहां के लोगों के रहन-सहन आदि का अध्ययन करने का फैसला किया। उन्होंने शहर से लेकर गांव-देहात की पदयात्राएं कीं, भारत की कमियों और खूबियों को अच्छी तरह से समझा। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस में काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें यह समझ में आ गया कि भारत के लोगों को कैसे जगाना होगा। उन्हें आजादी के लिए कैसे प्रेरित करना होगा, ताकि अहिंसा के रास्ते से आजादी हासिल हो सके। उन्होंने सत्याग्रह करने का फैसला किया। सत्याग्रह करने का विचार महात्मा गांधी को भारत से नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीका से मिला था। एक बार की बात है। महात्मा गांधी रेलगाड़ी से डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे। उनके पास पहले दर्जे का टिकट था। वह गाड़ी में बैठे हुए थे, तभी एक अंग्रेज अफसर आया। उसने महात्मा गांधी को तीसरे दर्जे में जाकर बैठने को कहा। महात्मा गांधी ने कहा कि उनके पास पहले दर्जे का टिकट है। लेकिन अंग्रेज नहीं माना। उसने महात्मा गांधी को जबरदस्ती प्लेटफार्म पर धक्का देकर उतार दिया। महात्मा गांधी को बहुत बुरा लगा। एक बार उन्होंने सोचा कि यह अपमान सहने से बेहतर है कि वह अपना काम अधूरा ही छोड़कर वापस लौट जाएं। क्या वह अपमान सहने के लिए ही पैदा हुए हैं? लेकिन उनकी अंतरात्मा ने कहा कि उन्हें इसका प्रतिरोध करना चाहिए। वह जाकर वेटिंग रूम में बैठ गए। उनका ओवरकोट और सामान गाड़ी में रह गया था। इसके बाद उन्होंने अफ्रीका में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। जिसके कारण वह दक्षिण अफ्रीका में बहुत मशहूर हो गए और हुकूमत को कई मामलों में पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।



खुलेआम उड़ाई जा रही ग्रेप वन पाबंदियों की धज्जियां

अशोक मिश्र

कुछ ही दिनों में सर्दियां आ जाएंगी। हलकी सर्दी पड़ने लगी है। इसके बावजूद हरियाणा के कुछ जिलों में प्रदूषण की समस्या काफी गंभीर हो गई है। दिल्ली और हरियाणा सरकार ने अभी से सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। दिल्ली एनसीआर में ग्रेप वन लागू कर दिया गया है। तीन दिन बाद दीपावली है। दीपावली पर वैसे भी प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर होता है। 

हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने कुछ दिनों के लिए ग्रीन पटाखों को जलाने की इजाजत दी है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि प्रदेश में लोग ग्रीन पटाखे ही खरीदेंगे और उसको चलाएंगे। ग्रीन पटाखों की आड़ में प्रदूषित करने वाले पटाखे भी खरीदे-बेचे जाएंगे। इसे रोक पाना सरकार के वश में नहीं है। दिल्ली सरकार ने तो प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बरसात कराने की पूरी तैयारी कर ली है। 

यदि दिल्ली में जरूरत महसूस की गई, तो कृत्रिम बरसात भी कराई जा सकती है। हरियाणा में जो एहतियातन कदम उठाए जा सकते हैं, वह सरकार उठा रही है और भविष्य में भी उठाएगी। सबसे पहले तो राज्य सरकार ने पराली को जलाने से रोकने के लिए प्रत्येक पचास किसानों पर एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है, ताकि खेतों में जलने वाली पराली पर ध्यान रखा जा सके। यदि कोई किसान पराली जलाता हुआ पाया जाए, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। वैसे प्रदेश सरकार ने धान की कटाई करने वाले कम्बाइन हार्वेस्टर्स पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट यूनिट लगवाना अनिवार्य कर दिया है। 

यदि कोई कंबाइन हार्वेस्टर मालिक इस आदेश का उल्लंघन करता हुआ पाया गया तो उसका हार्वेस्टर जब्त कर लिया जाएगा। इतना ही नहीं, हार्वेस्टर संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वैसे जो किसान अपने खेत की पराली को नहीं जलाएंगे, उन किसानों को ईनाम भी दिया जाएगा। इससे पराली को खेतों में न जलाने की प्रेरणा मिलेगी। राज्य के कई जिलों में निर्माण कार्यों की वजह से भी प्रदूषण गहराता जा रहा है। कहीं पर सड़क निर्माण हो रहा है, तो कहीं पर कई मंजिली इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। यह सब कुछ उन क्षेत्रों में भी हो रहा है जिन जिलों में ग्रेप वन लागू है।  

ग्रेप वन वाले जिलों में ढाबों, रेस्टोरेंट आदि में भट्टी खुलेआम जल रही है। कोई उसकी जांच करने वाला नहीं है। कई बड़े उद्योगों में भी कोयले का उपयोग हो रहा है, लेकिन सरकारी आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह भी सही है कि कुछ इलाकों में ऐसे उद्योगों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इसके बावजूद यह यही है कि पूरे प्रदेश में प्रदूषण के चलते सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में सांस, हृदय और त्वचा संबंधी बीमारियों के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इन  रोगियों में बच्चे और बूढ़ों की संख्या काफी है। सबसे ज्यादा प्रदूषण का प्रभाव इन्हीं लोगों पर दिखाई देता है।

Friday, October 17, 2025

रेखाएं बोलेंगी, तभी चित्र बन पाएगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

लियो नार्डो दा विंची केवल एक चित्रकार ही नहीं थे, वह महान वैज्ञानिक, ड्राफ्ट्समैन, सिद्धांतकार, इंजीनियर और मूर्तिकार भी थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1452 को इटली के विंसी शहर में हुआ था। दा विंची के माता-पिता ने इनके पैदा होने के एक साल बाद अलग हो गए थे और अलग-अलग विवाह कर लिया था। 

विंची का बचपन काफी परेशानियों के बीच बीता। 14 साल की उम्र में विंची ने फ्लोरेंस के एक ख्याति प्राप्त मूर्तिकार का स्टैंड ब्वाय बन गया था। यही से उनमें चित्रकला और मूर्तिकला में रुचि पैदा हुई थी। एक बार की बात है। उन्हें इटली के एक गिरिजाघर की दीवारों पर चित्र बनाने का काम दिया गया। 

उन्होंने यह काम स्वीकार कर लिया। वह गिरिजाघर जाते और कुछ देर दीवारों को देखने के बाद वह लोगों के चेहरों को गौर से देखने लगते। ऐसा काफी दिनों तक चला। कुछ लोगों को लगा कि विंची आलसी हो गए हैं। वह काम करना नहीं चाहते हैं। कुछ लोगों ने इसकी शिकायत राजा से कर दी। राजा ने लियोनार्डो को दरबार में बुलाया और चित्र बनाने में हो रही देरी का कारण पूछा। 

विंची ने मुस्कुराते हुए कहा कि रेखाएं तब तक नहीं बोलेंगी, जब तक मैं उन्हें समझ न लूं। मैं कोई आलसी नहीं हूं, धैर्यवान हूं। राजा उनकी बात को समझ गया। उसने लियोनार्डो को अपनी इच्छा से काम करने को स्वतंत्र कर दिया। इस काम में कई साल लग गए। लेकिन जब उनका चित्र पूरा हुआ, तो पूरा मिलान शहर आश्चर्यचकित रह गया। उनके चित्र की एक-एक रेखाएं बोलती सी लग रही थीं। चित्र के हर चेहरे पर रंगों की नहीं, बल्कि जीवन की गति थी। वैसे लियोनार्डो का सबसे अनमोल कृति द लास्ट सपर मानी जाती है।

चल रहा कर्ज देने के नाम पर अवैध वसूली का व्यापार

अशोक मिश्र

मकान, दुकान या दूसरी जरूरतों आदि के लिए लोगों को ऋण देने वाली निजी कंपनियां पिछले काफी दिनों से लोगों का शोषण कर रही हैं। कुछ फाइनेंस कंपनियों ने तो इसे लोगों को डरा धमकाकर अवैध वसूली का धंधा बना लिया है। वैसे तो आमौतर पर चिटफंड फाइनेंस कंपनियां लोगों से विभिन्न योजनाओं के नाम पर पैसे जमा कराती हैं। जब किसी इलाके में एक मोटी रकम जमा हो जाती है, तो कंपनी के पदाधिकारी और कर्मचारी रफूचक्कर हो जाते हैं। 

फंस जाता है बेचारा स्थानीय निवासी जिसको आगे करके फाइनेंस कंपनियां लोगों को अपने जाल में फंसाती हैं। लेकिन हरियाण और दिल्ली में कुछ अलग ही किस्म की धोखाधड़ी की गई है। फाइनेंस कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार साढ़े पांच सौ से ज्यादा लोग बताए जा रहे हैं। इन लोगों ने एक निजी फाइनेंस कंपनी से लोन लिया था। इसके लिए एक स्थानीय व्यक्ति को मध्यस्थ बनाया गया था। उस आदमी ने रेहड़ी, ठेले वालों को दो हजार से पचास हजार रुपये तक ऋण दिलाया। 

ऋण देते समय दो ब्लैंक चेकों पर हस्ताक्षर करवाकर कंपनी ने जमा करा लिया। लोन मिलने के बाद मध्यस्थ ने एक कर्मचारी को नौकर रखकर ऋण लेने वालों से छह सौ रुपये रोज के हिसाब से वसूले और कंपनी में जमा कर दिया। सारा लोन चुकता होने के बाद भी कंपनी ने मनमानी रकम भरकर चेकों को बैंक में जमा करा दिया। जब बैंक ने उचित बैलेंस न होने की वजह से चेक बाउंस कर दिया, तो कंपनी ने देनदारों के खिलाफ मुकदमा कर दिया। अब सारा कर्ज चुकाने के बावजूद 550 से अधिक लोग कोर्ट के चक्कर काटने पर मजबूर हैं। 

मजे की बात यह है कि फाइनेंस कंपनी न तो कहीं रजिस्टर्ड है और न ही कंपनी इनकम टैक्स भरती है। पीड़ितों ने दिल्ली अपराध शाखा में इसकी शिकायत भी की, मामले की जांच चल रही है। हरियाणा में ही नहीं, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड जैसे तमाम राज्यों में फाइनेंस उपलब्ध कराने के नाम पर बहुत सारी फर्जी कंपनियां चल रही हैं। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद चिटफंड कंपनियों पर शिकंजा कसा गया है। कई चिटफंड कंपनियां न केवल बंद हुई हैं, बल्कि जनता से ठगी करने वालों को गिरफ्तार भी किया या है। वे सलाखों के पीछे हैं और अपनी करनी का फल भोग रहे हैं। 

इसके बावजूद चिटफंड कंपनियों ने लोगों को ठगने के लिए थोड़ा रूप बदल लिया है। निजी कंपनिया फाइनेंस करते समय अपने सारे नियम कायदे कानूनों की पूरी जानकारी नहीं देती हैं। इसके बाद वसूली शुरू करते हैं। तयशुदा रकम से कहीं ज्यादा की वसूली करने के बाद भी पीड़ित को  कई तरह से धमकाया जाता है। बैंकिंग कंपनियां तो मार्शलों के माध्यम से कर्ज लेने वालों को फोन पर या घर पर जाकर डराती धमकाती हैं। कई बार लोग परेशान होकर गलत कदम भी उठा लेती हैं।

Thursday, October 16, 2025

राजा ने ज्योतिषी को कारागार में डलवा दिया

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

किसी सज्जन आदमी को धोखा देना बहुत आसान है, लेकिन उस धोखे को ज्यादा दिन तक कायम रखना या ज्यादा दिनों तक धोखा दे पाना आसान नहीं है। एक न एक दिन पोलपट्टी जरूर खुल जाती है। जो व्यक्ति धोखा खाता है, वह भविष्य में किसी की मदद आदि नहीं करता है क्योंकि वह सोचता है कि अगला व्यक्ति भी धोखेबाज है। ऐसे में कई बार सच्चे आदमी पर भी लोग विश्वास नहीं कर पाते हैं। 

एक बार की बात है। एक राजा के दरबार में एक ठग आया। उसने चिकनी चुपड़ी बातों से राजा को प्रभावित कर लिया। उसने ऐसा जाहिर किया कि मानो वह बहुत बड़ा ज्योतिषी हो। राजा ने उसकी बातों से प्रभावित होकर उसे राज ज्योतिषी का पद दे दिया। हालांकि राजा के मंत्री ने इसका विरोध भी किया, लेकिन राजा ने मंत्री की बात नहीं सुनी। यह देखकर मंत्री चुप रह गया। 

कुछ दिन बाद राजा को खबर मिली कि पड़ोसी राजा उस पर हमला करने वाला है। उसने राज ज्योतिषी से पड़ोसी राजा को पराजित करने का  उपाय पूछा। राज ज्योतिषी बने ठग ने कहा कि एक कुंतल कोयला जलाने के बाद जितना धुआं बने, उतना लोहा मुझे दे दीजिए। मैं एक दिव्यास्त्र बना दूंगा जिससे कोई भी आपको पराजित नहीं कर पाएगा। राजा और दरबारी उसकी बात सुनकर चकित रह गए। 

तब मंत्री ने कहा कि एक कुंतल कोयला जलाने पर जितनी राख बचेगी, उसको तौलने पर जो कमी आएगी, उतना ही धुआं निकलेगा। यह सुनकर राज ज्योतिषी चुप रह गया। तब मंत्री ने कहा कि एक उपाय यह है कि यदि राज ज्योतिषी एक जलता हुआ कोयला हाथ पर रख लें, तो राज्य सुरक्षित रहेगा। यह सुनकर ठग राजा के पैरों पर गिर पड़ा और माफी मांगी। राजा ने उसे क्षमा करने की जगह कारागार में डलवा दिया।

वन विभाग से अनुमति लिए बिना पेड़ काटने पर लगी रोक

अशोक मिश्र

हरियाणा का पर्यावरण खराब होता जा रहा है। इसकी वजह प्रदेश में हर साल घटता वन क्षेत्र माना जा रहा है। पिछले दो साल में प्रदेश में 14 वर्ग किमी वन क्षेत्र घटा है। वन क्षेत्र घटने का कारण अवैध पेड़ों की कटाई को माना जा रहा है। वन माफिया अरावली वन क्षेत्र से लेकर अन्य जगहों पर भी पेड़ों की अवैध कटान कर रहे हैं। कई बार यह अवैध कटान संबंधित विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से होता है, तो कई बार वह सचमुच अवैध कटान से अनभिज्ञ होते हैं।  

इसके अलावा कई मामलों में यह भी देखा गया है कि सड़कों को चौड़ा करने के लिए बाधा बनने वाले पेड़ों को काटना मजबूरी हो जाती है। इसकी वजह से भी वन क्षेत्र घटता जाता है। राज्य में कुल वन क्षेत्र 3307.28 वर्ग किमी है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7.48\प्रतिशत है। इसमें से वन क्षेत्र 3.65 प्रतिशत है। अरावली पर्वत शृंखला पर पेड़ों की कटाई इतनी ज्यादा हुई है कि अवैध कटान को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भी मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है। अरावली क्षेत्र में अवैध खनन माफियाओं की वजह से वन क्षे घट रहा है। 

यह माफिया केवल अवैध खनन ही नहीं करते हैं, बल्कि पेड़-पौधों को भी काट ले जाते हैं। हरियाणा सरकार की नई वन परिभाषा की वजह सेभी वन क्षेत्र घटने की आशंका है। सैनी सरकार की नई वन नीति के मुताबिक, पांच हेक्टेयर  से कम क्षेत्र में उगे पेड़-पौधों और झाड़ियों को वन नहीं माना जाएगा। इस नई नीति के चलते पांच हेक्टेयर से कम वन क्षेत्र उगे पेड़-पौधों को लकड़ियों की तस्करी और व्यापार करने वाले काट ले जाएंगे। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है। 

अब हरियाणा सरकार ने अवैध वन कटान और पेड़-पौधों को कटने से बचाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ऐसा प्रयोग दिल्ली सरकार पहले भी कर चुकी है। प्रदेश सरकार ने नई एडवायजरी जारी करते हुए कहा कि अब राज्य के सरकारी और निजी संस्थानों में उगे पेड़ को काटने से पहले वन विभाग की अनुमति लेनी होगी। निजी संस्थानों में उगे पेड़ों को इससे पहले बिना वन विभाग की अनुमति लिए काट लेते थे। यह एडवायजरी प्रदेश के सभी जिलों में भेजी जा चुकी है। 

यह आदेश भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया है। प्रदेश सरकार एनजीटी के आदेश पर गाइड लाइन बनाने की तैयारी कर रही है। वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए वन विभाग हर साल प्रयास करता है। हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश का वन क्षेत्र घटता जा रहा है। इसका कारण यह है कि पौध रोपण के बाद उनकी देखरेख नहीं की जाती है। आधे से ज्यादा रोपे गए पौधे सूख जाते हैं और बाकी बचे पौधों में से कुछ को लावारिस पशु चर जाते हैं। कुछ ही पौधे सुरक्षित रह पाते हैं।