Friday, December 5, 2025

योग्य शिक्षक ने केलर को पढ़ना सिखाया

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

हेलेन एडम्स केलर का जीवन हमेशा संघर्षमय रहा। इसका कारण उनका दृष्टिहीन और बधिर होना था। जब वह 19 महीने की थीं, तभी एक बीमारी की वजह से वह दृष्टिहीन और बधिर हो गई थीं। ऐसी स्थिति में केलर का पढ़ना-लिखना और बोलना कितना कठिन रहा होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है।

 केलर का जन्म 27 जून 1880 को अमेरिका के अलबामा में हुआ था। ऐसे दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देना आज भी बहुत कठिन माना जाता है। 1880 में कितना कठिन रहा होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। माता-पिता अपनी बेटी को शिक्षा दिलाना चाहते थे, लेकिन कोई योग्य शिक्षक ही उन्हें पढ़ा सकता था। काफी प्रयास के बाद एनी सुलिवन नामक शिक्षिका केलर के जीवन में भगवान के रूप में आई। 

उसने मैनुअल अल्फाबेट और ब्रेल लिपि से पढ़ना लिखना सिखाना शुरू किया। धीरे-धीरे केलर ने एनी सुलिवन की सहायता से पढ़ना-लिखना शुरू किया। बोलना भी सुलिवन ने काफी प्रयास के बाद सिखा दिया। संकेतों और ब्रेल लिपि के माध्यम से केलर ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सीखा।  1902 में स्नातक की पढ़ाई करने के लिए हेलन केलर ने रेडक्लिफ कॉलेज में दाखिला लिया। 

इसके बाद उनमें लेखन का शौक जागा। उन्होंने अपनी जीवनी द स्टोरी आफ माई लाइफ लिखी जिसने उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्ध कर दिया। इस किताब का पचास से अधिक भाषाओं में अनुवाद हुआ। केलर ने महात्मा गांधी सहित कई विषयों पर कुल 14 पुस्तकें लिखीं। वह हमेशा दिव्यांगों और मजदूरों के पक्ष में लड़ती रहीं। 1964 में उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च सम्मान प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम प्रदान किया गया।

No comments:

Post a Comment