Sunday, December 14, 2025

जब चींटी सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सफलता का कोई निश्चित सूत्र या फार्मूला नहीं होता है। लेकिन यह तय है कि यदि व्यक्ति में लगन और हिम्मत हो, तो वह कठिन से कठिन काम करने में सफल हो सकता है। भले ही उसे सफलता मिलने में कुछ समय लगे। यह प्रसंग एक मूर्तिकार की सफलता से जुड़ा हुआ है। प्रसंग यह है कि किसी राज्य का एक दिन शिकार के लिए निकला।

 जंगल में उसे एक हिरन दिखा, तो वह उसका शिकार करने के लिए उसकी ओर चला गया। हिरन को भी राजा के आने की आहट मिल गई तो वह जंगल की ओर भागा। राजा ने हिरन का पीछा किया। हिरन का पीछा करते-करते राजा पहाड़ियों के नजदीक जा पहुंचा। 

वहां पहुंचने पर उसने देखा कि एक मूर्तिकाल पत्थर की मूर्तियां बना रहा था। उसने मूर्तियां बहुत अच्छी बनाई थीं। राजा ने उस मूर्तिकार से कहा कि मेरी भी एक अच्छी सी मूर्ति बना दो। मूर्तिकार ने विनम्रता से कहा कि आपकी मूर्ति बनाना मेरा सौभाग्य होगा, लेकिन कई दिन लग जाएंगे। राजा तैयार हो गया। मूर्तिकार राजा की मूर्ति बनाता, लेकिन अगले ही दिन तोड़ देता। वह कहा करता था कि मूर्ति अच्छी नहीं बनी है। इसी तरह कई दिन बीत गए। एक दिन निराश होकर मूर्तिकार अपनी मूर्तियों के पास बैठ गया। 

उसने देखा कि एक चींटी अनाज का एक दाना लेकर दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही है। वह बार-बार गिरती है, लेकिन प्रयास करना नहीं छोड़ती है। कई बार के प्रयास के बाद चींटी दाना लेकर दीवार पर चढ़ने में सफल हो गई। मूर्तिकार ने सोचा कि जब यह छोटी सी चींटी कई बार के प्रयास में सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं सफल हो सकता हूं। फिर उसने राजा की लगन से बहुत अच्छी मूर्ति बनाई जिसे देखकर राजा बहुत खुश हुआ।

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