अशोक मिश्र
एनीमिया हमारे देश की एक अहम समस्या है। इसके कारण भी कई हैं। गरीबी, भुखमरी और कुपोषण जैसे तमाम कारणों से देश की आधी आबादी यानी महिलाएं और कुछ पुरुष एनीमिया से पीड़ित पाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा कुछ और बढ़ जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि पांच में से एक गर्भवती महिला खून की कमी का शिकार होती है। यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है। खून की कमी की वजह से गर्भस्थ शिशु और महिला को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है। कई बार खून की कमी की वजह से गर्भवती महिला या बच्चे की मौत भी हो जाती है। हालांकि ऐसी घटनाएं हरियाणा नगण्य हैं, लेकिन राज्य में इस तरह का खतरा पूरी तरह दूर नहीं हुआ है। वैसे राहत की बात यह है कि तीन महीने पहले राष्ट्रीय स्तर पर जारी किए गए आंकड़ों में हरियाणा ने 2025-26 की पहली तिमाही में एनीमिया मुक्त अभियान में 85.2 अंक प्राप्त कर देश में दूसरा स्थान हासिल किया है। पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश है जिसने 88 अंक हासिल किए हैं। राज्य की इस सफलता के पीछे आयरन और फोलिक एसिड की भरपूर खुराक गर्भवती महिलाओं और सामान्य महिलाओं और लड़कियों को उपलब्ध कराना रहा है। हरियाणा के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय लक्षित समूहों में आयरन और फोलिक एसिड के मजबूत कवरेज को जाता है।रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा ने छह महीने से पांच साल तक के बच्चों में 90.5 फीसदी, 10 से 19 साल के आयु वर्ग और गर्भवती महिलाओं के कवरेज में 95 फीसदी लक्ष्य को हासिल किया। मगर स्तनपान कराने वाली माताओं में यह 65.9 फीसदी तक सीमित रहा। दरअसल, महिलाओं, बच्चियों और गर्भवती महिलाओं में खून की कमी का प्रमुख कारण पौष्टिक आहार का न मिलना माना जाता है, जो कि सही भी है। कुपोषण के चलते महिलाओं और लड़कियों में खून की कमी पाई जाती है, लेकिन यह भी सही है कि मध्यम आयवर्ग और अमीर घरों की महिलाओं में भी खून की कमी पाई जाती है। इसका कारण आधुनिक खानपान और जंकफूड का सेवन करना है।
आधुनिक जीवन शैली अपनाने की वजह से लड़कियां और महिलाएं जंकफूड पर ज्यादा निर्भर रहने लगी हैं जिसकी वजह से वह एनीमिया की शिकार हो रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं महीने में तीन दिन 9, 10, 23 और माह के अंतिम दिन गुड़ और चना बांटने का फैसला किया है। गुड़ और चना शरीर में रक्त आपूर्ति का बेहतरीन माध्यम माना जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुड़ और चना वितरण का फैसला लिया है। राज्य सरकार की यह एक अच्छी पहल है। सामान्य और गर्भवती महिलाओं को वैसे भी गुड़-चने का सेवन करना चाहिए?

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