अशोक मिश्रजैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार होता जा रहा है, लोगों का जीवन सरल होता जा रहा है। यह सही है कि टेक्नोलॉजी से देश और समाज को बहुत फायदे हैं। जीवन में सरलता और ठहराव आता जा रहा है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। जब से नई-नई टेक्नोलॉजी के चलते बैंकिंग प्रणाली आसान हुई है, लोगों को अब छोटे-मोटे कामों के लिए बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं, वहीं, कुछ चालाक लोगों ने टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर अपराध भी करना शुरू कर दिया है।
साइबर ठगी भी इसका सबसे आसान तरीका है। देश के विभिन्न इलाकों में छिपे बैठे साइबर ठग किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं। पिछले दिनों ही हरियाणा पुलिस ने पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह लोग ह्वाट्सएप पर लोगों से संपर्क करके उन्हें एक ऐप डाउनलोड करने को कहते थे। ऐप डाउनलोड होने के बाद साइबर अपराधी अपने शिकार को शेयर बाजार में पूंजी निवेश करने के लिए उकसाते हैं। शिकार जब अपराधियों पर विश्वास करने लगता है, तो पहले छोटी-छोटी रकम पूंजीनिवेश करने को कहते हैं। ऐप पर मुनाफा होता हुआ भी दिखाते हैं। जब उनका टारगेट यानी शिकार पूरी तरह मुट्ठी में आ जाता है, तब वह भारी भरकम रकम निवेश करने के लिए कहते हैं।
जब पूंजी निवेश हो जाता है, तो मुनाफा दिखाने वाला ऐप बंद हो जाता है और साइबर ठग अपने मोबाइल स्विच आफ करके बैठ जाते हैं या फिर सिम ही बदल लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी तरह साइबर ठगों के संपर्कमें आ जाए, तो वह उसे धमकाते भी हैं। हरियाणा में साइबर ठगी के मामले पिछले कई वर्षों से बढ़ते ही जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन इन पर लगाम लगाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। सरकार और पुलिस प्रशासन बार-बार लोगों को साइबर ठगों के मामले में जागरूक कर रही है, लेकिन उसका लाभ इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि लोग बिना मेहनत किए ढेर सारा पैसा कमाने के फेर में पड़ जाते हैं। अपनी लालची प्रवृत्ति के चलते ही लोग साइबर ठगों के चंगुल में फंसते हैं।
जब अपनी जमा पूंजी लुटा चुके होते हैं, तब वह पुलिस की शरण में भागते हैं। वैसे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर पुलिस प्रशासन साइबर अपराधियों सहित सभी प्रकार के अपराधियों को गिरफ्तार करने में पूरे मन से लगी हुई है। यही वजह है कि हरियाणा पुलिस को 2024 में साइबर धोखाधड़ी रोकने के मामले में देश में पहला स्थान मिला था। हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराधियों से लगभग 268.40 करोड़ रुपये बचाए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 76.85 करोड़ रुपये था। यह राशि 2023 की तुलना में 2024 में बचाई गई राशि तीन गुना और 2022 की तुलना में पांच गुना अधिक है।

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