अशोक मिश्र
किसी महिला या लड़की पर किसी भी कारणवश किया गया एसिड अटैक काफी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। संतोष की बात यह है कि हरियाणा में एसिड अटैक की घटनाएं बहुत कम, लगभग नगण्य सामने आती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में महिलाओं पर एसिड अटैक के मामले काफी संख्या में आते हैं। दिल्ली की ही एक एसिड अटैक के मामले की शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले की विस्तृत जानकारी हासिल करने के बाद न केवल आश्चर्य व्यक्त किया, बल्कि इसे राष्ट्रीय शर्म बताते हुए पुलिस को फटकार भी लगाई।
एसिड अटैक की घटना हुए 16 साल बीत गए हैं और कोर्ट में अभी ट्रायल ही चल रहा है। पीड़िता ने खुद सुप्रीमकोर्ट में पहुंचकर अपना दुखड़ा सुनाया था। पिछले सोलह साल से रोहिणी कोर्ट में ट्रायल ही चल रहा है और अब वह आखिरी स्टेज में है। इस मामले में सबसे ज्यादा दोषी अगर कोई है, तो पुलिस प्रशासन। पुलिस एसिड अटैक जैसे मामलों में गंभीरता नहीं दिखाती है।
ऐसा इस मामले को देखते हुए लग रहा है। जिस महिला या लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंककर उसे बदसूरत बना दिया जाता है, उसकी जिंदगी नरक के समान हो जाती है। कभी सुंदर दिखने वाला चेहरा जब बदसूरत हो जाता है, तो पीड़िता को खुद अपने चेहरे से नफरत हो जाती है। समाज के लोग भी उसके चेहरे को देखकर मुंह फेर लेते हैं। हिसार की रहने वाली कैफी पर होली के दिन 2011 में पड़ोसी ने झगड़े के चलते उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया था। जिससे उसका चेहरा तो बदसूरत हुआ ही, आंखें भी चली गईं। जब कैफी पर एसिड अटैक किया गया था, तब वह बच्ची थी। लेकिन बाद में किसी तरह कैफी ने अपने को संभाला और इसी साल उसने बारहवीं की सीबीएसई परीक्षा में 95.6 प्रतिशत अंक हासिल करके अपने समान एसिड अटैक का शिकार हुई बच्चियों के सामने एक उदाहरण पेश किया है।
अगस्त 2025 में ही भिवानी में एक शराबी पिता ने अपनी सत्रह वर्षीय बेटी के चेहरे पर तेजाब फेंककर बदसूरत बना दिया। बेटी के प्रति पिता को गुस्सा इस बात का था कि वह अपने पिता को शराब पीने से रोकती थी और कापी किताबों के लिए पैसा मांगती थी। हरियाणा में ऐसी छिटपुट घटनाएं सामने आती रहती हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने एसिड़ अटैक की शिकार महिलाओं और बच्चियों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान कर रखी है। उनकी प्लास्टिक सर्जरी भी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त होती है। इसके साथ ही पीड़िता को पच्चीस हजार रुपये की सहायता तत्कालप्रदान की जाती है। इलाज के दौरान या बाद में पचहत्तर हजार रुपये की सहायता प्रदान की जाती है।

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