Tuesday, March 17, 2015

घरैतिन और स्टिंग ऑपरेशन

अशोक मिश्र

मैं बाहर गैलरी में खड़ा हो रही बरसात का आनंद ले रहा था। घरैतिन खानदानी परंपरा के मुताबिक रसोईघर में खाना भी बना रही थीं और मेरी सात पुश्तों को न्यौतती भी जा रही थीं। रसोई घर से आवाज आ रही थी, 'बुढ़ा गए हैं, लेकिन आज भी ताक-झांक करने की आदत नहीं गई। इस कलमुंही बारिश में गैलरी में खड़े पता नहीं किस निगोड़ी को निहार रहे हैं आधे घंटे से।Ó घरैतिन की बड़बड़ाहट का आनंद लेते हुए मैंने चुटकी ली, 'अरे बेगम..बूढ़ा किसे कह रही हैं आप? जानती हो, हमारे गांव नथईपुरवा में एक बहुत पुरानी कहावत है, साठा..तब पाठा। लगता है तुमने शायद वह गजल नहीं सुनी जिसे सौ साल के बूढ़े भी गाते हुए कहते हैं, अभी तो मैं जवान हूं..अभी तो मैं जवान हूं..जवानी महसूस करने की चीज है..महसूस करो, तो सौ साल में भी आदमी जवान रहेगा, नहीं तो सोलह साल के बूढ़े भी आजकल बहुत मिल जाते हैं।Ó
हाथ में करछुल लिए घरैतिन किचन से बाहर आ गईं, 'तुम कैसे जवान हो..यह मुझे मालूम है..दो बच्चों के बाप हो गए हो, लेकिन छिछोरापन अभी तक नहीं गया? मेरे पास आपकी सारी करतूतों के प्रमाण हैं..देश-दुनिया में उजागर कर दूं, तो मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। मुझसे ज्यादा अकड़ दिखाने की कोशिश मत कीजिए।' घरैतिन की बात सुनकर मुझे ताव आ गया। मैंने कहा, 'ओए..सुन..तू अपने को 'खांसीवाल' मत समझ...अगर तेरे पास कोई सुबूत हो तो पेश कर..वरना खाली-पीली मुझे बदनाम मत कर।'
तभी कमरे से निकलकर मेरे कुल दीपक ने मोबाइल फोन पर एक रिकॉर्डिंग स्पीकर ऑन करके मुझे सुनानी शुरू की। मोबाइल के स्पीकर से आवाज आ रही थी, 'तुम चिंता मत करो..बुढिय़ा को भनक तक नहीं लगेगी..बस..समय पर आ जाना...।' यह आवाज सुनते ही मेरे होश उड़ गए। मैंने लपककर बेटे के हाथ से मोबाइल फोन छीना और उसमें मौजूद सारी रिकार्डिंग डिलीट करते हुए बेटे से कहा, 'गॉटर...तुम भी?' मानो कहा जा रहा हो, ब्रूटस..यू टू..। बेटे ने कुटल मुस्कान बिखेरते हुए कहा, 'हां पापा...मेरा बिना शर्त समर्थन हमेशा गृहाध्यक्ष की तरफ ही रहेगा...आपकी बहुत सारी रिकॉर्डिंग..वीडियो टेप वाली एक मोबाइल चिप मेरे मामा को कल ही भेजी गई है, ताकि वक्त जरूरत पर काम आए। इस चिप में  विभिन्न आंटियों..मौसियों..से की गई आपकी बातचीत, छेड़छाड़ की क्लिपिंग्स मौजूद हैं।'
मुझे अब उस शख्स पर गुस्सा आ रहा था जिसने स्टिंग ऑपरेशन जैसी वाहियात परंपरा को जन्म दिया था। मैंने घरैतिन के आगे हाथ जोड़ते हुए माफी मांगी, लेकिन घरैतिन ने यह कहते हुए समझौते से इनकार कर दिया, 'जेठ जी की अदालत में कल ही आपके खिलाफ मुकदमा दायर किया जा चुका है..आपको जो कुछ कहना है, वह जेठ जी की अदालत में कहिएगा। आज शाम तक मेरी जिठानी वकील की नोटिस भी आपको मिल जाएगी।' इतना कहकर वे अपने काम में मशगूल हो गईं और मैं लुटा-पिटा सा खड़ा बेटे को घूरता रहा।

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