अशोक मिश्र
सोचिए, अगर जिंदगी में यू-टर्न नहीं होता, तो जिंदगी कितनी नीरस और बेमजा होती। कल्पना कीजिए, आप पैदल या किसी वाहन पर बैठे बस नाक की सीध में चले जा रहे हैं, कोई मोड़ नहीं, कोई यू-टर्न (घुमाव) नहीं, तो आपका सफर कैसा होगा? बस..एक सरल रेखा में भागे चले जा रहे हैं। जीवन अगर सरल रेखीय हो, कोई सम-विषम परिस्थितियां न हों, तो जीवन का आनंद क्या रह जाएगा? इसलिए, एक बात तो तय मानिए, जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, यू-टर्न बहुत जरूरी है, चाय में चीनी और दाल में नमक और सरकारी-गैर सरकारी कामों में ली गई रिश्वत की तरह। अगर यू-टर्न नहीं, तो सब कुछ बेकार। बेस्वाद..बेमजा..बेलज्जत। भले ही वह राजनीति हो, पारिवारिक जीवन हो या फिर सामाजिक, यू-टर्न के बिना कोई मजा नहीं। जरा दिल पर हाथ रखकर सोचिए, अगर मोदी सरकार किसी भी मामले में यू-टर्न नहीं मारती, अपने सभी चुनावी वायदे पूरे करती, तो संसद का दृश्य क्या होता? संसद सत्र के दौरान सारे पक्षी-विपक्षी संसद में आते, एक दूसरे से 'हाय-हेल्लोÓ करते, बिल-शिल पेश होते, सारे सांसद हाथ उठाकर या मेज थपथपाकर उसका समर्थन करते और फिर घर चले जाते। संसद के बाहर रैलियां विपक्षी दलों की होतीं और प्रशंसा की जाती सरकार की। देश-प्रदेश की सरकार ने यह किया, वह किया आदि..आदि। संसद में इतना हंगामा हो पाता? संसद में किस्म-किस्म के डायलॉग, छीना-झपटी, हाथापाई और विपक्षियों का छाती पीट-पीटकर हाय-हाय करने का दृश्य देशवासी देख पाते? नहीं न..। इसी यू-टर्न की वजह से देश और प्रदेश में विरोधी दलों को मुद्दा मिलता है, आलोचना करने की ताकत मिलती है। यू टर्न की महत्ता को देखते हुए हमारे आधुनिक ऋषि-मुनियों ने योग में एक आसन की खोज की है, वह है पलटासान। अब आप जानते ही हैं कि अति हर किसी की बुरी होती है। अगर कोई सिर्फ और सिर्फ यू-टर्न को ही जिंदगी मान बैठे, तो उसे बीमार माना जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के लिए एक दवा ईजाद की गई है पलटमाईसिन। यह दवा हर कहीं नहीं किसी खास जगह पर ही मिलती है।
इतना ही नहीं, आप अपनी घरैतिन से साड़ी लाने का वायदा करके पड़ोसन को रुमाल दिलाकर देखिए, कितना मजा आता है। यह पारिवारिक किस्म का यू-टर्न है। घरैतिन को फिल्म दिखाने का वायदा कीजिए और छबीली के साथ फिल्म देखते पकड़े जाने पर होने वाली पिटाई की कल्पना करके देखिए, कैसा सुख मिलता है। यह सब अपने वायदे से यू-टर्न लेने का आनंद है। इसमें एक सनसनी है, उत्तेजना है, परमानंद है। जीवन में उन्नति, पदोन्नति और अवनति का यही मूल मंत्र है कि जीवन और राजनीति में हमेशा यू-टर्न की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए। बच्चे को सुबह चॉकलेट दिलाने का वायदा करके भूल जाइए, बच्चे को नाराज होकर मचलने दीजिए और फिर शाम को चॉकलेट के साथ चिप्स के पैकेट दिलाकर देखिए, बच्चा कैसे खुश होता है। इससे बच्चे को एक सीख मिलती है, यू-टर्न की कला में प्रवीणता हासिल होती है। जब वह बड़ा होगा, तो वह भी यू-टर्न मारने की कला से ओतप्रोत होगा।
सोचिए, अगर जिंदगी में यू-टर्न नहीं होता, तो जिंदगी कितनी नीरस और बेमजा होती। कल्पना कीजिए, आप पैदल या किसी वाहन पर बैठे बस नाक की सीध में चले जा रहे हैं, कोई मोड़ नहीं, कोई यू-टर्न (घुमाव) नहीं, तो आपका सफर कैसा होगा? बस..एक सरल रेखा में भागे चले जा रहे हैं। जीवन अगर सरल रेखीय हो, कोई सम-विषम परिस्थितियां न हों, तो जीवन का आनंद क्या रह जाएगा? इसलिए, एक बात तो तय मानिए, जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, यू-टर्न बहुत जरूरी है, चाय में चीनी और दाल में नमक और सरकारी-गैर सरकारी कामों में ली गई रिश्वत की तरह। अगर यू-टर्न नहीं, तो सब कुछ बेकार। बेस्वाद..बेमजा..बेलज्जत। भले ही वह राजनीति हो, पारिवारिक जीवन हो या फिर सामाजिक, यू-टर्न के बिना कोई मजा नहीं। जरा दिल पर हाथ रखकर सोचिए, अगर मोदी सरकार किसी भी मामले में यू-टर्न नहीं मारती, अपने सभी चुनावी वायदे पूरे करती, तो संसद का दृश्य क्या होता? संसद सत्र के दौरान सारे पक्षी-विपक्षी संसद में आते, एक दूसरे से 'हाय-हेल्लोÓ करते, बिल-शिल पेश होते, सारे सांसद हाथ उठाकर या मेज थपथपाकर उसका समर्थन करते और फिर घर चले जाते। संसद के बाहर रैलियां विपक्षी दलों की होतीं और प्रशंसा की जाती सरकार की। देश-प्रदेश की सरकार ने यह किया, वह किया आदि..आदि। संसद में इतना हंगामा हो पाता? संसद में किस्म-किस्म के डायलॉग, छीना-झपटी, हाथापाई और विपक्षियों का छाती पीट-पीटकर हाय-हाय करने का दृश्य देशवासी देख पाते? नहीं न..। इसी यू-टर्न की वजह से देश और प्रदेश में विरोधी दलों को मुद्दा मिलता है, आलोचना करने की ताकत मिलती है। यू टर्न की महत्ता को देखते हुए हमारे आधुनिक ऋषि-मुनियों ने योग में एक आसन की खोज की है, वह है पलटासान। अब आप जानते ही हैं कि अति हर किसी की बुरी होती है। अगर कोई सिर्फ और सिर्फ यू-टर्न को ही जिंदगी मान बैठे, तो उसे बीमार माना जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के लिए एक दवा ईजाद की गई है पलटमाईसिन। यह दवा हर कहीं नहीं किसी खास जगह पर ही मिलती है।
इतना ही नहीं, आप अपनी घरैतिन से साड़ी लाने का वायदा करके पड़ोसन को रुमाल दिलाकर देखिए, कितना मजा आता है। यह पारिवारिक किस्म का यू-टर्न है। घरैतिन को फिल्म दिखाने का वायदा कीजिए और छबीली के साथ फिल्म देखते पकड़े जाने पर होने वाली पिटाई की कल्पना करके देखिए, कैसा सुख मिलता है। यह सब अपने वायदे से यू-टर्न लेने का आनंद है। इसमें एक सनसनी है, उत्तेजना है, परमानंद है। जीवन में उन्नति, पदोन्नति और अवनति का यही मूल मंत्र है कि जीवन और राजनीति में हमेशा यू-टर्न की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए। बच्चे को सुबह चॉकलेट दिलाने का वायदा करके भूल जाइए, बच्चे को नाराज होकर मचलने दीजिए और फिर शाम को चॉकलेट के साथ चिप्स के पैकेट दिलाकर देखिए, बच्चा कैसे खुश होता है। इससे बच्चे को एक सीख मिलती है, यू-टर्न की कला में प्रवीणता हासिल होती है। जब वह बड़ा होगा, तो वह भी यू-टर्न मारने की कला से ओतप्रोत होगा।
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