अशोक मिश्र
उन्होंने अभी-अभी नई पार्टी की सदस्यता ली थी। पार्टी अध्यक्ष ने उनको पार्टी सदस्य घोषित करते हुए लुटियन जोन का प्रत्याशी घोषित कर यह भी संकेत दिया कि यदि उनकी पार्टी को बहुमत मिला, तो वही मुख्यमंत्री होंगी। यह कहते हुए पार्टी अध्यक्ष ने माइक उन्हें थमा दिया। माइक पकड़ते ही उनकी स्थिति ठीक वैसी ही हो गई, जैसी कभी महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन की हुई थी। उन्होंने कहना शुरू किया, 'मेरे प्यारे भाइयो और प्यारी बहनो! कुछ महीने पहले तक मैं इस पार्टी की सांप्रदायिक कहकर खिल्ली उड़ाती रही, दंगाइयों और गुंडों की पार्टी कहकर मजाक उड़ाया। इसे राष्ट्रवाद के नाम पर पूरे देश में दंगे भड़काने और लोगों को लड़वाने वाली पार्टी का खिताब दिया। जहां भी और जब भी मौका मिला, मैंने इसकी छवि को बिगाडऩे और सत्ता तक न पहुंचने देने की कोशिश की। तब इस देश में एक बहुत पुरानी पार्टी की सरकार थी। यह सरकार भी कोई कम भ्रष्ट नहीं थी। लेकिन अब मुझे एहसास हो गया है कि इस देश का भला अगर कोई पार्टी कर सकती है, तो यही जिसको कुछ महीने पहले तक मैं सांप्रदायिक समझती रही। कैसी विडंबना है कि मैं जिसे चोर समझती रही, वह तो थानेदार निकला।'
इतना कहकर उन्होंने गहरी सांस ली और उपस्थित लोगों पर निगाह दौड़ाई। उन्होंने पुलिसिया अंदाज में फिर से कहना शुरू किया, 'भाइयो और बहनो! अब मेरी आंखें खुल गई हैं। मुझे पता चल चुका है कि कौन अच्छा है, कौन बुरा। मैंने अब तक इस पार्टी के खिलाफ जो कुछ भी कहा, लिखा, सब डिलीट करती हूं। फेसबुक, ट्विटर और ब्लॉग पर अपनी नई पार्टी के खिलाफ उगला गया सारा जहर मैं जल्दी ही साफ कर दंूगी। मैं लुटियन जोन की जनता-जर्नादन से अनुरोध करती हूं कि वे मेरे द्वारा पहले कही गई बातों को नजरअंदाज करके अब से कही जाने वाली बातों पर गौर फरमाएं।'
उपस्थित भीड़ में फुसफुसाहट शुरू होते ही सबको ऐसे शांत होने का इशारा किया, मानो उनके हाथ में पुलिसिया छड़ी हो और उपस्थित लोग दंगाई भीड़। उनके इशारा करते ही सारे लोग चुप हो गए। विजयी मुद्रा में उन्होंने कहा, 'इस देश-प्रदेश को अगर कोई अच्छी तरह से चला सकता है, तो वह कोई एनजीओ वाला ही। एनजीओज चलाने वाले जानते हैं कि देसी-विदेशी पूंजी को कैसे आकर्षित किया जा सकता है। उस पैसे की बंदरबांट कैसे की जा सकती है कि कोई शक भी न करे और चंदा बराबर मिलता रहे। जब कोई एनजीओ वाला आपका मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री होगा, तो वह अपने साथ-साथ देश-प्रदेश का राजकोषीय घाटा मेनटेन रखेगा। कागजों पर विकास की रेलगाड़ी बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ेगी।' इतना कहकर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष की ओर देखा। पार्टी अध्यक्ष एनजीओज वाली बातों से कुछ असंतुष्ट से दिखे, तो उन्होंने हड़बड़ाते हुए कहा, 'अभी मैंने आप लोगों के सामने जो बातें कही हैं, उन्हें भूल जाइए। भविष्य में जिन बातों को रखूंगी, उन्हें याद रखिएगा। जय हिंद।Ó इतना कहकर सभा बर्खास्त कर दी गई।
उन्होंने अभी-अभी नई पार्टी की सदस्यता ली थी। पार्टी अध्यक्ष ने उनको पार्टी सदस्य घोषित करते हुए लुटियन जोन का प्रत्याशी घोषित कर यह भी संकेत दिया कि यदि उनकी पार्टी को बहुमत मिला, तो वही मुख्यमंत्री होंगी। यह कहते हुए पार्टी अध्यक्ष ने माइक उन्हें थमा दिया। माइक पकड़ते ही उनकी स्थिति ठीक वैसी ही हो गई, जैसी कभी महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन की हुई थी। उन्होंने कहना शुरू किया, 'मेरे प्यारे भाइयो और प्यारी बहनो! कुछ महीने पहले तक मैं इस पार्टी की सांप्रदायिक कहकर खिल्ली उड़ाती रही, दंगाइयों और गुंडों की पार्टी कहकर मजाक उड़ाया। इसे राष्ट्रवाद के नाम पर पूरे देश में दंगे भड़काने और लोगों को लड़वाने वाली पार्टी का खिताब दिया। जहां भी और जब भी मौका मिला, मैंने इसकी छवि को बिगाडऩे और सत्ता तक न पहुंचने देने की कोशिश की। तब इस देश में एक बहुत पुरानी पार्टी की सरकार थी। यह सरकार भी कोई कम भ्रष्ट नहीं थी। लेकिन अब मुझे एहसास हो गया है कि इस देश का भला अगर कोई पार्टी कर सकती है, तो यही जिसको कुछ महीने पहले तक मैं सांप्रदायिक समझती रही। कैसी विडंबना है कि मैं जिसे चोर समझती रही, वह तो थानेदार निकला।'
इतना कहकर उन्होंने गहरी सांस ली और उपस्थित लोगों पर निगाह दौड़ाई। उन्होंने पुलिसिया अंदाज में फिर से कहना शुरू किया, 'भाइयो और बहनो! अब मेरी आंखें खुल गई हैं। मुझे पता चल चुका है कि कौन अच्छा है, कौन बुरा। मैंने अब तक इस पार्टी के खिलाफ जो कुछ भी कहा, लिखा, सब डिलीट करती हूं। फेसबुक, ट्विटर और ब्लॉग पर अपनी नई पार्टी के खिलाफ उगला गया सारा जहर मैं जल्दी ही साफ कर दंूगी। मैं लुटियन जोन की जनता-जर्नादन से अनुरोध करती हूं कि वे मेरे द्वारा पहले कही गई बातों को नजरअंदाज करके अब से कही जाने वाली बातों पर गौर फरमाएं।'
उपस्थित भीड़ में फुसफुसाहट शुरू होते ही सबको ऐसे शांत होने का इशारा किया, मानो उनके हाथ में पुलिसिया छड़ी हो और उपस्थित लोग दंगाई भीड़। उनके इशारा करते ही सारे लोग चुप हो गए। विजयी मुद्रा में उन्होंने कहा, 'इस देश-प्रदेश को अगर कोई अच्छी तरह से चला सकता है, तो वह कोई एनजीओ वाला ही। एनजीओज चलाने वाले जानते हैं कि देसी-विदेशी पूंजी को कैसे आकर्षित किया जा सकता है। उस पैसे की बंदरबांट कैसे की जा सकती है कि कोई शक भी न करे और चंदा बराबर मिलता रहे। जब कोई एनजीओ वाला आपका मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री होगा, तो वह अपने साथ-साथ देश-प्रदेश का राजकोषीय घाटा मेनटेन रखेगा। कागजों पर विकास की रेलगाड़ी बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ेगी।' इतना कहकर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष की ओर देखा। पार्टी अध्यक्ष एनजीओज वाली बातों से कुछ असंतुष्ट से दिखे, तो उन्होंने हड़बड़ाते हुए कहा, 'अभी मैंने आप लोगों के सामने जो बातें कही हैं, उन्हें भूल जाइए। भविष्य में जिन बातों को रखूंगी, उन्हें याद रखिएगा। जय हिंद।Ó इतना कहकर सभा बर्खास्त कर दी गई।
No comments:
Post a Comment