बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
फ्रांस के एक कुलीन परिवार में नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म हुआ था। उसके पिता चार्ल्स बोनापार्ट को एक बार फ्रेंच दरबार में प्रतिनिधित्व का मौका मिला, तो वह अपने द्वितीय पुत्र नेपोलियन को भी अपने साथ ले गए। दरबार में मंत्रणा के दौरान लोगों ने जब नेपोलियन का आत्मविश्वास और साहस देखा, तो उसे सैनिक स्कूल में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की गई और वह आगे चलकर फ्रांस का सबसे महान सेनापति बना।
लेकिन चार्ल्स बोनापार्ट के जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था, जब उन्हें आर्थिक संकटों का सामना तक करना पड़ा। एक बार की बात है। बचपन में नेपोलियन अपनी बहन अलीसा के साथ घूमने निकला। रास्ते में एक लड़की सिर पर फलों की टोकरी रखे जा रही थी। संयोग से अलीसा का धक्का लगने से लड़की का फल गिरकर बिखर गया। फल गंदा भी हो गया। यह देखकर लड़की रोने लगी।
लड़की ने रोते हुए कहा कि अब उसके माता-पिता और भाई-बहन को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ेगा। फल तो खराब हो गए। यह सुनकर अलीसा ने कहा कि भाई, किसी ने देखा नहीं है, चलो हम भाग चलते हैं। नेपोलियन ने अपनी जेब से तीन फ्रैंक निकालकर उस लड़की को दिया और अपनी बहन से कहा कि गलती हमसे हुई है, हमें इसे भुगतना होगा। यहां से भाग जाना ठीक नहीं है।
इसके बाद नेपोलियन ने उस लड़की से कहा कि बहन, तुम मेरे घर चलो। तुम्हें और दाम दिला दूंगा। घर पर मां ने जब माजरा जाना, तो वह बहुत नाराज हुई। नेपोलियन ने कहा कि मां, मेरी जेब खर्च से इसको पैसा दे दो। मेरा विद्यालय का नाश्ता भी बंद कर दो। मां उस लड़की को डेढ़ महीने का जेब खर्च दे दिया। नेपोलियन को डेढ़ महीने तक जेब और नाश्ता नहीं मिला। इसके बावजूद नेपोलियन खुश रहा।
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