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Monday, September 1, 2025

बिच्छू का चरित्र है डंक मारना

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अगर मनुष्य में शील यानी चरित्र न हो, तो उसके सारे गुण बेकार समझे जाने चाहिए। चरित्र ही वह गुण है जिससे व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। अपने चरित्र से ही व्यक्ति महान बनता है और चरित्र अच्छा न होने की वजह से वह पूरी दुनिया में बदनाम होता है। यही वजह है कि हमारे धर्म ग्रंथों और पौराणिक ग्रंथों में सबसे ज्यादा सद्चरित्र की प्रशंसा की गई है। जिस व्यक्ति का चरित्र दूषित होता है, समाज में उसको प्रतिष्ठा नहीं मिलती है, भले ही वह व्यक्ति समाज के लिए कितना ही उपयोगी क्यों न हो? 

समाज के लोग दुष्चरित्र को अच्छी निगाह से नहीं देखते हैं। इंसान को अपने शील पर अडिग रहना चाहिए। एक बार की बात है। एक संत नदी में स्नान कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक बिच्छू पानी में बहा जा रहा है। बिच्छू को पानी में बहता देखकर संत को दया आ गई। 

उन्होंने सोचा कि इस निर्बल जीव के जीवन की रक्षा करनी चाहिए। यही सोचकर उन्होंने इधर उधर देखा और कोई वस्तु न मिलने पर उन्होंने हाथ से पकड़कर उसे नदी से बाहर करने की सोची। उन्होंने उस बिच्छू को हाथ से पकड़कर पानी से निकालने का प्रयास किया,तो उस बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया। इससे संत निराश नहीं हुए। उन्होंने अगली बार फिर प्रयास किया। इस बार भी वही हुआ। 

पांचवीं बार साधु को बिच्छू को बाहर निकालने में सफलता मिल गई। घाट के किनारे खड़ा एक शिष्य यह देख रहा था। शिष्य ने संत से पूछा-जब बिच्छू आपको डंक मार रहा था, तो आपने क्यों बचाया? संत ने कहा कि बिच्छू छोटा जीव है। उसका चरित्र डंक मारना है, लेकिन मनुष्य होने के नाते मेरा धर्म उसे बचाना था। सबको अपने चरित्र का पालन करना चाहिए।