इन दिनों हरियाणा शहर स्वच्छता अभियान के तहत सफाई अभियान चलाया जा रहा है। रविवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित भाजपा के सांसदों, मंत्रियों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों और स्थानीय निकाय के कर्मचारियों ने सफाई अभियान में भाग लिया। मंत्रियों और अधिकारियों के अभियान में शामिल होने लोगों में भी थोड़ा बहुत उत्साह रहा। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी अपने-अपने इलाकों में सफाई अभियान में भाग लेकर यह दिखाने का प्रयास किया कि वह भी शहर की सफाई को लेकर जागरूक हैं।
यह अच्छी बात है कि सबने सफाई अभियान में भाग लेकर लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया कि प्रदेश को स्वच्छ रखना बहुत जरूरी है। शहर के गंदा रहने से लोगों के बीमारियों से ग्रसित होने की आशंका रहती है, वहीं शहर की छवि भी खराब होती है जैसी पिछले कुछ दिनों से गुरुग्राम में पिछले काफी दिनों से चारों फैली गंदगी को लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हो रही है।
स्वच्छता अभियान की मंशा तो बहुत अच्छी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि यही स्वच्छता अभियान मई-जून महीने में चलाया गया होता तो शायद बहुत बेहतर होता। वैसे सैनी सरकार ने स्थानीय निकायों को यह चेतवानी बहुत पहले दे दी थी कि प्रदेश के सभी जिलों में नालों और सड़कों पर पड़ी गंदगी की सफाई 15 जून तक हो जानी चाहिए। यदि किसी इलाके में सफाई नहीं हुई, तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यदि उसी समय सफाई हो गई होती, तो आज जरा सी बारिश होने पर सड़कों और गलियों में जलजमाव नहीं दिखता।
हालत यह है कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में थोड़ी सी बरसात होने पर सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। सड़कों पर खुले मैनहोल और सीवेज बरसात में जानलेवा साबित हो रहे हैं। अब जब बरसात अपने चरम पर है,सड़कें पानी से भरी हुई हैं। ऐसी स्थिति में शहरों में स्वच्छता अभियान चलाने का कितना फायदा होगा, इस पर भी विचार करना होगा। आज बरसात के चलते सड़कों पर पानी और कीचड़ दिखने का कारण मई-जून में नालियों, सीवरेज की सफाई और मैनहोल की ठीक से देखभाल न होना है। वैसे यह स्वच्छता अभियान 25 नवंबर तक चलेगा।
ऐसी स्थिति में बरसात खत्म होते ही यदि स्थानीय निकाय के अधिकारी-कर्मचारी सहित स्वयंसेवी संस्थाएं स्वच्छता अभियान चलाएं तो नगरों को साफ सुथरा रखा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जनभागीदारी के लिए स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाए। साथ ही रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों और गैर-सरकारी संगठनों के सदस्यों को भी अभियान से जोड़ा जाए।
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