अशोक मिश्र
भारत ने कभी किसी भी देश पर हमला नहीं किया। यह भारत का इतिहास रहा है। यहां के राजा-महाराजा भले ही आपस में लड़ते-भिड़ते रहे हों, लेकिन राज्य विस्तार की कामना से हमारे देश का कोई भी शासक दूसरे देश पर कब्जा करने नहीं गया। लेकिन जब भी किसी देश ने हमारे देश पर हमला किया, तो उसका मुंहतोड़ जवाब जरूर दिया गया है।
बात 1965 की है। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। हमारे देश की सेना पाक सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दे रही थी। उन दिनों तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को किसी नगर में जाना पड़ा। जिस रास्ते से उनकी कार जा रही थी, उसी रास्ते पर सामने से एक बारात आ रही थी। दूल्हा आगे-आगे घोड़ी पर चल रहा था, उसके पीछे दुल्हन की डोली चल रही थी।
बाराती भी साथ में चल रहे थे। उन दिनों जो अमीर लोग थे, वही घोड़ी और डोली की व्यवस्था बारात के लिए कर सकते थे। जब शास्त्री जी की कार दुल्हन की डोली के बगल से गुजरी, तो दुल्हन ने उन्हें नमस्कार किया। शास्त्री जी को लगा कि दुल्हन उनसे कुछ कहना चाहती है। तो उन्होंने कार रुकवाई और डोली की ओर बढ़े। तब तक दुल्हन भी डोली से बाहर आ गई।
उसने अपने हाथ की दोनों सोने की चूड़ियां निकालकर शास्त्री जी को देते हुए बोली, मेरी ओर से सीमा पर लड़ने वाले सिपाहियों के लिए यह तुच्छ भेंट स्वीकार कीजिए। इतना कहकर वह शास्त्री जी के पैर छूने को झुकी, तो शास्त्री जी ने उसे रोकते हुए कहा कि हम बेटियों से पैर नहीं छुआते हैं।
इतने में दूल्हा भी घोड़ी से उतरकर आ गया और शास्त्री जी को प्रणाम करते हुए बोला, मुझे अपनी पत्नी पर गर्व है। तब शास्त्री जी ने कहा कि इस बेटी पर पूरे देश को गर्व है। इन्हीं बेटियों की बदौलत देश तरस्की करेगा।
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