Monday, September 22, 2025

कर्तव्य समझकर राजपाट संभालो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

हमें अपने काम को बोझ नहीं मानना चाहिए। काम चाहे आफिस का हो, घर का हो या समाज का, अगर उसे बोझ मान लिया, तो वह हमारे लिए एक मुसीबत बनकर रह जाएगा। यदि हम किसी काम को अपना कर्तव्य मानकर करते हैं, तो वह काम भी अच्छी तरह हो जाएगा और हमें परेशानी भी नहीं होगी। 

यही बात एक राजा को उसके राजगुरु ने आचरण करके समझाई, तो राजा की न केवल समस्त चिंता दूर हो गई, बल्कि वह अपने जीवन में भी खुशी महसूस करने लगा। किसी राज्य में कई वर्षों तक अकाल पड़ने से प्रजा बहुत परेशान हो गई। राजा भी चिंतित रहने लगा। वैसे राजा अपनी प्रजा के प्रति बहुत दयालु था और वह जरूरत पड़ने पर अपनी प्रजा की हर संभव मदद भी करता था। 

जब अकाल ने कई वर्षों तक पीछा नहीं छोड़ा, तो उसने कर वसूलना भी लगभग बंद कर दिया। इसकी वजह से राज्य की आय भी बहुत मामूली रह गई। अपने राज्य के हालात देखकर राजा बहुत चिंतित और उदास रहने लगा। वह सोचने लगा कि यदि अकाल जल्दी ही खत्म नहीं हुआ, तो संभव है कि पड़ोसी राजा हमें कमजोर मानकर हमला न कर दे। ऐसी हालत में लड़ना भी मुश्किल होगा। यह सब कुछ सोचने की वजह से राजा को रातभर नींद नहीं आती थी। उसकी भूख भी कम हो गई थी। 

यह बात जब राजा के राजगुरु को पता चली, तो उन्होंने राजा से कहा कि तुम ऐसा करो, राजपाट मुझे दे दो और एक कर्मचारी की तरह राजपाट संभालो। राजा ने ऐसा ही किया। अब उसे नींद भी आती थी और भूख भी लगती थी। छह महीने बाद राजगुरु ने राजा से पूछा-क्यों अब नींद आती है, भूख लगती है? राजा ने कहा कि हां अब भूख और नींद लगती है। तब राजगुरु ने कहा कि अब आप अपना काम कर्तव्य मानकर करते हैं। पहले बोझ समझते थे, इसलिए नींद नहीं आती थी। यह सुनकर राजा चुप रह गया।



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