Monday, September 8, 2025

आपदा काल में सबको एक साथ बढ़ाना चाहिए मदद के लिए हाथ

अशोक मिश्र

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बिल्कुल सही बात कही है कि आपदा के समय सबको मिलकर सहयोग करना चाहिए। ऐसे संकट के समय में यह भूल जाना चाहिए कि कौन पक्ष में है या कौन विपक्ष में। आपदा काल में यह भेद यदि भुलाकर काम किया जाए, तो जो लोग पीड़ित हैं, उन्हें जल्दी से जल्दी राहत मिल सकेगी और उनका बचाव हो सकेगा। यह बात सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर लागू होती है। जो आज सत्तापक्ष में है, वह कभी विपक्ष में भी रहा होगा, तब  उसने ऐसे अवसर पर जनता की कितनी मदद की है, यह भी उसे स्मरण रखना चाहिए। 

सच तो यह है कि इसमें आम जनता को भी जोड़ लेना चाहिए। राज्य के जिस इलाके में आपदा का असर नहीं है, उस इलाके के आम लोगों को अपने आपदा पीड़ित भाइयों की हर संभव मदद करनी चाहिए। यदि वह शारीरिक रूप से आपदा पीड़ितों की मदद नहीं कर सकते हैं, तो राहत सामग्री जुटाकर उनकी मदद कर सकते हैं। गैर आपदाग्रस्त इलाके के लोग यदि छोटी-छोटी मदद को इकट्ठा करके पीड़ितों तक पहुंचाने की व्यवस्था करें, तो यह उनको बहुत ज्यादा राहत प्रदान करेगी। 

वैसे तो सरकार अपने स्तर पर आपदा पीड़ितों का हर संभव मदद करती ही है, लेकिन आमजनता की मदद और शामिल हो जाने से संकटग्रस्त लोग थोड़ा जल्दी अपनी परेशानियों से उबर जाएंगे। अब हरियाणा को ही लीजिए। हरियाणा के कुछ इलाके अतिवृष्टि और बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। इन इलाकों के लिए बाकी जिलों की जनता यदि थोड़ी-थोड़ी मदद करे,तो बाढ़ पीड़ितों की अच्छी खासी मदद हो जाएगी। इस मामले में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोग बड़े कारगर साबित हो सकते हैं। सियासी दलों के पास अनुशासित कार्यकर्ताओं की एक फौज होती है। 

यदि इनको बाढ़ पीड़ितों की मदद और बचाव के लिए उतार दिया जाए, तो सेना, पुलिस, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी संस्थाओं को काफी राहत मिल जाएगी। उनका उत्साह दोगुना हो जाएगा। यह बात सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर लागू होती है। इस बार बाढ़ और अतिवृष्टि से राज्य के तीन हजार से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। लगभग दस लाख एकड़ फसल बरबाद हो चुकी है। बहुत सारे इलाके ऐसे भी हैं जिनसे संपर्ककटा हुआ है। ऐसी स्थिति में फसलों के खराब होने का आंकड़ा कुछ दिनों में बढ़ भी सकता है। बाढ़ प्रभावित गांवों में फसल और अन्य नुकसान की भरपाई के लिए सैनी सरकार ने ई क्षतिपूर्ति पोर्टल खोल दिया है। इस पोर्टल पर अभी तक 1,69,738 किसानों ने अपना पंजीकरण कराया है। अंतिम तिथि आने तक यह संख्या और भी बढ़ सकती है।

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