अशोक मिश्र
उन्नीसवीं शताब्दी के सबसे सम्मानित साहित्यकारों में गिने जाते हैं लियो टॉलस्टाय। रूस के इस महान साहित्यकार ने वार एंड पीस नामक उपन्यास रचकर रूसी साहित्य में हलचल पैदा कर दी थी। कहा जाता है कि महात्मा गांधी ने अहिंसा की प्रेरणा इसी पुस्तक को पढ़कर प्राप्त की थी।
टॉलस्टाय का जन्म 9 सितंबर 1828 को मास्को से सौ मील दूर एक यास्नाया पोल्याना रियासत में हुआ था। इन माता-पिता का बचपन में ही निधन हो गया था। इनका पालन पोषण इनकी चाची तात्याना ने किया था। वह टॉलस्टॉय को एक उच्च श्रेणी का तालुकेदार बनाना चाहती थीं, लेकिन स्वभाव से मस्तमौला प्रवृत्ति का होने की वजह से वह वैसा नहीं बन पाए जैसा उनकी चाची चाहती थीं।
उन्होंने अपने तालुके में किसानों की दशा सुधारने का कई बार प्रयास किया, लेकिन अंतत: वह नाकाम ही रहे। टॉलस्ट ने सेना की नौकरी भी की और युद्ध के दौरान ही कई रचनाएं कीं। एक बार की बात है। टालस्टाय अपने गांव में रह रहे थे। उन्होंने देखा कि एक किसान नंगे पैर खेत की जुताई कर रहा है। उसके पैर में छाले पड़े हुए थे जो फूट गए थे और उनसे खून बह रहा था। उन्होंने उस किसान से पूछा कि आपने जूते क्यों नहीं पहने हैं? उस किसान ने उत्तर दिया कि मेरे पास जूते नहीं हैं।
मैं अपने खेतों से उतना ही अन्न उगा पाता हूं जितने में परिवार का बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पाता है। इसके बाद टॉलस्टाय घर लौट आए। अगले दिन एक जोड़ी जूता लेकर वह खेत में पहुंचे और किसान को भेंट कर दिया। किसान ने आभार जताते हुए कहा कि आपने मेरी राह आसान कर दी है। अब मैं अपने परिवार के लिए अधिक काम कर सकूंगा। उसकी बात सुनकर टॉलस्टाय मुस्करा दिए।
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