आज का युवा सबसे ज्यादा दबाव में है। उसके साथ-साथ अधेड़ और बुजुर्ग भी अवसादग्रस्त नजर आते हैं। हरियाणा भी इससे अपवाद नहीं है। हरियाणा में भी आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मई 2025 में पंचकूला में एक परिवार के सात लोगों ने एक साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। इसमें दंपति सहित उसके बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता तक शामिल थे।
यह दंपति मूलरूप से हिसार का रहने वाला था, लेकिन जब परिवार ने आत्महत्या की थी, तब वह देहरादून में रहने लगा था। परिवार पर कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा हो गया था और लोग अपना पैसा मांग रहे थे, इसके दबाव में आकर परिवार ने यह आत्मघाती कदम उठा लिया था। सन 2014 में तो हरियाणा में आत्महत्या करने वालों की संख्या 3203 तक पहुंच गई थी। उस साल यह आंकड़ा उत्तर भारत के राज्यों में सबसे ज्यादा था। वैसे सन 2015 में आत्महत्या की दर एक लाख की आबादी पर 13 प्रतिशत और 2020 में 13.7 प्रतिशत हो गई थी।
हरियाणा में 2022 में 3785 लोगों ने आत्महत्या की थी जो देश की कुल आत्महत्या का 2.2 प्रतिशत था। सच बात यह है कि प्रदेश की एक बहुत बड़ी आबादी किसी न किसी तरह के दबाव में जी रही है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर भले ही सरकारी कागजों पर कुछ भी दर्ज हो, लेकिन वास्तविकता में प्रदेश में बेरोजगारी के हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं। भारी संख्या में बेरोजगार युवा नौकरी या रोजगार का कोई जरिया न देखकर आत्मघात कर रहे हैं। समाज और परिवार के ताने उन्हें मजबूर कर देते हैं, ऐसा कदम उठाने को।
बड़ों में खुदकुशी का सबसे बड़ा कारण जो उभरकर सामने आता है, वह है उदासी और अकेलापन। जब बुजुर्गों को उदासी घेर लेती है, तो वह डिप्रेशन का शिकार होकर आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। पति या पत्नी में किसी एक की मौत या कोई गंभीर बीमारी भी मजबूर कर देती है कि वह कठोर कदम उठा लें। उदासी के पीछे वित्तीय नुकसान, शारीरिक अक्षमता, कुछ हद तक प्रेम प्रसंग जैसे मुद्दे हो सकते हैं। युवाओं में यह प्रवृत्ति ज्यादातर उनमें दिखाई देती है जो पिछले कई वर्षों से बेरोजगार हैं या जिनके परिजन उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। जहां तक किशोरों के आत्मघात करने की बात है, तो वह क्षणिक आवेश या गुस्से में ऐसा कदम उठा लेते हैं।
इसके लिए वह पहले से कोई सोच-विचार या योजना नहीं बनाते हैं। इधर कुछ वर्षों से लाइव आत्महत्या का चलन काफी बढ़ा है। लोग आत्महत्या को लाइव दिखाते हैं या फिर वीडियो बना लेते हैं। इसका कारण यह माना जाता है कि लोग उनकी समस्या पर ध्यान दें ताकि यदि कोई उनके जैसी स्थिति में हो, तो लोग मदद कर सकें।
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