Saturday, September 27, 2025

मेहनत और लगन ने महान वैज्ञानिक बना दिया

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

माइकल फैराडे को प्रयोग करने का जुनून था। वह जिस काम में जुट जाते थे, उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। फैराडे का जन्म 22 सितंबर 1791 में लंदन में हुआ था। परिवार को कमाने खाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी। उनके पिता जेम्स फैराडे लोहारी का काम करते थे जिससे बहुत ज्यादा आय भी नहीं होती थी। 

आर्थिक दिक्कतें हमेशा बनी रहती थीं। बेहतर की उम्मीद में जेम्स अपनी पत्नी मारगेट और दो बच्चों को लेकर लंदन आ गए थे ताकि यहां ठीक से कमाई की जा सके। दस-बारह साल की उम्र में माइकल फैराडे को एक बुक बाइंडिंग की दुकान पर काम करने के लिए जाना पड़ा। यहां पर आकर उन्हें पढ़ने का शौक का शौक हुआ। वह बाइंडिंग के लिए आई किताबों को पढ़ने लगे। 

जो पुस्तक दुकान पर नहीं पढ़ पाते, उसे दुकान मालिक से मांगकर ले जाते और घर पर पढ़ते थे। धीरे-धीरे उनकी रुचि विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ने लगी। एक दिन उन्हें उस समय के प्रसिद्ध वैज्ञानिक हंपी डेवी का व्याख्यान सुनने को मिला। फैराडे ने उनके व्याख्यान को न केवल ध्यान से सुना, बल्कि उसे नोट भी कर लिया। कुछ दिनों बाद उन्होंने उस नोट्स को डेवी के पास भेज दिया। 

डेवी उनका नोट्स पढ़कर बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने फैराडे को अपनी प्रयोगशाला में सहायक बना लिया। यह काम पाकर फैराडे बहुत प्रसन्न हुए। अब उनकी रुचि के मुताबिक काम मिला था। प्रयोगशाला में काम करने के दौरान उन्होंने महसूस किया कि विद्युत और चुंबकत्व के बीच एक संबंध है जिसका उपयोग करके मशीनों को संचालित किया जा सकता है। इस आधार पर उसके बाद बहुत सी मशीनों का निर्माण हुआ। मेहनत और लगन ने उन्हें महान वैज्ञानिक बना दिया।

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