Sunday, September 21, 2025

गरीबों की मदद करने से मिलता है सम्मान

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

राजा भोज का जन्म परमार वंश में हुआ था। वह खुद बहुत बड़े साहित्यकार, कला प्रेमी और गुणग्राहक थे। उन्होंने 84 ग्रंथों की रचना की थी, लेकिन वर्तमान में केवल 21 ही प्राप्य हैं। उन्होंने भोजपुर को अपनी राजधानी बनाया था जिसे बाद में भोजपाल और वर्तमान में भोपाल कहा जाता है। 

यह मध्य प्रदेश की राजधानी है। राजा भोज ने 1010 से 1055 तक शासन किया था। धारा नगरी के राजा सिंधुल के यह पुत्र थे। कहते हैं कि यह जब पांच साल के थे, तब इनके पिता सिंधुल अपने छोटे भाई मुंज को राजकाज सौंपकर स्वर्गवासी हो गए थे। मुंज इनकी हत्या करके निष्कंटक राज्य करना चाहता था। इसी लिए उसने बंगाल के वत्सराज को इन्हें मारने के लिए बुलाया। वत्सराज ने मारने की जग एक हिरन को मारकर बताया कि उसने भोज को मार दिया है। 

इसके बाद मुंज के मन में  अपने भतीजे के प्रति प्यार जागा और वह बिलख कर रोने लगा। तब वत्सराज ने सच्चाई बताई। उसी समय मुंज ने भोज को राजा बना दिया और खुद पत्नी के साथ जंगल चले गए। एक बार की बात है। भोज अपने महल में सो रहे थे। उनके सपने में एक दिव्य पुरुष आए और उनको अपने साथ उस बगीचे में ले गए जिस पर उन्हें अभिमान था। उस पुरुष ने एक पेड़ को छुआ, तो सारा बगीचा सूख गया। 

इसके बाद वह उन्हें उस मंदिर में ले गया जिसे बनवाने में काफी पैसा खर्च किया गया। उसे छूते ही वह भी काला पड़ गया। तब उस पुरुष ने कहा कि मंदिर, उपवन बनाने और उस पर अभिमान करने की जगह गरीबों की सेवा सहायता करने से लोगों में प्रतिष्ठा बढ़ती है। इसके बाद भोज की नींद खुल गई। उसके बाद भोज ने प्रजा की भलाई के काम करने शुरू किए।

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