Sunday, September 14, 2025

चंद्रशेखर वेंकटरामन की विनम्रता

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

चंद्रशेखर वेंकटरामन भारत के महान भौतिक शास्त्री थे। उन्हें विज्ञान क्षेत्र में अपनी अद्वितीय कार्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य किया था जिसकी वजह से उन्हें भौतिकी का नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था। रामन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान पर हुआ था। 

सीवी रामन ने बारह साल की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। प्रखर बुद्धि के सीवी रामन ने बीए की परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। सन 1907 में रामन ने एमए की परीक्षा में गणित विषय लेकर विशेष योग्यता हासिल की थी। उन्होंने इतने अंक हासिल किए जितने इससे पहले किसी ने हासिल नहीं किया था। एक बार की बात है। 

किसी विदेशी युवा वैज्ञानिक ने रंगों के कुछ नए प्रयोग किए। रामन उसके काम से बहुत प्रभावित हुए। तब तक रामन को नोबल पुरस्कार प्राप्त हो चुका था और उनकी दुनिया भर में ख्याति फैल चुकी थी। एक दिन वह उस वैज्ञानिक से मिलने उसकी प्रयोगशाला में मिलने पहुंच गए। वह उससे कुछ सीखना चाहते थे। उस वैज्ञानिक ने अपने सामने सीवी रामन को देखा तो वह चकित रह गया। 

उसने बड़े आदर से रामन को बैठने को कहा। उसके कहने पर भी रामन खड़े ही रहे और रंगों के प्रयोग के बारे में जानकारी हासिल करने लगे। वैज्ञानिक ने कहा कि सर, आप बैठिए तो, मैं आपको सब बताता हूं। तब रामन ने कहा कि मैं आपके सामने नहीं बैठ सकता हूं। मैं आपसे कुछ सीखने आया हूं। हमारी संस्कृति में गुरु के सामने या समक्ष बैठने की परंपरा नहीं है। यह सुनकर वह वैज्ञानिक उनकी विनयशीलता का कायल हो गया।

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