Monday, September 15, 2025

हरियाणा में खेत-जलघर योजना ने बदल दिया किसानों का भाग्य

अशोक मिश्र

जल के बिना जीवन संभव नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि पृथ्वी पर जितना पानी है, उसका तीन या चार प्रतिशत ही पीने योग्य है। बाकी समुद्रों का पानी खारा है। ऐसी स्थिति में पेयजल की बरबादी इंसानों और अन्य जीवों को कितनी भारी पड़ सकती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पानी को बरबाद करने में केवल इंसानों का ही हाथ है। हालांकि यह भी सही है कि अब इंसानों ने पानी का संचय और संरक्षण करना शुरू कर दिया है। वह भविष्य में आने वाले खतरे को भांप चुका है। 

हरियाणा में भी जल संरक्षण और संचय की ओर सरकार के साथ-साथ आम लोगों और किसानों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है। दक्षिण हरियाणा में पानी की किल्लत पिछले काफी वर्षों से चली आ रही थी। गर्मी के दिनों में दक्षिण हरियाणा में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मच जाती थी। किसानों को अपने खेत की सिंचाई के लिए वर्षा जल पर ही निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब दक्षिण हरियाणा के किसान आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर न केवल पानी बचा रहे हैं, बल्कि अपने खेतों की सिंचाई भी कर रहे हैं। 

अब उन्हें खेतों की सिंचाई के लिए प्रकृति पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है। दक्षिण हरियाणा के किसान कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति कर रहे हैं। इस मामले में प्रदेश सरकार की खेत-जलघर योजना और सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं का बहुत बड़ा हाथ है। इन योजनाओं की बदौलत ही किसानों की आर्थिक दशा में सुधार आया, बल्कि उनकी खेती भी उन्नत हुई है। सरकारी सब्सिडी से गांवों में सरकारी और निजी तालाब बनाए जा रहे हैं। इसकी वजह से किसान अब परंपरागत खेती को तिलांजलि देकर आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे हैं। इसका फायदा यह हो रहा है कि हर खेत को पानी मिल रही है। 

स्प्रिंकलर और ड्रिप जैसी तकनीक अपनाकर किसान न केवल अपनी फसल की पैदावार बढ़ा रहे हैं, बल्कि वह पचास से साठ प्रतिशत पानी की बचत भी कर रहे हैं। खेतों में उतना ही पानी जा रहा है जितने की जरूरत है। इस तकनीक ने किसानों की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की आधारशिला तैयार की है। इससे जहां जल संरक्षण हो रहा है, वहीं ऊर्जा बचत और पर्यावरण संतुलन जैसे बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति हो रही है। खेत-जलघर योजना से किसान सोलर पंपिंग सिस्टम तक चला रहे हैं। इस योजना के तहत गांव के हर किसान के लिए एक समय निर्धारित किया गया है। जिस किसान की बारी आती है, वह अपने खेत की सिंचाई कर लेता है। इससे सभी किसानों को आवश्यकता के अनुसार सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाता है। यह योजना पूरे प्रदेश में लागू की जा रही है।

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