हरियाणा के किसान और आढ़ती पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के चलते काफी परेशान हैं। किसानों की परेशानी यह है कि बारिश और बाढ़ के चलते उनकी फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। लगातार अतिवृष्टि के कारण फसलें खेतों में खड़ी खड़ी गल गई हैं जिनसे किसी प्रकार के उपज की आशा नहीं है। बाढ़ ने जहां मिट्टी को काट दिया है, वहीं खेत में खड़ी फसल को अपने साथ बहा ले गई है।
अगर संयोग से फसल बच भी गई है, तो इस महीने में भी भारी बरसात की आशंका के चलते किसान परेशान है। सब्जियों और फलों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। कुछ जिलों में जहां थोड़ी बहुत सब्जियां और फल बच भी गए हैं, तो उनकी सप्लाई बाधित हो रही है। जलजमाव और बाढ़ की वजह से किसानों की सब्जियों और फलों को खरीदने के लिए आढ़ती उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। यदि किसी तरह कोई आढ़ती या दूसरे लोग किसान तक पहुंच भी रहे हैं, तो उसे दूसरे शहरों तक पहुंचाना भी एक मुसीबत महसूस हो रही है। यही वजह है कि हरियाणा के ज्यादातर शहरों में फल और सब्जियों के दाम आकाश छूने लगे हैं।
सब्जियां और फल उपभोक्ताओं को काफी महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। लोग सब्जियों के महंगे हो जाने से परेशान हैं। फलों और सब्जियों की आवक राज्य में 32 से 40 फीसदी तक घट गई है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड से आने वाले सेब राज्य की मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका कारण यह है कि इन पर्वतीय राज्यों में भूस्खलन और सड़कों के बह जाने से आना-जाना दुश्वार हो गया है। इन रास्तों पर चलना भी एक जोखिम का काम है। हरियाणा में उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों, राजस्थान के जयपुर और करनाल आदि जिलों से सब्जियों की आपूर्ति सामान्य दिनों में होती है।
लेकिन जब से प्रदेश में बाढ़ और अत्यधिक बारिश का दौर शुरू हुआ है, मंडियों तक सब्जियों का आना प्रभावित हुआ है। बेंगलुरु से आने वाला टमाटर भी या तो रास्ते में ही पड़ा सड़ रहा है या फिर बीच रास्ते में ही रुका हुआ है। जब रास्ता सुरक्षित होगा, तभी वह प्रदेश की मंडियों तक पहुंचेगा। इस बीच आढ़ती को कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। हिमाचल में जो रास्ते अभी तक सुरक्षित बचे हैं, उन्हीं रास्तों से सेब, शिमला मिर्च, गाजर, गोभी आदि सब्जियां बहुत कम मात्रा में आ रही हैं। हिमाचल और जम्मू में काफी मात्रा में पैदा होने वाला सेब भी राज्य में नहीं पहुंच पा रहा है। प्रदेश में सब्जी और फलों की आवक कम होने की वजह से इनकी मांग भी घटती जा रही है। पिछले एक सप्ताह से मंडियों में चहल-पहल काफी घट गई है।
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