आज से नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इन नौ दिनों में लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाएगी, लोग नौ दिन पूरे नियम-संयम के साथ व्रत रखेंगे। नवरात्र के दिनों में अपने परिवार सहित देश और समाज के कल्याण की कामना की जाएगी। सच यही है कि हमारे पूर्वजों ने नवरात्र के बहाने जहां लोगों में धार्मिक आस्था दृढ़ करने के लिए नवरात्र में नौ देवियों की पूजा-अर्चना की परंपरा शुरू की,वहीं इसके पीछे महिलाओं को कमतर न मानने की सीख देने की इच्छा भी रही है।
नवरात्र के दौरान पूजी जाने वाली इन नौ देवियों ने अपने साहस और शौर्य के बल पर किसी न किसी समाज विरोधी राक्षसों का वध किया है और समाज में शांति और सद्भाव का संदेश दिया है। नवरात्र पूरे साल भर में चार बार आती है। वासंतिक नवरात्र और शारदीय नवरात्र के अलावा दो गुप्त नवरात्र साल भर में पड़ती है। नवरात्र हमें सादगी और साफ मन से जीवन बिताने की प्रेरणा देती है।
नवरात्र के अंतिम दिन में लोग कन्या पूजन करते हैं। कन्या पूजन की परंपरा इस बात का प्रतीक है कि मानव समाज में स्त्री और पुरुष दोनों की महत्ता बराबर है। यदि समाज में स्त्रियां नहीं होंगी, तो अगली संततियां कैसे होंगी। समाज के निर्माण में महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान है। इसलिए हमें महिलाओं की पूजा करनी चाहिए, उनका सम्मान करना चाहिए, उनके प्रति हमें आभार का भाव रखना चाहिए क्योंकि एक स्त्री ही बच्चे को जन्म देती है, उसे जीवन देती है। नवरात्र में नौ देवियों को मां मानकर पूजने के पीछे यही भाव है। जिस तरह यह नौ देवियां पूजनीय हैं, वैसे ही हमारे घर-परिवार की हर महिला पूजनीय है।
चाहे वह मां हो, बहन हो, बेटी हो या पत्नी। सबका मान-सम्मान बराबर होना चाहिए। लेकिन आज जिस तरह समाज हो गया है, उसको देखते हुए यह जरूरत बड़ी शिद्दत से महसूस की जाने लगी है कि नवरात्र के संदेश को हर इंसान के मन में गहराई से बैठा दी जाए कि स्त्री चाहे अपने घर की हो या दूसरे के घर की, हमेशा पूजनीय रही है और भविष्य में भी रहेगी। लेकिन अफसोस की बात यह है कि समाज का वातावरण बहुत भयावह हो चुका है। स्त्री अपने ही घर में सुरक्षित नहीं महसूस कर रही है।
लोग इतने अंधे हो चुके हैं कि एक-एक, दो-दो साल की बच्चियों तक से दुराचार कर रहे हैं। किसी भी उम्र की बच्ची आज सुरक्षित नहीं है। सड़कों पर चलना दूभर हो गया है। छेड़छाड़ और यौन शोषण की घटनाएं जैसे आम बात होती जा रही हैं। कन्याओं को गर्भ में ही मारा जा रहा है। इसके चलते देश और प्रदेश का लिंगानुपात बिगड़ता जा रहा है। नवरात्र मनाना तब सार्थक होगा, जब पूरे देश में कन्या भ्रूण हत्या पूरी तरह रुक जाएगी।
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