सुप्रीमकोर्ट की ही तरह हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट ने भी आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या और इंसानों पर हमला करने की बढ़ती घटनाओं को काफी गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा को निर्देश दिया है कि वह जल्दी से जल्दी कुत्तों के काटने की संख्या और अन्य विवरण दें। इसके साथ ही यह भी बताएं कि कुत्तों की नसबंदी जैसे कार्यक्रमों की वास्तविक स्थिति क्या है? आवारा कुत्तों के टीकाकरण के बारे में भी कोर्ट ने रिपोर्ट तलब की है। हाईकोर्ट ने आवारा कुत्तों के काटने से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान दोनों राज्यों को यह निर्देश दिए हैं। कोर्ट इस संबंध में दायर अवमानना याचिकाओं को अब सुप्रीमकोर्ट भेजेगा। सुप्रीमकोर्ट पहले ही आवारा कुत्तों के बारे में दिशा निर्देश दे चुका है।
हरियाणा में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं कम होती नहीं दिख रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक हरियाणा में रोजाना लगभग सौ घटनाएं कुत्तों के काटने के सामने आते हैं। पिछले एक दशक में अब तक लगभग 12 लाख घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हो चुकी हैं। बहुत सारी ऐसी भी घटनाएं होने का अनुमान है जो सरकारी आंकड़ों में दर्ज ही नहीं हुई हैं। ज्यादातर लोग परिवार के किसी सदस्य को कुत्ते के काटने पर सरकारी अस्पताल में इलाज कराने की जगह निजी अस्पतालों में इलाज करवा लेते हैं।
ऐसे मामले सरकारी आंकड़ों में दर्ज ही नहीं हो पाते हैं। वैसे देश भर में शायद हरियाणा पहला राज्य है जिसने गरीब व्यक्ति को कुत्ते के काटने पर न्यूनतम दस हजार रुपये और काटने पर चमड़ी उधड़ जाने पर बीस हजार रुपये मुआवजे का प्रावधान किया है। वैसे यह बात सच है कि प्रदेश में कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में शायद ही कोई ऐसी गली होगी जिसमें आवारा कुत्ते दिखाई न देते हों। हर गली, हर चौराहे पर कुत्तों के झुंड दिखाई देते हैं।
अगर कोई बच्चा इस झुंड के सामने पड़ जाए, तो उसे नोच नोच कर घायल कर देते हैं। कई बच्चों की तो मौत भी हो जाती है। रात में अगर कोई अकेला व्यक्ति किसी गली से गुजर रहा हो, तो यह झुंड बनाकर हमला कर देते हैं। कई बार झुंड बनाकर यह कुत्ते व्यक्ति को इतना घायल कर देते हैं कि उसकी मौत तक हो जाती है। स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों की नसबंदी करने में तत्परता दिखानी चाहिए। इनका टीकाकरण बहुत आवश्यक है ताकि किसी भी व्यक्ति की कुत्तों के काटने पर रैबीज की वजह से जान न जाए।
सरकारी अस्पतालों में कुत्तों के काटने पर लगने वाला इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए ताकि कोई भी बिना इंजेक्शन लगवाए जाने न पाए। आए दिन सरकारी अस्पतालों में कुत्तों के काटने पर लगने वाले इंजेक्शन की कमी की खबरें प्रकाशित होती रहती हैं।
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