अशोक मिश्र
अल्फ्रेड लॉर्ड टेनिसन को अंग्रेजी साहित्य में महाकवियों में गिना जाता है। इन्हें इंग्लैंड और आयरलैंड का राजकवि होने का गौरव हासिल है। महारानी विक्टोरिया को टेनिसन की कविताएं बहुत पसंद थीं। टेनिसन का जन्म 6 अगस्त 1809 में लिंकनशायर (इंग्लैंड) में हुआ था। टेनिसन के पिता एक ग्रामीण इलाके में एक चर्च के पादरी थे। प्रकृति के काफी नजदीक रहने की वजह से इनकी कविताओं में प्रकृति अपनी पूरी छटा के साथ मौजूद है।
टेनिसन की पढ़ाई कैंब्रिज में हुई थी, लेकिन कैंब्रिज में पढ़ने जाने से पहले 18 साल की उम्र में ही कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका था। इस कविता संग्रह को पाठकों ने हाथों हाथ लिया था। इसके बाद इनकी एक और पुस्तक प्रकाशित हुई, लेकिन अचानक 1831 में पिता की मृत्यु हो जाने की वजह से इन्हें पढ़ाई बीच में छोड़ देनी पड़ी।
टेनिसन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब मैं छोटा था, तो मुझे एक अंधेरे कमरे में सोने के लिए भेज दिया जाता था। मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता था। रात में डर की वजह से नींद भी नहीं आती थी। किसी से कह भी नहीं सकता था क्योंकि मजाक उड़ाने और डांट पड़ने का भी डर था। ऐसी स्थिति में एक दिन मुझे पता नहीं कैसे सूझा कि यदि मैं किसी शब्द को दोहराऊं, तो डर कम हो जाता है। बस, क्या था?
मैंने अपना नाम ही दोहराना शुरू किया। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरा डर धीरे-धीरे कम होने लगा। जब भी मुझे डर लगता, मैं अपना नाम दोहराने लगता। नाम दोहराने से धीरे-धीरे मुझे नींद आ जाती थी। टेनिसन की बात सचमुच सही है। भारत में जब लोगों को किसी बात से डर लगता है, तो उन्हें हनुमान चालीसा बोलने को कहा जाता है। इसके पीछे यही मनोविज्ञान काम करता है। हमारे शरीर में छिपी शक्ति ऐसे समय में हमारा मनोबल बढ़ाती है।
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