लिव-इन-रिलेशनशिप की शुरुआत सबसे पहले किस देश में हुई, यह कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन इन दिनों भारत में यह बड़ी तेजी से फैल रहा है। आधुनिकता और स्वतंत्र विचारों के नाम पर लिवइन में रहने वाले जोड़ों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसके दुष्परिणाम भी सामनेआने लगे हैं। 21 सितंबर को रेवाड़ी के बावलपुर गांव में रोशन नामक व्यक्ति का अपने लिवइन पार्टनर के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद के चलते रोशन ने अपने लिवइन पार्टनर की बेटी, जो उसके पूर्व पति से पैदा हुई थी, को जमीन पर पटक-पटककर मार डाला।
मारने के बाद उसने पांच वर्षीय बच्ची के शव को बेड पर डाल दिया और कमरा बंद करके फरार हो गया। चार दिन बाद जब लाश से बदबू आने आने लगी, तो पड़ोसियों ने पुलिस से शिकायत की, तब जाकर मामले का खुलासा हुआ। कुछ लोगों का मानना है कि लिवइन हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति से कतई मेल नहीं खाता है। जो लड़के और लड़कियां विवाह जैसी संस्था को गंभीरता से नहीं लेते हैं, वही लोग लिवइन रिलेशनशिप की वकालत करते हैं।
ऐसे रिश्ते यूरोप और अमेरिका में तो मान्य हो सकते हैं, लेकिन भारत में नहीं। लिवइन संबंध सही हैं या गलत, इसकी व्याख्या तो कानूनविद ही कर सकते हैं। वैसे भी देश की अदालतों ने कुछ प्रतिबंधों के साथ लिवइन की इजाजत दी है। जब दो वयस्क लोग एक साथ रहना चाहते हैं, तो यह उनकी इच्छा है। इसमें कोई क्या कर सकता है। लेकिन लिवइन के नाम पर समाज में अराजकता फैलाने की इजाजत भी नहीं दी जा सकती है।
दरअसल, लिवइन में रहने वाले लोग जब तक मर्जी होती है, साथ रहते हैं और यदि साथ रहने की इच्छा नहीं हुई, तो वह अलग हो जाते हैं। यह आपस में शारीरिक संबंध भी बनाते हैं, लेकिन यदि किसी कारणवश बच्चा पैदा हो जाता है, तो उसे महिला को ही पालना पड़ता है, ऐसा अक्सर देखा गया है। पुरुष पार्टनर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेता है। हमारे देश में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है। कहा जाता है कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं। विवाह करने के बाद महिला और पुरुष दोनों परिवार और समाज के प्रति उत्तरदायी हो जाते हैं।
यदि किसी कारणवश दोनों में किसी बात को लेकर मतभेद पैदा होता है, परिवार के लोग दोनों को आमने-सामने बिठाकर समझा देते हैं। गिले-शिकवे दूर करवा देते हैं। कई बार दबाव डालकर भी मामले को सुलझा दिया जाता है। विवाह को समाज में बड़ा सम्मानजनक दर्जा हासिल है। लेकिन लिवइन को समाज ने मान्यता नहीं दी है, भले ही इस रिश्ते को कानूनी मान्यता मिल चुकी हो।
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