Saturday, September 20, 2025

फसल पंजीकरण मामले की गहनता से कराई जाए जांच

अशोक मिश्र

अब हरियाणा से मानसून विदा हो रहा है। आगामी कुछ दिनों तक कहीं छिटपुट, तो कहीं भारी बरसात हो सकती है। जब मानसून विदा होने लगता है, तो लगभग हर साल ऐसा ही होता है। हां, इस बार मानसून सीजन में हरियाणा में सामान्य से अधिक बरसात हुई। लेकिन सामान्य से अधिक बरसात और बादल फटने की घटनाएं जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कई बार हुईं। इन राज्यों में हुई भारी बारिश की वजह से पंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ से लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। 

खेतों में जलजमाव की वजह से दोनों राज्यों में किसानों की फसल डूब गई और बरबाद हो गई। दोनों राज्यों की सरकारों ने किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की घोषणा की है। लेकिन जिस तरह दोनों राज्यों में फसल क्षतिपूर्ति के लिए दावे किए गए हैं, वह आश्चर्यजनक हैं। पंजाब के कुल 23 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में थे। कुछ जिलों में तो अभी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है, लेकिन पंजाब के किसानों ने अभी तक क्षतिपूर्ति के लिए जो दावा किया है, उसके मुताबिक 23 जिलों में कुल चार लाख एकड़ फसल बरबाद हुई है। 

वहीं हरियाणा के कुल बारह जिलों में बाढ़ और अतिवृष्टि के चलते फसलें बरबाद हुई थीं। सरकारी ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसलें बरबाद होने के जो दावे किए गए हैं, वह चकित करने वाले हैं। हरियाणा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 32 लाख एकड़ फसल नुकसान की बात कही जा रही है यानी पंजाब के मुकाबले आठ गुना ज्यादा।  ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर इतनी ज्यादा संख्या में किए गए दावे को लेकर सरकारी एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। इन दावों को देखते हुए आशंका जाहिर की जा रही है कि प्रदेश में कोई ऐसा गैंग सक्रिय हो उठा है जो किसानों की आड़ में प्रदेश सरकार को ठगना चाहता है। 

सरकार का अनुमान है कि फसल नुकसान का वास्तविक आंकड़ा बहुत कम है, लेकिन कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल नुकसान का दावा किया है। कुछ ऐसे किसानों के नाम पर भी दावा करने की बात कही है जो किसान अब इस दुनिया में हैं ही नहीं। उनकी काफी पहले मौत हो चुकी है। ऐसी स्थिति में यह बहुत जरूरी है कि सरकार इस मामले की गहनता से जांच कराए और जो वास्तविक किसान हैं, उनको जल्द से जल्द मुआवजा उपलब्ध कराए। 

फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई ऐसा दुस्साहस न कर सके। यदि वास्तव में 32 लाख एकड़ फसल का नुकसान हुआ है, तो किसानों को उनका हक दिया जाए। मामले की गहनता से जांच बहुत जरूरी है क्योंकि किसानों के नाम पर फर्जीवाड़ा रोका ही जाना चाहिए।

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