पिछले काफी दिनों से हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश होने से हालात बदतर होते जा रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। दिल्ली में भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। पंजाब में एक हजार से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। हरियाणा में यमुना, घग्गर, मरकंडा और टांगरी सहित अन्य छोटी-छोटी नदियां उफान पर हैं। इन नदियों के किनारे बसे गांवों और शहरों को बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने हरियाणा के 18 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है।
हरियाणा में यमुना नदी किनारे के पांचों जिलों यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत व फरीदाबाद में प्रशासन ने अलर्ट घोषित किया है। यमुना में उफान आने के बाद इन्हीं जिलों को बाढ़ झेलनी पड़ती है। अगर थोड़ी नदियां और उफान पर आती हैं, तो हरियाणा के पांच जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है जिनमें यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत व फरीदाबाद शामिल हैं। इसके बाद पानी दिल्ली में प्रवेश करता है। वैसे भी यमुनानगर, करनाल और फरीदाबाद जैसे शहर के कुछ इलाकों में पहले से ही पानी भर गया है।
यदि बरसात नहीं रुकी, तो इन शहरों में हालात और भी बदतर हो सकते हैं। वैसे तो जिला प्रशासन को सभी आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। जलभराव वाले इलाकों में पंचायत सचिवों और पटवारियों को हर समय सतर्करहने के निर्देश दिए जा चुके हैं। प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी शिक्षा संस्थानों को चेतावनी दी जा चुकी है कि यदि कोई हादसा होता है, तो स्कूल का स्टाफ जिम्मेदार होगा। वैसे प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया है।
जरूरत पड़ने पर कंट्रोल रूम से लोगों की सहायता भी की जा रही है। इसके बावजूद सच्चाई यह है कि जिस इलाके में बाढ़ आती है, बहुत नुकसान करती है। बाढ़ से खासकर फसलों को नुकसान पहुंचता है। बाढ़ का पानी कई दिनों तक खेतों में भरा रहने की वजह से फसलें गल जाती हैं। यदि थोड़ी बहुत बचती भी हैं, तो उपज या तो होती ही नहीं है या फिर बहुत मामूली उपज होती है। जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। कई गांवों का संपर्क भी कट जाता है। सबसे बड़ा खतरा भूमि कटाव का रहता है।
घरों में ज्यादा दिनों तक पानी भरा रहने से दीवारें दरकने लगती हैं। ऐसी स्थिति में कई मकान गिर भी चुके हैं। बाढ़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा परेशानी बीमारियों के फैलने से होती है। पानी में मच्छरों की तादाद बढ़ जाने से मच्छरजनित रोग फैलने लगते हैं। डेंगू, मलेरिया जैसे रोगियों की तादाद बढ़ जाती है। ज्यादा दिन तक माहौल में नमी होने की वजह से त्वचा संबंधी रोग भी फैलने लगते हैं।
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