हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के कई इलाकों में पानी भर जाने से बुरी तरह प्रभावित हैं। खेती बरबाद हो गई है। किसानों के सामने आर्थिक समस्या पैदा होने की आशंका है। बरसात के दिनों में जिस पानी की अधिकता यानी बाढ़ से लोग परेशान रहते हैं, वही पानी जब गर्मियों के दिनों में कम हो जाता है, तब भी लोग परेशान रहते हैं। यदि पानी की मात्रा कम रहे, तो दिक्कत और पानी की मात्रा अधिक हो जाए, तब भी दिक्कत।
ऐसी स्थिति में यदि बरसात के दिनों में जरूरत से ज्यादा पानी को सहेज लिया जाए, तो इस पानी का उपयोग गर्मी के दिनों में किया जा सकता है। बरसात के दिनों में जो जरूरत से ज्यादा पानी है, उसको यदि तालाबों, टैंकों आदि में भरकर रख लिया जाए, तो मई जून में इसका उपयोग पीने, पशुओं को पिलाने और खेती के कामों में आ सकता है। इससे भूमि का जलस्तर भी बना रहेगा।
वैसे आम तौर पर हरियाणा में गर्मी के दिनों में बारह लाख करोड़ लीटर पानी की कमी पड़ती है। बरसात के दिनों में इससे कहीं अधिक पानी नदियों और नालों के माध्यम से बहकर बेकार चला जाता है। वैसे जैसे-जैसे लोगों की जनसंख्या बढ़ेगी, खेती का रकबा बढ़ेगा, पानी की जरूरत बढ़ती जाएगी। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर सैनी सरकार ने प्रदेश में सौ टैंक बनवाने का फैसला किया है जिसमें बरसात के दिनों का अतिरिक्त पानी सहेजा जाएगा। प्रदेश में अभी माना जाता है कि पानी की मांग 42,07,267 करोड़ लीटर पानी की मांग है। प्रदेश में विभिन्न स्रोतों से अभी कुल 30,05,930 करोड़ लीटर पानी ही लोगों को उपलब्ध हो पाता है।
यानी लगभग 12 लाख करोड़ लीटर पानी की प्रदेश में कमी है। सरकार का मानना है कि सौ टैंक बनाकर यदि छह लाख करोड़ लीटर पानी दो साल में बचा लिया जाए, तो पानी की कमी केवल पचास प्रतिशत ही रह जाएगी। वैसे सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में उपलब्ध कुल पानी का 84.45 प्रतिशत पानी कृषि कार्यों में ही खर्च होता है। सरकार यमुना, मारकंडा और घग्गर नदियों के किनारे टैंक बनाने की योजना बना रही है। हालांकि पचास टैंक बनाए भी जा चुके हैं। जो बन गए हैं उनका मेंटिनेंस भी चालू है।
प्रदेश के 7403 गांवों में भूजल का स्तर काफी गिर चुका है। इनमें से रेड कैटेगरी में 2246 गांव आ चुके हैं, जबकि 52 नए गांव इनमें और जुड़ गए हैं। इन गांवों का जलस्तर 30 मीटर से नीचे जा चुका है। यदि इन गांवों में जलस्तर नहीं बढ़ा, तो हालात काफी बदतर हो जाएंगे। वहीं 20 से 30 मीटर नीचे जलस्तर वाले गांव 1243 गांव पिंक कैटेगरी में आ चुके हैं। हालांकि सुखद बात यह है कि 7403 गांवों में से 2147 गांवों में जलस्तर बढ़ रहा है।
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