बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
अबू अब्दल्लाह मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज्मी ईरान के बहुत प्रख्यात भूगोलवेत्ता, भूगर्भशास्त्री और गणितज्ञ थे। उनका जन्म 780 ईस्वी में हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पुस्तक में भारतीय अंकों और दशमलव प्रणाली का जिक्र किया है। इसके बाद ही अरब देशों में भारतीय अंकों और दाशमिक मान प्रणाली का प्रचलन हुआ।
यह भी कहा जाता है कि एलजेब्रा की शुरुआत भी इन्होंने की थी। यह अपने समय में जोतिष का ज्ञान रखने वाले सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति थे। इनके जीवन की एक बड़ी रोचक घटना बताई जाती है। कहते हैं कि यह तारों की गति देखकर जीवन के बारे में बता दिया करते थे। एक बार रात में वह तारों को देखते हुए कहीं जा रहे थे। वह तारों को देखने में इतने मगन थे कि उन्हें सामने पड़ने वाले गड्ढे का भी ध्यान नहीं रहा।
वह तारों को देखने की झोंक में बड़े से गड्ढे में जा गिरे। रात का समय दूर-दूर तक कोई इंसान नहीं था। वह रात भर ‘मुझे गड्ढे से बाहर निकालो’ की गुहार लगाते रहे। लेकिन किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी। आसपास कोई होता, तब न सुनते। सुबह उस रास्ते से बुजुर्ग महिला गुजरी, तो उसने उनकी गुहार सुनी। वह किसी तरह उनको निकालने का प्रयास करती रही।
काफी मशक्कत के बाद वह गड्ढे से बाहर निकल पाए। उन्होंने शुक्रिया कहा। फिर उस बुजुर्ग महिला से बोले, मैं तारों को देखकर किसी के भी जीवन के बारे में बता सकता हूं। तब उस बुजुर्ग महिला ने कहा कि जो आदमी जमीन में बना गड्ढा नहीं देख पाया, वह तारों को देखकर भला क्या बता पाएगा। पहले जमीन को तो जान लो। अल-ख़्वारिज्मी को यह बात चुभ गई। उन्होंने जमीन के बारे में जानना शुरू किया और एक दिन वह ईरान के सबसे बड़े भूगर्भशास्त्री बन गए। महिला की एक बात ने उनका जीवन बदल दिया।
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