अशोक मिश्र
मैं राजपथ पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराया पाया, तो सोचा कि चलो, टीवी पर देख-देखकर ही योगाभ्यास करते हैं। एक छोटे से कमरे में रखे टीवी के सामने पूरे परिवार ने अपने-अपने आसन जमा लिए। किसी ने दरी बिछाई, तो किसी ने गद्दा। कोई चादर ही बिछाकर प्रधानसेवक जी को देख-देखकर अभ्यास करने लगा। राजपथ पर योगाभ्यास की इतिश्री होने लगी, तो मैंने चैन की सांस ली। जीवन में पहली बार योगाभ्यास करने और भयंकर गर्मी के कारण माथे पर चुहचुहा आए पसीने को पोछते हुए मैंने मुदित मन से अपने कुलदीपक जटाशंकर प्रसाद की मखमली जटाओं में हाथ फेरते हुए पूछा, 'बेटा..योग करने से क्या फायदे हैं, तुम मुझे बता सकते हो?Ó
बेटे ने मुस्कुराते हुए कहा, 'योग....योग तो बहुत ही चमत्कारी विद्या है। अगर ठीक मन और तन से योग कर लिया जाए, तो एक नया 'सृजनÓ हो जाता है। योग से तपती दुपहरिया में बारिश कराई जा सकती है, जैसे दिल्ली में हुई। अगर अतिवृष्टि की आशंका हो, तो अनावृष्टि करवाई जा सकती है। योग के प्रभाव से कैंसर को खांसी-जुकाम जैसी मामूली बीमारी में तब्दील किया जा सकता है। आप जानते हैं पापा.. एक बुजुर्ग नेता को जब साठ साल की उम्र में एक जानलेवा रोग हुआ, तो उन्होंने मन ही मन कहा, 'अबे नामुराद बीमारी..तुझे तो मैं तेरी औकात बताता हूं। तू मेरा क्या बिगाड़ेगा..मैं तेरा नाश करता हूं।Ó और उन्होंने कुछ नहीं बस योग किया..सुबह योग..शाम को योग...दोपहर में योग..कहने का मतलब है कि सोते-जागते, खाते-पीते हर समय बस योग ही योग..उन्होंने अपने पूरे जीवन को योगमय बना लिया और आज उनके लगभग एक दर्जन बच्चे इस देश की छाती पर मूंग दल रहे हैं।Ó
उसकी बात सुनकर मैंने उसे रुकने का इशारा किया, लेकिन सुपुत्र जटाशंकर तो अपनी जटाओं को खोले धारा प्रवाह बोलते जा रहे थे, 'आपने अगर इतिहास पढ़ा हो, तो आपको पता ही होगा कि प्राचीनकाल में हमारे आम नागरिक तक जब चाहते थे, तो चंद्रमा, सूर्य, बृहस्पति का चक्कर लगाकर लौट आते थे। बच्चे तक एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक मटरगश्ती करते रहते थे। आपको पता है कि पहले कुबेर और बाद में रावण के पास एक पुष्पक विमान था। वह सिर्फ और सिर्फ योग के ही बल पर चलता था। कुबेर और रावण इतने योगाभ्यासी थे कि उनके योगबल से पुष्पक विमान मन की गति से भी तेज चलता था। योगबल से बच्चे पैदा करने की टेक्नीक सिर्फ अपने देश में थी। योगी को सिर्फ अपनी या पराई स्त्री को नजर भर देखना होता था और 'अभीष्टÓ की प्राप्ति हो जाती थी। यह है योग का चमत्कार। एड्स-फेड्स, ऐंसर-कैंसर जैसी बीमारियां को दूर करना तो उन दिनों बायें हाथ का खेल था। हम लोगों ने एक बार फिर योग शुरू कर दिया है न! अब देखिएगा, इस देश में कहीं भी सूखा, अकाल नहीं पड़ेगा। जहां भी बारिश न होने की आशंका हुई, बस घंटे-दो घंटे योग कर लिया। झमाझम बारिश होने लगेगी। खेतों में बस बीज डालना होगा, गेहूं, धान, ज्वार-बाजरा, दलहन-तिलहन..सारी फसलें योग से ही बड़ी होंगी और अनाज पकने पर योगबल से दाने अपने-आप बोरियों में जमा हो जाएंगे। कहीं गर्मी अधिक पड़ी, तो योग कर लिया। सर्दियों का मौसम आया, तो योग कर लिया। कहने का मतलब है कि इस देश की सभी समस्याओं का बस एक ही समाधान है..योग..योग..योग।Ó इतना कहकर सुपुत्र ने पहले तो अपनी आंखें मटकाई और बोला, 'अब तो मैं कल से स्कूल या घर में पढऩे की बजाय योग करूंगा और योग बल से सारी परीक्षाएं पास करके दिखाऊंगा।Ó बेटे की योजना सुनते ही मेरे होश उड़ गए। मैंने कहा, 'अरे नहीं..मेरे ताऊ..इस योग से सब कुछ किया जा सकता है, लेकिन स्कूल की परीक्षा बिना पढ़े पास नहीं की जा सकती।Ó लेकिन बेटा मेरी इस बात को मानने को तैयार नहीं है। वह कहता है कि प्रधान सेवक जी ने सभी समस्याओं का हल जब योग बताया है, तो परीक्षा जैसी समस्या का हल भी योग से ही निकलेगा। बस..तभी से मेरे मन में एक ही बात सावन-भादों के बादलों की तरह उमड़-घुमड़ रही है कि सुपुत्र तो इस साल फेल होकर ही रहेगा।
मैं राजपथ पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराया पाया, तो सोचा कि चलो, टीवी पर देख-देखकर ही योगाभ्यास करते हैं। एक छोटे से कमरे में रखे टीवी के सामने पूरे परिवार ने अपने-अपने आसन जमा लिए। किसी ने दरी बिछाई, तो किसी ने गद्दा। कोई चादर ही बिछाकर प्रधानसेवक जी को देख-देखकर अभ्यास करने लगा। राजपथ पर योगाभ्यास की इतिश्री होने लगी, तो मैंने चैन की सांस ली। जीवन में पहली बार योगाभ्यास करने और भयंकर गर्मी के कारण माथे पर चुहचुहा आए पसीने को पोछते हुए मैंने मुदित मन से अपने कुलदीपक जटाशंकर प्रसाद की मखमली जटाओं में हाथ फेरते हुए पूछा, 'बेटा..योग करने से क्या फायदे हैं, तुम मुझे बता सकते हो?Ó
बेटे ने मुस्कुराते हुए कहा, 'योग....योग तो बहुत ही चमत्कारी विद्या है। अगर ठीक मन और तन से योग कर लिया जाए, तो एक नया 'सृजनÓ हो जाता है। योग से तपती दुपहरिया में बारिश कराई जा सकती है, जैसे दिल्ली में हुई। अगर अतिवृष्टि की आशंका हो, तो अनावृष्टि करवाई जा सकती है। योग के प्रभाव से कैंसर को खांसी-जुकाम जैसी मामूली बीमारी में तब्दील किया जा सकता है। आप जानते हैं पापा.. एक बुजुर्ग नेता को जब साठ साल की उम्र में एक जानलेवा रोग हुआ, तो उन्होंने मन ही मन कहा, 'अबे नामुराद बीमारी..तुझे तो मैं तेरी औकात बताता हूं। तू मेरा क्या बिगाड़ेगा..मैं तेरा नाश करता हूं।Ó और उन्होंने कुछ नहीं बस योग किया..सुबह योग..शाम को योग...दोपहर में योग..कहने का मतलब है कि सोते-जागते, खाते-पीते हर समय बस योग ही योग..उन्होंने अपने पूरे जीवन को योगमय बना लिया और आज उनके लगभग एक दर्जन बच्चे इस देश की छाती पर मूंग दल रहे हैं।Ó
उसकी बात सुनकर मैंने उसे रुकने का इशारा किया, लेकिन सुपुत्र जटाशंकर तो अपनी जटाओं को खोले धारा प्रवाह बोलते जा रहे थे, 'आपने अगर इतिहास पढ़ा हो, तो आपको पता ही होगा कि प्राचीनकाल में हमारे आम नागरिक तक जब चाहते थे, तो चंद्रमा, सूर्य, बृहस्पति का चक्कर लगाकर लौट आते थे। बच्चे तक एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक मटरगश्ती करते रहते थे। आपको पता है कि पहले कुबेर और बाद में रावण के पास एक पुष्पक विमान था। वह सिर्फ और सिर्फ योग के ही बल पर चलता था। कुबेर और रावण इतने योगाभ्यासी थे कि उनके योगबल से पुष्पक विमान मन की गति से भी तेज चलता था। योगबल से बच्चे पैदा करने की टेक्नीक सिर्फ अपने देश में थी। योगी को सिर्फ अपनी या पराई स्त्री को नजर भर देखना होता था और 'अभीष्टÓ की प्राप्ति हो जाती थी। यह है योग का चमत्कार। एड्स-फेड्स, ऐंसर-कैंसर जैसी बीमारियां को दूर करना तो उन दिनों बायें हाथ का खेल था। हम लोगों ने एक बार फिर योग शुरू कर दिया है न! अब देखिएगा, इस देश में कहीं भी सूखा, अकाल नहीं पड़ेगा। जहां भी बारिश न होने की आशंका हुई, बस घंटे-दो घंटे योग कर लिया। झमाझम बारिश होने लगेगी। खेतों में बस बीज डालना होगा, गेहूं, धान, ज्वार-बाजरा, दलहन-तिलहन..सारी फसलें योग से ही बड़ी होंगी और अनाज पकने पर योगबल से दाने अपने-आप बोरियों में जमा हो जाएंगे। कहीं गर्मी अधिक पड़ी, तो योग कर लिया। सर्दियों का मौसम आया, तो योग कर लिया। कहने का मतलब है कि इस देश की सभी समस्याओं का बस एक ही समाधान है..योग..योग..योग।Ó इतना कहकर सुपुत्र ने पहले तो अपनी आंखें मटकाई और बोला, 'अब तो मैं कल से स्कूल या घर में पढऩे की बजाय योग करूंगा और योग बल से सारी परीक्षाएं पास करके दिखाऊंगा।Ó बेटे की योजना सुनते ही मेरे होश उड़ गए। मैंने कहा, 'अरे नहीं..मेरे ताऊ..इस योग से सब कुछ किया जा सकता है, लेकिन स्कूल की परीक्षा बिना पढ़े पास नहीं की जा सकती।Ó लेकिन बेटा मेरी इस बात को मानने को तैयार नहीं है। वह कहता है कि प्रधान सेवक जी ने सभी समस्याओं का हल जब योग बताया है, तो परीक्षा जैसी समस्या का हल भी योग से ही निकलेगा। बस..तभी से मेरे मन में एक ही बात सावन-भादों के बादलों की तरह उमड़-घुमड़ रही है कि सुपुत्र तो इस साल फेल होकर ही रहेगा।
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