वायु प्रदूषण जैसी समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारत के राज्यों में वायु प्रदूषण विकराल रूप धारण करता जा रहा है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने तो दिल्ली-एनसीआर में दस साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल चालित वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन न देने का फैसला लिया था।
हालांकि, राज्य सरकार ने अभी इस फैसले को लागू करने से अपने कदम वापस खींच लिए हैं। हरियाणा की सैनी सरकार ने एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक और बहु क्षेत्रीय कार्य योजना बनाई है। प्रदेश सरकार ने सबसे पहले पराली जलाने की समस्या से निपटने का फैसला किया है। वर्ष 2025 में किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। पिछले साल सरकार ने इस मामले काफी सख्ती बरती थी। कुछ किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की गई थी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में कुल 41.37 लाख एकड़ धान की खेती होने की उम्मीद है। इस खेती से प्रदेश में कुल लगभग 85.50 लाख टन पराली होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इतना ही नहीं, प्रदेश में 22.63 लाख एकड़ में बासमती और 18.74 लाख एकड़ में गैर बासमती की खेती होने का अनुमान है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में पराली को उपयोगी और किसानों के लिए लाभकारी बनाने का प्रयास किया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने धान की पराली को जलाने से रोकने के लिए तीन प्रमुख योजनाओं को बड़े पैमाने पर लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है। किसानों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना साबित होने वाली है। इसके तहत आठ हजार रुपये प्रति एकड़, पराली प्रबंधन के लिए 1200 रुपये प्रति एकड़ और सीधी बिजाई वाले धान के लिए साढ़े चार हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से किसानों को वित्तीय सहायता दी जा रही है।
बस, इसके लिए किसानों को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर आवेदन करना होगा। पोर्टल आवेदन करने से पारदर्शिता बनी रहती है। वैसे यह बात सही है कि हरियाणा हो या कोई दूसरा प्रदेश, प्रदूषण के लिए केवल पराली को जलाना ही जिम्मेदार नहीं होता है। प्रदूषण के लिए दूसरे कारण भी जिम्मेदार होते हैं। ईंट भट्ठों के साथ-साथ सड़कों पर उड़ती धूल, कचरों को जलाया जाना जैसे तमाम कार्य प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों पर लगातार बढ़ रहे वाहन हैं जिन पर रोक लगाने की कोशिश नहीं की जा रही है।
No comments:
Post a Comment