Friday, July 4, 2025

अब गंगा नदी के पानी पर टिकी प्यासे हरियाणा की निगाह

अशोक मिश्र

पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर चल रहे विवाद का कोई हल निकलता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने दस जुलाई के आसपास दोनों राज्यों को एक साथ बैठकर मामले को सुलझाने को कहा है। जब पंजाब सरकार सुप्रीमकोर्ट के कई फैसलों को मानने से इनकार कर चुकी है, ऐसी स्थिति में मामले के सुलझने के चांस कम ही हैं। उधर, हरियाणा में जलसंकट गहराता जा रहा है। गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे जिले भयंकर जल संकट की चपेट में हैं। 

इस संकट से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने अब अपना ध्यान गंगा नदी की ओर लगाने का फैसला किया है। सैनी सरकार ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह गंगा का पानी उत्तर प्रदेश से हरियाणा लाने के सभी विकल्पों पर विचार करके एक रिपोर्ट तैयार करें। हालांकि गंगा का पानी उत्तर प्रदेश से लेने का विचार पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ढाई साल पहले किया था। इस संबंध में थोड़ी बहुत कार्रवाई भी आगे बढ़ी थी। 

अब नायब सिंह सैनी ने उसी योजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। वैसे उत्तर प्रदेश ने हरियाणा को पांच विकल्प सुझाए हैं जहां से गंगा का पानी लिया जा सकता है। इनमें खतौली के पास हिंडन बैरियर, बदरुद्दीन नगर, मुरादनगर और यमुनानगर के चैनल महत्वपूर्ण हैं। सरकार की तैयारियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि हरियाणा इस मामले में 2030 तक हर हालत में गंगा का पानी अपने यहां लाने की कोशिश करेगी। वैसे भी हरियाणा के पास जितना पानी है, उससे यहां के लोगों का काम पूरा नहीं पड़ रहा है। हरियाणा में इस समय हर साल 12.72 अरब घन मीटर भूजल का दोहन किया जा रहा है, जो उपलब्ध भूजल क्षमता का करीब 136 फीसदी है। 

डायनामिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट 2024 के अनुसार, हरियाणा में सालाना भूजल पुनर्भरण क्षमता 10.32 अरब घन मीटर (बीसीएम) आंकी गई है। इसमें से 9.36 अरब घन मीटर पानी का सालाना उपयोग किया जा सकता है।  दूसरी तरफ सालाना भूजल का हो रहा दोहन भी 11.8 से बढ़कर 12.72 अरब घन मीटर तक पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में कई जिलों में गर्मी के मौसम में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मच जाती है। इस स्थिति से बचने का एक उपाय यह है कि बरसात का अधिक से अधिक पानी संचित किया जाए। 

भूजल पुनर्भरण की दर बढ़ानी होगी। वैसे भी प्रदेश सरकार ने बड़े पैमाने पर कैच द रेन मुहिम चला रखी है, लेकिन यह लक्ष्य तब तक हासिल नहीं किया जा सकता है, जब तक प्रदेश का हर नागरिक इस दिशा में अपनी सक्रिय भूमिका नहीं निभाता है।

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