Sunday, July 27, 2025

सशक्त समाज के लिए महिलाओं को संरक्षण मिलना बहुत जरूरी

अशोक मिश्र

हाईकोर्ट की वकील शर्मिला शर्मा की ओर से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी ने कहा कि महिलाओं का संरक्षण हर हालत में बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रदेश सरकरा को हर जिले में संरक्षण अधिनियम को सही तरीके से लागू करने के लिए संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति जानी चाहिए। हालांकि सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि हरियाणा के हर जिले में संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति की गई है। 

यही नहीं, ग्राम स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को संरक्षण एजेंट के रूप में काम करने के लिए नामित किया गया है। याचिका में शर्मिला शर्मा ने यह दावा किया था कि घरेलू हिंसा की पीड़िताओं को अधिनियम के तरह पारित आदेशों के क्रियान्वयन न होने से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है कि दुनिया भर में महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होने पड़ता है। फर्ककेवल इतना है कि किसी देश में कम घरेलू हिंसा की घटनाएं होती हैं,तो कहीं ज्यादा। 

भारत में कुछ ज्यादा ही घरेलू हिंसा की घटनाएं देखने को मिलती हैं। इस मामले में हरियाणा कोई अपवाद नहीं है। हरियाणा में शायद ही कोई महिला हो जो अपने वैवाहिक जीवन में कई बार घरेलू हिंसा का शिकार न हुई हो। आम तौर पर देखा यह गया है कि महिलाओं को छोटी-छोटी बातों के लिए भी प्रताड़ित किया जाता है। कई बार तो यह गंभीर मारपीट में बदल जाती है। कुछ महिलाओं को घरेलू हिंसा के चलते अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। खाना बनाने में देर हो गई, पति को शराब पीने या जुआ खेलने से रोका, महिला को अपने पति के अवैध संबंध के बारे में पता लग गया, ऐसे न जाने कितनी घटनाओं को लेकर महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। कई बार तो संयुक्त परिवार में सास, ननद, देवरानी या जिठानी तक महिलाओं को प्रताड़ित करती हैं। घरेलू हिंसा संपत्ति को लेकर भी होती है। 

हमारे देश और प्रदेश में घरेलू हिंसा रोकने के लिए कई तरह के कानून बनाए गए हैं। पीड़ित महिलाओं को परेशानी से निजात दिलाने के लिए कई तरह की कमेटियां बनाई गई हैं। हरियाणा में अंत्योदय सरल पोर्टल भी बनाया गया है, लेकिन इसके बावजूद घरेलू हिंसा रुक नहीं रही है। ज्यादातर मामलों में तो महिलाएं मार खाती रहती हैं, लेकिन परिवार टूटने के भय से अपनी जुबान नहीं खोलती हैं। वह अपने पति या सास ससुर आदि के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से इनकार कर देती हैं। अगर मामला पुलिस या कोर्ट तक पहुंचा भी, तो न्याय भी काफी देर से मिलता है।

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