Saturday, July 19, 2025

अपनी मां को बहुत प्यार करते थे नेताजी

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम के राष्ट्रवादी क्रांतिकारी माने जाते हैं। नेताजी ने देश के क्रांतिकारियों को जयहिंद और तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा जैसा नारा दिया था। क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने जापान में आजाद हिंद फौज का गठन किया था, लेकिन उम्र अधिक हो जाने की वजह वह आजाद हिंद फौज का संचालन ठीक से नहीं कर पा रहे थे। 

तब उन्होंने हिंदुस्तान के क्रांतिकारियों से आजाद हिंद फौज को संभालने के लिए किसी युवा क्रांतिकारी को जापान भेजने के लिए पत्र लिखा था। उस समय योजना बनी कि क्रांतिकारी योगेश चंद्र चटर्जी जापान जाएंगे, लेकिन अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने की वजह से देश के क्रांतिकारियों ने नेताजी को जापान भेजा। नेताजी ने लगभग दो साल जर्मनी में निर्वासित जीवन व्यतीत किया था। 

क्रांतिकारी जीवन में वह हमेशा दृढ़ रहे। वह किसी भी प्रकार के भय से ऊपर थे, लेकिन वह अपनी मां प्रभावती को बहुत प्यार करते थे। कहा जाता है कि जब वह जर्मनी में निर्वासित जीवन बिता रहे थे, तब अंग्रेज उनकी मौत हो जाने की खबरें अखबारों में प्रकाशित कराया करते थे। हिंदुस्तान में भी एक अखबार ने उनकी मौत की झूठी खबर छापी। यह खबर पढ़कर नेताजी की आंखों में आंसू आ गए। 

नेताजी के साथी ने जब उनके रोने का कारण पूछा, तब उन्होंने कहा कि मेरी मां ने यह खबर पढ़ी होगी तो कितनी दुखी हुई होगी। यही सोचकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के थे। सुभाष ने 1919 में बीए (आॅनर्स) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कलकत्ता विश्वविद्यालय में उनका दूसरा स्थान था। इसी तरह उन्होंने 1920 में आईसीएस परीक्षा  में चौथा स्थान प्राप्त किया था।

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