अशोक मिश्र
बचपन से ही अपनी बात बेबाकी से रखने वाली प्रो. बिमला बूटी ने जब अपने पिता से आजीवन अविवाहित रहने का फैसला सुनाया, तो उनके पिता ने उनके फैसले को सहर्ष स्वीकार कर लिया। बिमला बूटी ने अपने पिता से कहा कि यदि वह विवाह कर लेती हैं, तो अपना सौ प्रतिशत विज्ञान और प्रयोगशाला को नहीं दे पाएंगी। प्रो. बूटी का जन्म 19 सितंबर 1933 में लाहौर में हुआ था, लेकिन भारत विभाजन के बाद वह अपने पिता के साथ दिल्ली आ गई थीं।
वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की पहली भारतीय महिला भौतिक विज्ञानी फेलो थीं। बूटी ने हाईस्कूल में जिस स्कूल में दाखिला लिया, उसमें विज्ञान की पढ़ाई नहीं होती थी। हां, उनकी गणित में रुचि काफी थी। वह गणित के मामले में काफी तेज छात्रा मानी जाती थीं। बाद में उनकी रुचि विज्ञान में पैदा हुई तो उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी (आॅनर्स) और एमएससी की डिग्री हासिल की।
उन्हें प्रायोगिक प्लाज्मा भौतिकी में रुचि लेने की प्रेरणा नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रह्मणय चंद्रशेखर से मिली थी। वह चंद्रशेखर को चंद्र गुरु कहकर पुकारती थीं। प्रो. बूटी ने चंद्रशेखर के साथ काफी दिनों तक काम किया और 1962 में उन्होंने प्लाज्मा भौतिकी में पीएचडी की डिग्री हासिल की। पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद बूटी भारत लौट आईं और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। दो साल बाद, वह गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर में काम करने के लिए अमेरिका चली गईं।
वहां से लौटने के बाद एक समारोह में इंदिरा गांधी के सामनेभौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक विक्रम साराभाई ने अपने साथ काम करने को कहा, तो वह एक लंबे समय तक विभिन्न पदों पर काम करती रहीं। 24 फरवरी 2024 को 90 साल की आयु में उनका निधन हो गया।
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