हरियाणा में अरावली पर्वत की तस्वीर बदलने वाली है। हरियाणा सरकार बहुत जल्दी जंगल सफारी पर काम शुरू करने वाली है। इसके लिए देश के विभिन्न जंगल सफारी की कार्य प्रणाली का अ्ध्ययन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की कोशिश है कि जितनी जल्दी हो सके, जंगल सफारी शुरू की जाए, ताकि स्थानीय लोगों को सफारी के चलते लोगों को रोजगार के साधन मुहैया कराए जा सके। एक बार जंगल सफारी शुरू हो जाने के बाद प्रदेश में विभिन्न किस्म के रोजगार के अवसर पैदा होंगे। पर्यटन बढ़ेगा।
देशी-विदेशी नागरिकों के हरियाणा में आने से लोगों की आय बढ़ेगी। इससे प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा होगा। प्रदेश सरकार का मानना है कि जंगल सफारी शुरू हो जाने के बाद अरावली पर्वत शृंखला पर होने वाला अवैध खनन रुकेगा। जंगल सफारी में विभिन्न तरह के जानवरों के आगमन से यहां का पर्यावरण भी सुधरेगा। वैसे भी अरावली की पहाड़ियां जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियां जैसे खैर, ढोक, रोहिड़ा, ढूडी, खेजड़ी, हिंगोट, कैर तथा कुछ लुप्तप्राय वृक्ष प्रजातियां जैसे गुग्गुल, जाल और सालर पाई जाती हैं। अवैध रूप से पेड़ पौधों की कटान करने वाले लकड़ी माफिया की निगाह इन पर रही है।
वह इन अमूल्य पेड़-पौधों की तस्करी करके अरावली क्षेत्र को खोखला करते रहे हैं। अरावली क्षेत्र कितना समृद्ध रहा है, इसका पता इस बात से चलता है कि यहां पर कई लुप्तप्राय और संकटग्रस्त वन्यजीव प्रजातियों जैसे दुर्लभ रस्टी स्पॉटेड बिल्ली, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भारतीय छोटी सिवेट, बंगाल मॉनिटर छिपकली, उल्लू और चील का निवास स्थान भी है। दिल्ली के पास से शुरू होकर दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान से होते हुए गुजरात के अहमदाबाद में समाप्त होने वाली 692 किमी लंबी अरावली पर्वत शृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत शृंखलाओं में से एक है। पुरातत्व विभाग को अरावली क्षेत्र में मानव सभ्यता के विकास के प्रमाण मिले हैं, जो पाषाण युग से लेकर तांबे और लौह युग तक फैले हुए हैं।
अरावली क्षेत्र में पहले भी मानव जीवन के प्रमाण मिलते रहे हैं। आनंदपुर गांव में भी कुछ साल पहले मानव सभ्यता के प्रमाण मिले थे। अब मांगर और कोट गांव में भी ऐसे प्रमाण मिले हैं जिससे यह साबित होता है कि लाखों साल पहले मानव सभ्यता यहां निवास करती थी। राजस्थान के जयपुर से लेकर अहमदाबाद तक जगह-जगह पर मानव सभ्यता के प्रमाण मिल चुके हैं। अरावली क्षेत्र में पत्थरों पर उकेरी गई कुछ कलाकृतियां भी मिली हैं जिससे अनुमान लगाया जाता है कि इस क्षेत्र में आदिमानवों का समूह रहता रहा होगा।
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