Friday, July 11, 2025

न रावी-चिनाब का पानी पंजाब आएगा, न हरियाणा को मिलेगा

अशोक मिश्र

दिल्ली में दस जुलाई को एसवाईएल और जल बंटवारे को लेकर हुई बैठक के कोई परिणाम सामने नहीं आए। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बैठक के बाद केवल इतना कहा कि बैठक पूरी तरह सार्थक रही। पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान ने कहा कि हरियाणा और पंजाब दो राज्य नहीं, दो भाई हैं। अगर सीएम मान की इस बात को मान लिया जाए, तो फिर बड़े भाई को छोटे भाई के हिस्से का पानी देने में गुरेज कैसा है? भगवंत सिंह मान ने सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद में तो एकदम साफ कर दिया है कि नहर का निर्माण नहीं किया जाएगा। 

सीएम मान ने साफतौर पर कहा है कि उन्हें हरियाणा को पानी देने से कतई इनकार नहीं है, लेकिन यह संभव तभी होगा, जब चिनाब और रावी नदी से 23 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) से अधिक पानी पंजाब को मिले। झेलम नदी का पानी पंजाब ला पाना मुमकिन नहीं है। इस पानी को देने में पंजाब को कोई दिक्कत नहीं है। सीएम मान ने बैठक के दौरान एक बात और कही है कि केंद्र सरकार को पहलगाम हमले के बाद रद्द हुए इंडस वाटर समझौते वाला पानी पंजाब लाया जाए। ऐसा होने पर चार नहरें पंजाब बना लेगा, कुछ नहरें हरियाणा बना लेगा। ऐसी स्थिति में पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहा जल विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। 

दिल्ली में हुई बैठक का लब्बोलुबाब यही निकल रहा है कि निकट भविष्य में भी एसवाईएल मुद्दा हल होने वाला नहीं है। रावी और चिनाब नदियों का पानी देने की मांग करके सीएम मान ने इस मामले को और उलझा दिया है। रावी और चिनाब नदियों का पानी पंजाब और हरियाणा तक पहुंचाने को यदि केंद्र तैयार भी हो जाए, तो इसमें काफी समय लगेगा। इतना आसान नहीं है रावी और चिनाब से पंजाब तक नहर बनाना। इसमें काफी पैसा और समय लगेगा। यह कहकर सीएम मान ने गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है। इस मामले को लेकर अगली बैठक पांच अगस्त को होगी। 

इस बैठक में क्या हल निकलता है, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन एसवाईएल और जल विवाद को लेकर अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं, जो बेनतीजा रही हैं। तीन बार 14 अक्टूबर 2023, 4 जनवरी 2023 और 28 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के बीच बैठक हुई। केंद्र ने भी इस मामले में मध्यस्थता की, लेकिन बैठकों का कोई परिणाम नहीं निकला। सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर सन 1960 से पैदा हुआ विवाद अब तक नहीं सुलझ पाया है। अब तो सीएम मान के एसवाईएल नहर बनाने से मना कर देने से रही सही उम्मीद भी खत्म होती नजर आ रही है। अब तो केवल सुप्रीमकोर्ट से ही उम्मीद है।

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