Tuesday, July 1, 2025

प्रदेश के बेटे-बेटियां अपने मुक्के का दम कजाकिस्तान में दिखाने को आतुर

अशोक मिश्र

हरियाणा की लड़कियों ने देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना वैसे तो बहुत पहले से ही शुरू कर दिया था। लेकिन पिछले पंद्रह बीस वर्षों में प्रदेश सरकार की खेल नीतियों की वजह से लड़के और लड़कियों ने पूरी दुनिया में हरियाणा और देश का नाम रोशन किया है। आज से कजाकिस्तान में विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता हुई है जो सात जुलाई तक चलेगी। भारत से इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए महिला और पुरुष की भेजी गई बीस सदस्यीय टीम में कुल सत्रह हरियाणा के ही हैं। दस महिला मुक्केबाजों में से नौ हरियाणा की हैं, वहीं दस पुरुष मुक्केबाजों में सात हरियाणा के हैं। 

प्रदेश के बेटे-बेटियां अपने मुक्के का दम कजाकिस्तान में दिखाने को आतुर हैं। पूरे देश को विश्वास है कि हमारे देश के सभी बीसों मुक्केबाज अपने दमखम और प्रतिभा का प्रदर्शन करके देश का नाम रोशन करेंगे। कभी कुड़ीमार प्रदेश के रूप में बदनाम हरियाणा ने अब इस कलंक से मुक्ति पा ली है। हरियाणा ने अपने बेटियों को भी बेटों के समान हर क्षेत्र में सुविधाएं देनी शुरू कर दी हैं। 

हरियाणा की बेटियों भी शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा और खेल के साथ-साथ सेना में जाकर देश की सेवा कर रही हैं। इसके पीछे लोगों की बेटियों को लेकर बदलती मानसिकता के साथ-साथ प्रदेश सरकार की खेल नीति काम कर रही है। हरियाणा के खिलाड़ियों की राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में सफलता को देखकर दूसरे राज्यों ने भी हमारे प्रदेश की खेलनीति का अनुसरण करना शुरू कर दिया है। ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण विजेता को छह करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता चार करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेता को 2.50 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार देती है। ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को 15 लाख रुपये देने का प्रावधान है। ओलम्पिक खेलों के लिए चुने गए हरियाणा के खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार राशि में से प्रशिक्षण तथा खुराक के लिए अग्रिम पांच लाख रुपये देने का प्रावधान है।

यही सुविधाएं और पुरस्कार पदक जीतने वाले पैरालम्पिक खिलाड़ियों को भी मिलते हैं। विश्व की 10 अधिकतम ऊंची या जटिल चोटियों पर सफलतापूर्वक पर्वतारोहण करने वाले राज्य के खिलाड़ियों को पांच लाख रुपये का नकद ईनाम तथा ग्रेड-सी का खेल ग्रेडेशन प्रमाण पत्र दिया जाता है। इतना ही नहीं, अर्जुन, द्रोणाचार्य तथा ध्यानचंद अवार्डी के मानदेय को पांच हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये मासिक कर दिया गया है। तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार विजेताओं को बीस हजार रुपये और भीम अवार्ड विजेताओं को पांच हजार रुपये मासिक मानदेय देने की शुरुआत की गई है।

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