Saturday, July 12, 2025

अपने समय से आगे सोचने वाला कलाकार

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अगस्ते रोडिन यानी फ्रांस्वा आगस्त रेने रोडिन को आधुनिक मूर्ति कला का संस्थापक कहा जाता है। रोडिन का जन्म 18 नवंबर 1840 को पेरिस के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता जीन बैप्टिस्ट रोडिन पुलिस विभाग में क्लर्क और मां मेरी शेफर एक गृहणी थीं। जिन दिनों रोडिन अपनी कला को निखारने के लिए किसी प्रतिष्ठित स्कूल की तलाश में थे, उन दिनों ललित कला के अध्ययन के लिए पेरिस का स्कूल आफ फाइन आर्ट्स बहुत प्रसिद्ध था। लेकिन यहां अध्ययन करने के लिए कठिन परीक्षा पास करनी पड़ती थी। 

रोडिन ने भी तीन प्रयास किए, लेकिन हर बार उन्हें विफल घोषित कर दिया गया। स्कूल आफ फाइन आर्ट्स में पहले दिन दो घंटे में कोई चित्र बनाना पड़ता था। अगले दिन उसी चित्र की मूर्ति बनानी पड़ती थी। रोडिन की सोच अपने समय से काफी आगे की थी, इसलिए उनकी बनाई मूर्ति मूल्यांकन करने वाले लोगों की समझ में ही नहीं आई थी। इस विफलता के बाद भी रोडिन ने हिम्मत नहीं छोड़ी। 

वह अपनी कला को निखारने का बराबर प्रयास करते रहे। आजीविका के लिए उन्होंने एक स्टूडियो में सहायक की नौकरी कर ली। रोडिन प्रकृतिवादी थे। उनकी मूर्तिकला में यथार्थ का चित्रण है। उनके मूर्तियों की भावभंगिमा एक सामान्य व्यक्तिों से ज्यादा मिलती जुलती हैं। यूनानी चित्र और मूर्ति कला में आदर्शवाद और सजावटी सौंदर्य को अधिक महत्व दिया जाता था। यही वजह है कि शुरुआत में रोडिन की मूर्तियों को उतना महत्व नहीं मिला। 

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों में रोडिन की मूर्तियां लोगों को पसंद आने लगीं। फिर क्या था? पेरिस ही नहीं, कई देशों में रोडिन की ख्याति फैल गई। उनकी बनाई मूर्तियां द थिंकर, द थ्री शेड्स, द एज आफ ब्रांज और आदम आधुनिक मूर्तिकला की धरोहर मानी जाती हैं। उनकी मूर्तिकला की सराहना आज भी की जाती है।

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