Saturday, July 12, 2025

समाज की गंदी मानसिकता ने ले ली टेनिस खिलाड़ी की जान

अशोक मिश्र

नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या से खेल जगत को एक बड़ा झटका लगा है। राधिका यादव की हत्या के पीछे जो कारण सामने आए हैं, वह समाज के घिनौने सोच को उजागर करते हैं। टेनिस खिलाड़ी की हत्या गुरुवार को दोपहर में उसके पिता दीपक यादव ने कर दी थी। उसकी पीठ पर तीन गोलियां मारी गई थीं। अपनी ही बेटी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए दीपक यादव का कहना है कि लोग उसको ताना मारते थे कि वह बेटी की कमाई खा रहा है। लोगों के ताने सह-सहकर वह परेशान हो गया था। वह जहां कहीं भी जाता था, लोग उसे उपेक्षा की दृष्टि से देखते थे। 

वैसे दीपक के बारे में जो जानकारी मीडिया में आई है, उसके मुताबिक उसे बड़ी जल्दी गुस्सा आ जाता है। अपने गुस्सैल स्वभाव की वजह से ही उसने अपनी बेटी की हत्या की है। दरअसल, टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या यह बताती है कि लड़कियों को लेकर समाज की सोच कितनी अमानवीय है। एक ओर तो कहा जाता है कि लड़के और लड़की में कोई भेद नहीं है। दोनों बराबर हैं। फिर यह भेदभाव क्यों कि लड़के की कमाई जीवन भर खाई जा सकती है, लेकिन लड़की की कमाई खाना पाप है या निकृष्ट है। 

सच तो यह है कि हमारे समाज में सदियों से लोगों के दिमाग में यह बात कूट-कूट कर भर दी गई है कि लड़कियां पराया धन हैं। उन्हें विवाह करके दूसरे के घर में चली जाना है। जिनके घरों में केवल लड़कियां ही होती हैं, उनका वंश आगे नहीं चलता है। वंश को आगे बढ़ाने के लिए बेटे का होना आवश्यक है। बेटे ही अपने पूर्वजों का श्राद्ध करके उनको मुक्ति प्रदान करते हैं। बेटियों को श्राद्ध करने का अधिकार ही नहीं है। बेटियों को दोयम दर्जे का मानने की परंपरा हमारे समाज में बहुत पुरानी है। इसी कारण सदियों से लड़कियों की पढ़ाई लिखाई, उनके स्वास्थ्य पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता था, जितना लड़कों की पढ़ाई लिखाई और स्वास्थ्य का खयाल रखा जाता था। इसके पीछे यही मानसिकता काम करती थी कि बेटियों को इस घर से एक दिन जाना है। 

बेटियां पैदा होते ही पराई हो जाती थीं। हालांकि यह भी सच है कि अब लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रहा है। समाज अब बहुत बदल चुका है। लोगों ने अपनी बेटियों को भी बेटों के बराबर महत्व और अधिकार देना शुरू कर दिया है। बेटियां विवाह करके दूसरे घर जरूर चली जाती हैं, लेकिन उन्हें दोयम दर्जे का मानने की मानसिकता बदल चुकी है। बेटियों ने भी अपनी प्रतिभा और लगन से समाज का माहौल बदलने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। राधिका भी तो टेनिस अकादमी चलाकर अपने परिवार की आर्थिक दशा सुधारने का प्रयास कर रही थी।

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